करवा चौथ हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे खासकर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन के लिए करती हैं। यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। करवा चौथ का व्रत एक दिन का उपवास होता है, जिसमें महिलाएं सूर्योदय से चाँद के निकलने तक पानी तक नहीं पीतीं। इस दिन को लेकर विभिन्न धार्मिक मान्यताएँ और पूजा विधियां हैं, जो इस दिन की महत्ता को दर्शाती हैं।
करवा चौथ व्रत का महत्व
1. पति की लंबी उम्र के लिए उपवास:
करवा चौथ का व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना के लिए किया जाता है। महिलाएं इस दिन बिना पानी पिए पूरे दिन उपवासी रहती हैं और रात को चाँद देखकर व्रत का समापन करती हैं। यह व्रत उनके सच्चे प्रेम और समर्पण को दर्शाता है।
2. पारिवारिक सुख-शांति के लिए:
यह व्रत न केवल पति की लंबी उम्र के लिए बल्कि परिवार में सुख, समृद्धि और शांति के लिए भी किया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे परिवार की खुशियों की कामना करती हैं और अपने घर में समृद्धि लाने के लिए पूजा करती हैं।
करवा चौथ की पूजा विधि (Vrat Vidhi)

1. व्रत का संकल्प:
करवा चौथ के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए और फिर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि इस व्रत में पूरे दिन उपवासी रहना है और चाँद को देखकर ही व्रत को तोड़ना है।
2. करवा चौथ पूजा की तैयारी:
पूजा के लिए एक थाली में निम्नलिखित सामग्री रखी जाती है:
- करवा (मिट्टी का पात्र)
- पानी, मिठाई और फल
- रोली, अक्षत, कलावा
- भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और करवा माता की प्रतिमा या चित्र
- दीपक और कपूर
3. पूजा की विधि:
- सबसे पहले, करवा चौथ के दिन सूर्योदय के बाद महिलाएं व्रत का आरंभ करती हैं।
- फिर, दिनभर उपवासी रहने के बाद, रात्रि को चाँद के दर्शन करने से पहले पूजा की जाती है।
- महिलाएं करवा (मिट्टी का पात्र) को अपनी पूजा थाली में रखकर उसमें जल, मिठाई और फल अर्पित करती हैं।
- फिर, करवा माता, भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करती हैं।
- पूजा के दौरान महिलाएं व्रत की कथा सुनती हैं। इस कथा में करवा चौथ के व्रत के महत्व को बताया जाता है और यह कैसे एक महिला के समर्पण और प्रेम को दर्शाता है, यह भी बताया जाता है।
- पूजा में महिलाएं विशेष रूप से अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं।
4. चाँद के दर्शन और व्रत का समापन:
- रात को चाँद के दर्शन के बाद, महिलाएं चाँद को जल अर्पित करती हैं और फिर अपना उपवासी व्रत तोड़ती हैं।
- इसके बाद, पति से पानी पीने की अनुमति प्राप्त करती हैं और भोजन करती हैं।
- फिर, व्रत का समापन होता है, और महिलाएं अपने परिवार के साथ खुशी से इस दिन को मनाती हैं।
करवा चौथ व्रत की कथा
करवा चौथ की कथा एक बहुत प्रसिद्ध कथा है, जो इस व्रत के महत्व को और भी विशेष बनाती है। कथा के अनुसार, एक समय की बात है, एक महिला ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत किया। इस व्रत की वजह से उसके पति की जान बची और वह फिर से स्वस्थ हो गए। इस कथा के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि करवा चौथ का व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सशक्त और समर्पित महिला के प्रेम का प्रतीक है।
करवा चौथ एक पवित्र पर्व है जो न केवल एक महिला की प्रेम भावना को प्रकट करता है, बल्कि यह अपने परिवार और पति के लिए शुभकामनाओं और समृद्धि का प्रतीक भी है। इस व्रत में उपवासी रहकर, पूजा अर्चना और चाँद के दर्शन के साथ यह व्रत संपन्न होता है। महिलाओं के जीवन में यह पर्व एक खास जगह रखता है, क्योंकि इसके माध्यम से वे अपने परिवार की खुशियों और सुख-शांति की कामना करती हैं।