शेषनाग कालसर्प दोष क्या है (Sheshnag Kaal Sarp Dosh in Hindi)

Sheshnag kaal Sarp Dosh in Hindi: 12 कालसर्प दोषो में शेषनाग कालसर्प दोष का ग्यारवा स्थान है। इसमें राहु और केतु अशुभ भावो में होते है इसलिए इसे शेषनाग कालसर्प दोष कहा जाता है। शेषनाग कालसर्प योग तब आता है जब व्यक्ति की कुंडली में केतु छठे भाव में और राहु बारहवें स्थान पर होता है।

शेषनाग ऋषि कश्यप और कद्रू के सबसे बड़े पुत्र हैं। वह नागराज भी थे।शेषनाग भगवन विष्णु के भक्त है और उनकी सेवा में तत्पर रहते है। उन्हें विष्णु की शय्या भी कहा जाता है। रामायण में लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार मन जाता है वंही महाभारत युग में बलराम को। शेषनाग को सृष्टि का आरम्भ भी माना गया है क्योंकि शेष का अर्थ है जो बचा है यानि नागो के अंत के बाद बचा नाग। कुछ शेष का अर्थ सौ मुखों से भी जानते है।

sheshnag kaal sarp dosh in hindi, शेषनाग कालसर्प दोष
शेषनाग कालसर्प दोष

इस योग में व्यक्ति को गुप्त शत्रुओं का सामना करना पड़ता है, अदालती मामलो में उलझना पड़ता है और मानसिक अशांति और बदनामी का सामना करना पड़ता है।

शेषनाग कालसर्प दोष कब बनता है (Sheshnag Kaal Sarp Dosh in kundali)

शेषनाग कालसर्प दोष (Sheshnag Kaal Sarp Dosh) तब बनता है जब कुंडली के बारहवें भाव में राहु और छठे भाव में केतु ग्रह विराजमान हो। यह दोष महापद्म कालसर्प दोष के ठीक विपरीत होता है।

केतु का 6th स्थान पर होना रोग ऋण रिपु भाव को प्रभावित करता है। यंहा से केतु की सप्तम दृष्टि 12वे स्थान पर होती है जंहा राहु भी विराजमान है। यंहा से व्यक्ति का खर्च भी प्रभावित होता है।केतु की पंचम दृष्टि दशम यानि कर्म स्थान पर होती है जो कर्म क्षेत्र को प्रभावित करती है। कर्म से सम्बंधित फल में वृद्धि या कमी देखि जा सकती है। केतु की नवम दृष्टि धन स्थान पर होती है जो धन के सम्बन्ध में आकस्मिक धन की स्थिति को प्रदान करती है।

Sheshnag Kaal Sarp Dosh kundali example

राहु की पंचम दृष्टि चतुर्थ स्थान पर होती है जो माता के सुख और पारिवारिक सुख के साथ साथ वाहन सुख को भी दर्शाती है और राहु की नवम दृष्टि अष्टम स्थान पर होती है जो आयु को प्रभावित करती है।

इसके अलावा अगर कोई एक ग्रह राहु केतु से बाहर है तो उसके बल को भी देखना जरूरी होता है। कंही वह आंशिक कालसर्प दोष तो नहीं बना रहा।

शेषनाग कालसर्प दोष के लक्षण (Sheshnag Kaal Sarp Dosh Effects)

  • ऐसे जातकों को अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए अपने जन्मस्थान से दूर जाना पड़ता है और शत्रु षड़यंत्रों से उसे हमेशा वाद-विवाद व मुकदमे बाजी में फंसे रहना पड़ता है।
  • व्यक्ति पर बदनामी की कटार हमेशा लटकी रहती है।
  • शारीरिक व मानसिक व्याधियों से अक्सर उसे व्यथित होना पड़ता है।
  • मानसिक उद्विग्नता की वजह से वह ऐसी अनाप-शनाप हरकतें करता है कि लोग उसे आश्चर्य की दृष्टि से देखने लगते हैं।
  • लोगों की नजर में उसका जीवन बहुत रहस्यमय बना रहता है।
  • उसके काम करने का ढंग भी निराला होता है।
  • केतु के छटे घर में होने पर जातक अनजान बीमारी से ग्रसित होता है जो आसानी से पकड़ में नहीं आती।
  • केतु की दृष्टि दसवे घर पर होने पर यह रोजगार को प्रभावित करती है।
  • केतु की नवम दृष्टि धन स्थान पर होने पर यह धन को प्रभावित करती है।
  • राहु 12 वे घर में होने पर यह अनावश्यक खर्च और कर्ज दे सकता है।
  • वह खर्च भी आमदनी से अधिक किया करता है। फलस्वरूप वह हमेशा लोगों का देनदार बना रहता है और कर्ज उतारने के लिए उसे जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है।

शेषनाग कालसर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है (Sheshnag Kaal Sarp Dosh Time Period)

ऐसा माना जाता है की शेषनाग कालसर्प दोष व्यक्ति के जीवन को जन्म से 54 वर्ष तक प्रभावित करता है। इस दोष का प्रभाव कितना होगा यह इस बात पर निर्भर करता है की अन्य ग्रह जैसे मंगल ,गुरु ,शुक्र कितने पीड़ित है अगर पीड़ित है तो विवाह में समस्या होगी तथा चन्द्रमा पीड़ित है तो मानसिक समस्या जैसे अवसाद की स्थिति भी बन सकती है।

शेषनाग कालसर्प योग सकारात्मक पहलु (Sheshnag Kaal Sarp Dosh Positive Effects)

शेषनाग कालसर्प दोष का सकारात्मक पहलु यह है की इससे व्यक्ति की इच्छाएं अवश्य पूर्ण होती है लेकिन विलम्ब से। उसके जीवन में एक बार अच्छा समय भी आता है जब उसे समाज में प्रतिष्ठित स्थान मिलता है और मरणोपरांत उसे विशेष ख्याति प्राप्त होती है।

शेषनाग कालसर्प दोष के उपाय (Sheshnag Kaal Sarp Dosh ke upay)

शेषनाग कालसर्प दोष अनुकूलन के उपाय –

  • किसी शुभ मुहूर्त में ‘ॐ नम: शिवाय’ की 11 माला जाप करने के उपरांत शिवलिंग का गाय के दूध से अभिषेक करें और शिव को प्रिय बिलपत्र आदि सामग्रियां श्रध्दापूर्वक अर्पित करें। इसके साथ ही तांबे का बना सर्प विधिवत पूजन के उपरांत शिवलिंग पर समर्पित करें।
  • हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और मंगलवार के दिन हनुमान जी की प्रतिमा पर लाल वस्त्र या चोला , चमेली का तेल मिलाया सिन्दूर व बताशा चढ़ाएं।
  • किसी शुभ मुहूर्त में मसूर की दाल तीन बार गरीबों को दान करें।
  • सवा महीने जौ के दाने पक्षियों को खिलाने के बाद ही कोई काम प्रारंभ करें।
  • केवल जरूरी चीजों पर ही खर्च करे।
  • रसोईघर में ही भोजन करें।
  • शार्ट कट पैसा कमाने के चक्कर में न पड़े ,जुआ ,ऑनलाइन गेम्स क्रिकेट आदि पर पैसा लगाने से बचे।
  • बीमार होने पर अच्छे डॉक्टर से मिले और समस्या की उचित जाँच कराये क्योंकि केतु 6th house में होने पर बीमारी समझ में नहीं आती।
  • कालसर्प दोष निवारण यंत्र घर में स्थापित करके उसकी नित्य प्रति पूजा करें और भोजनालय में ही बैठकर भोजन करें अन्य कमरों में नहीं।
  • किसी शुभ मुहूर्त में नागपाश यंत्र अभिमंत्रित कर धारण करें और शयन कक्ष में बेडशीट व पर्दे लाल रंग के प्रयोग में लायें।
  • शुभ मुहूर्त में मुख्य द्वार पर अष्टधातु या चांदी का स्वस्तिक लगाएं और उसके दोनों ओर धातु निर्मित नाग लगाए।
  • शेषनाग कालसर्प दोष होने पर अंतिम श्राद्ध की पूर्व रात्रि को लाल कपड़े में सौंफ बांधकर सिरहाने रखें और उसे अगले दिन सुबह खा लें।
  • कन्या तथा बहन को उपहार देते रहें।
  • अपने गले में सोमवार, मंगलवार और शनिवार के दिन लाल धागे में 8 मुखी रुद्राक्ष 2 दानें , 9 मुखी रुद्राक्ष 2 दानें और 12 मुखी रुद्राक्ष के 3 दानें पिरोकर कवच के रूप में धारण करे।
  • चांदी का ठोस हाथी घर में रखें।
  • श्राद्ध पक्ष में किसी भी दिन गरीबों को दूध व अन्य सफेद वस्तुओं का दान करें।
  • किसी भी मंगलवार को घर की दक्षिण दिशा में दीवार पर हनुमान बाहुक को लाल कपड़े में लपेट कर लटका दें।
  • गले में चांदी से बना ऊर्जावान शिव यंत्र धारण करें।
  • धर्म स्थान में तांबे के बर्तन दान में दें।

शेषनाग कालसर्प दोष से जुडी जानकारी अगर आपको पसंद आयी हो तो इसे जरूर शेयर कीजिये। इस दोष (Sheshnag Kaal Sarp Dosh) में बताये गए उपायों को और लक्षणों को आप अपने विवेक के अनुसार जाने। किसी भी लक्षण को पढ़ कर घबराने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि कुंडली में बहुत से योग होते है जो कालसर्प दोष के प्रभाव को कम कर देते है।

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