दुर्गा चालीसा हिंदी अर्थ के साथ| Durga Chalisa lyrics Hindi

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श्री दुर्गा चालीसा का पाठ अति फलदायी माना जाता है। विशेषकर नवरात्रि में दुर्गा चालीसा पाठ भक्तों को माँ जगदंबा के कृपा का पात्र बनाता है। माँ दुर्गा अपने भक्तों का सदा कल्याण करती हैं, इसीलिए इन्हे जगतजननी माँ कल्याणी भी कहा जाता है। इस दुर्गा चालीसा का श्रद्धाभाव से निरंतर पाठ करने वाला भक्त समस्त बाधाओं से मुक्त होकर सुख-शांति प्राप्त करता है।

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दुर्गा चालीसा का पाठ कैसे करे (Durga Chalisa Path Vidhi)

सबसे पहले स्नान कर लीजिये उसके पश्च्यात स्वच्छ वस्त्र धारण कर लीजिये। फिर पूजन कक्ष में माँ दुर्गा की फोटो या मूर्ति के सामने एक घी का दीपक प्रज्वलित करे और धुप या अगरबत्ती जलाये तत्पश्चात लाल पुष्प अर्पण कर दुर्गा चालीसा (Shree Durga Chalisa) का पाठ करें।
पाठ के अंत में ‘ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का रुद्राक्ष की माला से 108 बार जाप करें ।

ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

दुर्गा चालीसा हिंदी अर्थ के साथ (Durga Chalisa Lyrics with Hindi meaning)

॥ चौपाई॥

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अम्बे दुख हरनी॥

अर्थात – सुख प्रदान करने वाली मां दुर्गा को मेरा नमस्कार है। दुख हरने वाली मां श्री अम्बा को मेरा नमस्कार है।

निराकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥

हिंदी अर्थ – आपकी ज्योति का प्रकाश असीम है, जिसका तीनों लोको (पृथ्वी, आकाश, पाताल) में प्रकाश फैल रहा है।

शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटी विकराला॥

हिंदी अर्थ – आपका मस्तक चन्द्रमा के समान और मुख अति विशाल है। नेत्र रक्तिम एवं भृकुटियां विकराल रूप वाली हैं।

रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥

हिंदी अर्थ – मां दुर्गा का यह रूप अत्यधिक सुहावना है। इसका दर्शन करने से भक्तजनों को परम सुख मिलता है।

तुम संसार शक्ति लय कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥

हिंदी अर्थ – संसार के सभी शक्तियों को आपने अपने में समेटा हुआ है। जगत के पालन हेतु अन्न और धन प्रदान किया है।

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

हिंदी अर्थ – अन्नपूर्णा का रूप धारण कर आप ही जगत पालन करती हैं और आदि सुन्दरी बाला के रूप में भी आप ही हैं।

प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

हिंदी अर्थ – प्रलयकाल में आप ही विश्व का नाश करती हैं। भगवान शंकर की प्रिया गौरी-पार्वती भी आप ही हैं।

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

हिंदी अर्थ – शिव व सभी योगी आपका गुणगान करते हैं। ब्रह्मा-विष्णु सहित सभी देवता नित्य आपका ध्यान करते हैं।

रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥

हिंदी अर्थ – आपने ही मां सरस्वती का रूप धारण कर ऋषि-मुनियों को सद्बुद्धि प्रदान की और उनका उद्धार किया।

धरा रूप नरसिंह को अम्बा।
प्रकट हुई फाड़कर खम्बा॥

हिंदी अर्थ – हे अम्बे माता! आप ही ने श्री नरसिंह का रूप धारण किया था और खम्बे को चीरकर प्रकट हुई थीं।

रक्षा करि प्रहलाद बचायो।
हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो॥

हिंदी अर्थ – आपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करके हिरण्यकश्यप को स्वर्ग प्रदान किया, क्योकिं वह आपके हाथों मारा गया।

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥

हिंदी अर्थ – लक्ष्मीजी का रूप धारण कर आप ही क्षीरसागर में श्री नारायण के साथ शेषशय्या पर विराजमान हैं।

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥

हिंदी अर्थ – क्षीरसागर में भगवान विष्णु के साथ विराजमान हे दयासिन्धु देवी! आप मेरे मन की आशाओं को पूर्ण करें।

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥

हिंदी अर्थ – हिंगलाज की देवी भवानी के रूप में आप ही प्रसिद्ध हैं। आपकी महिमा का बखान नहीं किया जा सकता है।

मातंगी धूमावति माता।
भुवनेश्वरि बगला सुखदाता॥

हिंदी अर्थ – मातंगी देवी और धूमावाती भी आप ही हैं भुवनेश्वरी और बगलामुखी देवी के रूप में भी सुख की दाता आप ही हैं।

श्री भैरव तारा जग तारिणि।
छिन्न भाल भव दुख निवारिणि॥

हिंदी अर्थ – श्री भैरवी और तारादेवी के रूप में आप जगत उद्धारक हैं। छिन्नमस्ता के रूप में आप भवसागर के कष्ट दूर करती हैं।

केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥

हिंदी अर्थ – वाहन के रूप में सिंह पर सवार हे भवानी! लांगुर (हनुमान जी) जैसे वीर आपकी अगवानी करते हैं।

कर में खप्पर खड्ग विराजे।
जाको देख काल डर भाजे॥

हिंदी अर्थ – आपके हाथों में जब कालरूपी खप्पर व खड्ग होता है तो उसे देखकर काल भी भयग्रस्त हो जाता है।

सोहे अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

हिंदी अर्थ – हाथों में महाशक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र और त्रिशूल उठाए हुए आपके रूप को देख शत्रु के हृदय में शूल उठने लगते है।

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहूं लोक में डंका बाजत॥

हिंदी अर्थ – नगरकोट वाली देवी के रूप में आप ही विराजमान हैं। तीनों लोकों में आपके नाम का डंका बजता है।

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥

हिंदी अर्थ – हे मां! आपने शुम्भ और निशुम्भ जैसे राक्षसों का संहार किया व रक्तबीज (शुम्भ-निशुम्भ की सेना का एक राक्षस जिसे यह वरदान प्राप्त था की उसके रक्त की एक बूंद जमीन पर गिरने से सैंकड़ों राक्षस पैदा हो जाएंगे) तथा शंख राक्षस का भी वध किया।

महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

हिंदी अर्थ – अति अभिमानी दैत्यराज महिषासुर के पापों के भार से जब धरती व्याकुल हो उठी।

रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

हिंदी अर्थ – तब काली का विकराल रूप धारण कर आपने उस पापी का सेना सहित सर्वनाश कर दिया।

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥

हिंदी अर्थ – हे माता! संतजनों पर जब-जब विपदाएं आईं तब-तब आपने अपने भक्तों की सहायता की है।

अमरपुरी अरु बासव लोका।
तव महिमा सब रहें अशोका॥

हिंदी अर्थ – हे माता! जब तक ये अमरपुरी और सब लोक विधमान हैं तब आपकी महिमा से सब शोकरहित रहेंगे।

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर नारी॥

हिंदी अर्थ – हे मां! श्री ज्वालाजी में भी आप ही की ज्योति जल रही है। नर-नारी सदा आपकी पुजा करते हैं।

प्रेम भक्ति से जो यश गावे।
दुख दारिद्र निकट नहिं आवे॥

हिंदी अर्थ – प्रेम, श्रद्धा व भक्ति सेजों व्यक्ति आपका गुणगान करता है, दुख व दरिद्रता उसके नजदीक नहीं आते।

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताको छूटि जाई॥

हिंदी अर्थ – जो प्राणी निष्ठापूर्वक आपका ध्यान करता है वह जन्म-मरण के बन्धन से निश्चित ही मुक्त हो जाता है।

जोगी सुर मुनि क़हत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

हिंदी अर्थ – योगी, साधु, देवता और मुनिजन पुकार-पुकारकर कहते हैं की आपकी शक्ति के बिना योग भी संभव नहीं है।

शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

हिंदी अर्थ – शंकराचार्यजी ने आचारज नामक तप करके काम, क्रोध, मद, लोभ आदि सबको जीत लिया।

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

हिंदी अर्थ – उन्होने नित्य ही शंकर भगवान का ध्यान किया, लेकिन आपका स्मरण कभी नहीं किया।

शक्ति रूप को मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछतायो॥

हिंदी अर्थ – आपकी शक्ति का मर्म (भेद) वे नहीं जान पाए। जब उनकी शक्ति छिन गई, तब वे मन-ही-मन पछताने लगे।

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

हिंदी अर्थ – आपकी शरण आकार उनहोंने आपकी कीर्ति का गुणगान करके जय जय जय जगदम्बा भवानी का उच्चारण किया।

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

हिंदी अर्थ – हे आदि जगदम्बाजी! तब आपने प्रसन्न होकर उनकी शक्ति उन्हें लौटाने में विलम्ब नहीं किया।

मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुख मेरो॥

हिंदी अर्थ – हे माता! मुझे चारों ओर से अनेक कष्टों ने घेर रखा है। आपके अतिरिक्त इन दुखों को कौन हर सकेगा?

आशा तृष्णा निपट सतावें।
मोह मदादिक सब विनशावें॥

हिंदी अर्थ – हे माता! आशा और तृष्णा मुझे निरन्तर सताती रहती हैं। मोह, अहंकार, काम, क्रोध, ईर्ष्या भी दुखी करते हैं।

शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

हिंदी अर्थ – हे भवानी! मैं एकचित होकर आपका स्मरण करता हूँ। आप मेरे शत्रुओं का नाश कीजिए।

करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि सिद्धि दे करहु निहाला॥

हिंदी अर्थ – हे दया बरसाने वाली अम्बे मां! मुझ पर कृपा दृष्टि कीजिए और ऋद्धि-सिद्धि आदि प्रदान कर मुझे निहाल कीजिए।

जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ॥

हिंदी अर्थ – हे माता! जब तक मैं जीवित रहूँ सदा आपकी दया दृष्टि बनी रहे और आपकी यशगाथा (महिमा वर्णन) मैं सबको सुनाता रहूँ।

दुर्गा चालीसा जो नित गावै।
सब सुख भोग परम पद पावै॥

हिंदी अर्थ – जो भी भक्त प्रेम व श्रद्धा से दुर्गा चालीसा का पाठ करेगा, सब सुखों को भोगता हुआ परमपद को प्राप्त होगा।

देविदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

हिंदी अर्थ – हे जगदमबा! हे भवानी! ‘देविदास’ को अपनी शरण में जानकर उस पर कृपा कीजिए।

दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa Lyrics)

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॥ चौपाई॥

नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥1

निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥2

शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥3

रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥ 4

तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥5

अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥6

प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥7

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ 8

रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥9

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥10

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥11

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥ 12

क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥13

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥14

मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥15

श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ 16

केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥17

कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥18

सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥19

नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥20

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥21

महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥22

रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥23

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥24

अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥25

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥26

प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥27

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥28

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥29

शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥30

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥31

शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥32

शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥33

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥34

मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥35

आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥36

शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥37

करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥38

जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥39

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥40

देवीदास शरण निज जानी ।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥41

॥दोहा॥

शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक ।
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक ॥

॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥

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दुर्गा चालीसा हिंदी में अर्थ (Durga Chalisa in Hindi)

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सुखों को प्रदान करने वाली हे माँ दुर्गा आपको नमन है। दुखों का हरण करने वाली हे माँ अंबे आपको नमन है। आपकी ज्योति तो निराकार है, उसका कोई आकार नहीं है, आपकी ज्योति का प्रकाश तीनों लोकों में फैला हुआ है। आपके मस्तक पर चंद्रमा है और आपका मुख बहुत विशाल है। हे माँ दुर्गा आपकी आंखें लाल व भृकुटि विकराल है। हे माँ आपका रुप बहुत ही सुहावना अर्थात बहुत सुंदर है जिसका दर्शन करने से सुख की प्राप्ति होती है।

हे माँ आपने ही इस संसार में शक्ति का संचार किया, इस संसार के पालन-पोषण के लिए अन्न धन सब आपका दिया हुआ है। जग की पालक होने के कारण आपको अन्नपूर्णा भी कहते हैं। आप ही जगत को पैदा करने वाली आदि सुंदरी बाला अर्थात जगत जननी हो। प्रलयकाल में सब कुछ आप ही नष्ट करती हैं। हे माँ आप ही तो भगवान शिव शंकर की प्यारी गौरी, यानी माता पार्वती हैं। भगवान शिव के साथ-साथ सभी योगी आपका गुणगान करते हैं। ब्रह्मा, विष्णु तक आपका नित ध्यान लगाते हैं।

हे माँ आपने ही देवी सरस्वती का रुप धारण कर ऋषि-मुनियों को सद्बुद्धि देकर उनका उद्धार किया। आपने ही अंबा का रुप धारण किया और खम्बे को फाड़कर प्रगट हुई। आपने ही हरिण्याकश्यपु जैसे दुष्ट का संहार किया व ईश्वर के भक्त प्रह्लाद की रक्षा की। आपने ही इस संसार में लक्ष्मी का रुप धारण किया व भगवान श्री नारायण अर्थात विष्णु की पत्नी बनी।

आप क्षीरसागर अर्थात दुध के सागर में निवास करती हैं। आप दया की सागर हैं, मेरी आशाओं को भी पूर्ण करें माँ। हे मां आप ही हिंगलाज में भवानी हैं। आपकी महिमा तो अनंत हैं, उसका बखान नहीं किया जा सकता। मातंगी, धूमावती, भुवनेश्वरी, बगला माता आप ही हैं, जो सुखों को प्रदान करती हैं। आप ही श्री भैरवी हैं व आप ही जग का तारण करने वाली माँ तारा हैं, आप ही दुखों का निवारण करने वाली माता छिन्नमस्ता हैं।

हे माँ भवानी आप शेर की सवारी करती हैं लागुंर वीर यानि भगवान श्री बजरंग बलि हनुमान आपकी अगवानी करते हुए चलते हैं। आपके हाथों में खप्पर (खोपड़ी) व तलवार रहते हैं जिन्हें देखकर काल (यमराज अर्थात मृत्यु) भी डर कर भाग जाता है। आपके पास हथियार हैं, त्रिशूल हैं जिन्हें देखकर शत्रू भय से कांपने लगते हैं।

हे माँ नगरकोट में आप ही विराजमान हैं व तीनों लोकों में आपका डंका बजता है। शुम्भ और निशुम्भ दानवों का अंत आपने ही किया, आपने ही अनगिनत रक्तबीजों (शुम्भ निशुम्भ की सेना का एक दैत्य जिसे वरदान प्राप्त था कि उसके रक्त की बूंद गिरने से उस जैसे अनेक रक्तबीज पैदा होंगे) का संहार किया। महिषासुर नामक असुर बहुत ही अभिमानी था जिसके पाप से धरती पर बहुत बोझ बढ़ गया था। आपने ही काली का विकराल रुप धारण कर महिषासुर व उसकी सेना का संहार किया।

हे माँ जब भी सन्तन अर्थात सत्य का साथ देने वाले सज्जनों पर कोई संकट आया है आप ही तब तब सहायक बनी हैं। अमरपुरी के साथ-साथ अन्य लोक भी आपकी महिमा से शोक रहित रहते हैं। हे माँ ज्वाला जी पर ज्योति के रुप में आप ही हैं, नर-नारी सदा आपकी पूजा करते हैं। प्रेम व भक्ति के साथ जो भी आपके यश का गुणगान करता है, दुख व दरिद्रता उसके निकट नहीं आती।

जो भी सच्चे मन से आपका ध्यान लगाता है, उसके जन्म-मृत्यु के बंधन छूट जाते हैं, अर्थात वह मोक्ष को प्राप्त करता है। योगी, देवता, मुनि सब अपनी साधना को सार्थक करने के लिए आपको पुकारते हैं, क्योंकि आपकी शक्ति के बिना योग नहीं हो सकता अर्थात किसी भी तरह की साधना आपकी शक्ति के बिना नहीं हो सकती।

आदि गुरु शंकराचार्य ने भारी तप किया और काम क्रोध पर जीत हासिल की, लेकिन उन्होंनें दिन-रात केवल भगवान शंकर का ध्यान किया और किसी भी क्षण आपका स्मरण नहीं किया। उन्होंनें शक्ति रुप यानि आपके महत्व को नहीं समझा लेकिन जब उनके पास से शक्ति चली गई तब वे बहुत पछताये व आपकी शरण लेकर आपके यश का गुणगान किया। हे जगदम्बा भवानी माँ उन्होंनें आपकी जय-जयकार की तब आपने आदि शंकराचार्य की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें बिना विलम्ब शक्तियां प्रदान की।

हे माँ मुझे भी अनेक कष्टों ने घेर रखा है, आपके बिना मेरे कष्टों का हरण और कौन कर सकता है। आशा तृष्णा मुझे सताती हैं, मोह, अंहकार भी मुझे तंग करते हैं, मुझे भ्रमित करते हैं। हे माँ भवानी आप काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार रुपी मेरे इन शत्रुओं का नाश करें ताकि में एकाग्र होकर पूरे मन से आपका ध्यान लगा सकूं। हे दयालु माँ मुझ पर दया कर ऋद्धि-सिद्धि देकर मेरा कल्याण करें। हे माँ मुझे वरदान दें कि मैं जब जक जीवित रहूं, आपकी दया मुझ पर बनी रहे व मैं आपकी कीर्ति को, आपके यश को सदा सुनाता रहूं।

जो कोई भी दुर्गा चालीसा को हर रोज गाता है वह सब सुखों को भोग कर मोक्ष को प्राप्त करता है। हे जगदंबे भवानी माँ देवीदास को अपनी शरण में जानकर अपनी कृपा करती रहना।

दुर्गा चालीसा पढ़ने के फायदे

  • दुर्गा चालीसा का पाठ नित्य करने पर व्यक्‍ति को आध्यात्मिक, भौतिक और भावनात्मक खुशी की प्रप्ती होती है।
  • नित्य दुर्गा चालीसा का पाठ मन को शांत करने के लिए भी किया जाता है।
  • माँ दुर्गा चालीसा का पाठ बड़े-बड़े ऋषि भी करते थे। इससे वह अपना मन शांत रखते थे।
  • माँ दुर्गा शक्ति की देवी है शक्ति की पूजा करने से भक्त को शक्ति मिलती है। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बनता है।
  • कुंडली में राहु दोष को खत्म करने के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ नित्य करना चाहिए।
  • चन्द्रमा अगर 6-8-12 House में राहु -केतु से दृष्ट या युति में है तो दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए।
  • कुंडली में कमजोर बुध को मजबूत करने के लिए भी दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए।
  • दुश्मनों से निपटने और उन्हें हराने की क्षमता भी विकसित करने के लिए पाठ किया जाता है।
  • अपने परिवार को वित्तीय नुकसान, संकट और अलग-अलग प्रकार के दुखों से बचाने के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है।
  • मानसिक शक्ति को विकसित करने के लिए भी दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
  • अगर आपकी सामाजिक स्थिति खराब हो गई है तो दुर्गा चालीसा का पाठ करने से उसे दोबारा से स्‍थापित कर सकते हैं।
  • मान्यता है कि नकारात्मक विचार मन से दुर्गा माँ की मन से पूजा करने से दूर होते हैं।

इस पोस्ट में आपने दुर्गा चालीसा और दुर्गा चालीसा के अर्थ को हिंदी (Durga Chalisa Lyrics in hindi) में जाना। माँ दुर्गा की कृपा आप सभी पाठको पर बनी रहे व् आपका दिन मंगलकारी रहे। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे शेयर कीजिये और कमेंट के माध्यम से हमें अपनी राय जरूर दीजिये।

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