मित्रो हमने कई फिल्म कलाकारों और बड़े व्यापारियों को पन्ना रत्न(emerald stone) आभूषणों के रूप में पहने देखा है। और इस रत्न का उन्हें फायदा भी मिला है। आखिर क्यों बुध के रत्न पन्ना को धन और अभिनय के तौर पर प्रयोग किया जाने लगा है।पन्ना बुध ग्रह का मुख्य रत्न है। पन्ना रत्न हरे ,पारदर्शी ,चिकना ,कोमल और चमकदार होता है।

पन्ना रत्न के अन्य नाम
पन्ना रत्न को संस्कृत में मरकत,पाचि,गरुत्मत ,हरिन्मणि ,गरुडांकित ,गरुडोदगीर्ण,गरलारी ,सौपर्णी ,अश्मगर्भ आदि नामो से जाना जाता है।
हिंदी -पंजाबी में पन्ना को पन्ना ही कहा जाता है।
उर्दू -फ़ारसी में पन्ना जमरूद के नाम से जाना जाता हैं
अंग्रेजी में इसे Emerald कहा जाता है।
पन्ना रत्न किस तत्व से प्राप्त होता हैं

पन्ना रत्न बेरिल(beryl) जिसे हम बेरूज भी कहते हैं उसी तत्व से प्राप्त होता हैं। अठारवी सदी के अंत में ‘बेरूज’ नाम उस रत्न के लिए निश्चित कर दिया गया जिसे हम वैदूर्य नाम से जानते हैं। बेरूज पत्थर को जब खदान से निकला जाता हैं तो यह मूल रूप से रंगहीन होता हैं पर इसमें हरे और नीले रंग के शेड्स पाए जाते हैं। और कई बार इसमें कई प्रकार के रंग पाए जाते हैं। हरे रंग के हिस्से को इसी से निकाल कर पन्ना रत्न का नाम दिया गया हैं। पन्ना का एक अपना अलग ही रंग हैं जो मखमली और घास सा महसूस होता हैं।
बेरूज के इसी पत्थर में से हरित नील मणि(aquamarine stone) भी प्राप्त होता हैं जो हल्का हरा और नीला रंग लिए होता हैं।
पन्ना रत्न हरे रंग का क्यों होता हैं
पन्ना रत्न में हरे रंग होने का कारण उसमे उपस्थित क्रोमियम ऑक्साइड का होना हैं। एक ही तत्व की विभिन्न संयोग अवस्थाओं के कारण रंगो में इतनी भिन्नता हैं। यह भी एक प्रकार का आश्चर्य ही हैं। ऐसा माना जाता हैं की अगर कांच में भी क्रोमियम ऑक्साइड की उतनी ही मात्रा मिला दी जाय जितनी पन्ने में हैं तो कांच का रंग भी हरा हो जाता हैं। पन्ने को जब गर्म किया जाता हैं तो इसका पानी तो उड़ जाता हैं पर इसके रंग पर कोई फर्क नहीं पड़ता। कह सकते हैं की इस पर गर्मी का कोई प्रभाव नहीं होता।
पन्ना रत्न का जन्म और प्राप्ति का स्थान
पन्ना रत्न ग्रेनाइट और पिग्मेटाइटे(granite and pegmatite) चट्टानों के में पाया जाता हैं इसके अलावा यह घटक के रूप में दरारों और परतदार चट्टानों में ढेरो के रूप में जन्म लेता हैं।

पन्ना रत्न का वैज्ञानिक लक्षण
पन्ने का क्रिस्टल ग्रेनाइट ,पिग्मेटाइटे और चूने पत्थर के साथ लगा मिलता हैं। यह शायद ही कभी शुद्ध रूप से मिलता हो। दोष रहित पन्ना रत्न का मिलना दुर्लभ माना जाता हैं। बिलकुल निर्दोष पन्ना और परिपूर्ण पन्ना रत्न का मूल्य हीरे से भी अधिक होता हैं। इसकी द्विवर्णिता(dichroism) काफी अच्छी होती हैं यानि एक और से हरा और दूसरी और से नीला दिखाई देता हैं जो प्रकाश के परावर्तन के कारण होता हैं। इसे गर्म करने पर यह कठिनता से पिघलता हैं। एसिड अम्ल का इस पर कोई प्रभाव नहीं होता हैं। पन्ने का रंग प्राकृतिक और अप्राकृतिक दोनों प्रकाश में अपने रंग को बनाये रखता हैं।
पन्ना रत्न काफी भंगुर होता हैं यह आसानी से तड़क जाता हैं इसलिए पन्ने की अंगूठी बनवाते समय पन्ने के किनारे पतले नहीं रखना चाहिए नहीं तो यह तिड़क सकते हैं।
श्रेष्ठ ,शुभ और उत्कृष्ट पन्ना रत्न के लक्षण
प्राचीन शास्त्रों के अनुसार पन्ना रत्न के सात गुणों को बताया गया हैं -हरे रंग का ,भारी(दड़कदार );स्नीग्ध लोचदार ;चारो और किरणों को बिखेरने वाला ,छुने में देदित्यमान ,सूर्य के समान स्वयं प्रकाश से प्रदीप्त कह सकते है की श्रेष्ट पन्ना इसी प्रकार का होना चाहिए। आयुर्वेद प्रकाश के अनुसार शुद्ध पन्ना जल की भांति स्वच्छ -पारदर्शी ,भारी ,आबदार ,लोचदार ,मृदुगात्र ,अव्यंग (जो टेड़ा-मेड़ा न हो ।
उत्तम पन्ना रत्न वह बताया गया है जो शैवाल (घास ),मोर और नीलकंठ की पॉख,शादवल(एक प्रकार की घास ),हरे रंग का कषाय ,कौए का पंख ,जुगनू तथा शिरीष पुष्प की झाई के तुल्य आभा को निरंतर धारण किया हुआ रहे। इनमे से जो भी सूर्य किरणों से संयुक्त किया जाने पर अपने आस पास की चारो और की वस्तुओ को हरा कर दे। वह पन्ना उत्तम जाती का माना जाता है। अपने मखमली घास के रंग के कारण ही पन्ने का अधिक मान रहा है।
पन्ना रत्न के कार्य
पन्ना रत्न के धारण करने से बुद्धि तीव्र व स्मरण शक्ति बढ़ती है। पन्ने को विद्या ,बुद्धि ,धन और व्यापार में वृद्धि के लिए लाभप्रद माना जाता है। पन्ना सुख और आरोग्यकारक भी है। पन्ना रत्न जादू -टोने,रक्त विकार ,पथरी ,बहुमूत्र ,नेत्र रोग ,दमा ,गुर्दे के विकार ,पाण्डु तथा मानसिक रोगो में लाभकारी माना जाता है।
पन्ना रत्न के फायदे(Emerald stone benefits in hindi)
अन्य रत्नो की भांति पन्ना रत्न भी अनेक रोगो और कष्टों को दूर करता है। औषधि रूप में ज्वरनाश,अर्श ,सन्निपात ,वमन ,विष ,दमा आदि रोगो को नष्ट करता है। पन्ना रत्न का उपयोग बुध ग्रह की शांति के लिए किया जाता है। इसे आभूषण रूप में अंगूठी में जड़वाकर पहनने से धन -संपत्ति में वृद्धि ,भूत-प्रेत बाधा ,सर्प भय आदि को दूर करता है।
अपने हरे रंग के कारण पन्ना रत्न आँखों के लिए अच्छा माना जाता हैं। आँखों को सबसे अधिक तृप्ति पन्ने को देखने से ही मिलती हैं। यंहा तक की किसी दूसरी चीज को देखते देखते आँखे थक गयी हो तो पन्ने को देखने से वह फिर से स्वस्थ हो जाती हैं। इसलिए पन्ने का उपयोग प्राचीन समय में फर्श पर लगाने में भी किया जाता था ताकि गर्मी में शीतलता मिले।
पन्ना रत्न का रोगो में प्रयोग-
आयुर्वेद प्रकाश (अध्याय ५ श्लोक १०५) में पन्ना रत्न के विषय मे लिखा है कि यह विषको मारने वाला, शीतल, रसका मीठा, अम्ल तथा पित्त को दूर करने वाला, रुचिकारक, पोषक और भूतव्याधा को दूर करता है।
रसतंत्र में पन्ने के निम्नलिखित गुण-कर्म बताये है-दीपन रसायन, ओजवर्धक तथा विषध्त |
“रसरत्नसमुच्चय” में लिखा है कि-
ज्वर-छर्दि-विष-श्वास-सन्निपाताग्निमाघनुत् ।
दुर्नाम-पाण्डू-शोथघ्त ताक्ष्यमोजो विवर्धनम् ॥
पन्ना बुखार, वमन, विष, दमा, सन्निपात , अ्रपच, बवासीर, पाण्डु, शोध-आदि रोगो को नष्ट कर शरीर के बल एवं सौन्दय को बढ़ाता है। अ्भिप्राय यह है कि चिकित्सा के सम्बन्ध में पन्नें को विषध्न एव बलवीर्यवर्धक सभी ने स्वीकार किया है । यह हम पहले ही बता आये है कि रत्नो का रोगो में प्रयोग भस्म तथा पिष्टिका आदि के रूप मे किया जाता है, अतएव विशेषज्ञ वैद्य की सलाह पर निपुण वैद्य द्वारा तैयार की हुई भस्म आदि का प्रयोग उचित मात्रा मे किया जाना अधिक हितकर है ।
आयुर्वेद के अनुसार पन्ना रत्न की भस्म ठढी, मीठी और मेदवर्धक है। यह क्षुधावर्घक है और अम्लपित्त तथा जलन को दूर करती है । इसीलिये तीव्र तथा मृदुज्वर, मिचली और वमन, विषक्रिया, दमा ,अजीर्ण , बवासीर,पाण्डु और हर प्रकार के घाव और सूजन को दूर करती है।
प्यारे हरे रंग के कारण पन्ना रत्न दृष्टि शक्ति के लिये उत्तम है। मिरगी से बचाता है, पेचिश को दूर करता है। संतान -जन्म के समय स्त्री का परम सहायक है ।हलके हरे से गाढे हरे रंग तक का पन्ना, अच्छी प्रकार घिसा हुआ, मुलायम तथा स्वच्छ हो, उसमें दाग, चीरा या धुंध न हो और फिर उसमें भार भी पर्याप्त हो तो वह बहुमूल्य रत्न समझा जाता है । एक रत्ती वजन का यह पन्ना रत्न सदा अपने संग्रह में रखना चाहिये ।
पन्ना रत्न पहनने की विधि(how to wear panna stone in hindi)
पन्ना बुधग्रह का रत्न है जो व्यक्ति बुधग्रह के प्रभावशाली होने की अवधी में उत्पन्न होते है उनको इसका धारण करना उपयोगी है अर्थात् उस समय जब कि सूर्य मिथुन राशि का होता है-१५ जून से १४ जुलाई तक और १५ सितम्बर से १४ अक्तृबर तक। अंक ज्योतिष के अनुसार इन व्यक्तियों का मूल अंक ५ होता है । जिन लोगो को अपने जन्म की ठीक तारीख ज्ञात न हो, वे पाश्च्यात विधि से अपने नाम के अक्षरों के अंको को जोड़ कर अपना मूल अंक निकाल सकते हैं ।
बुध ग्रह के प्रभावाधीन जन्मे व्यक्ति अवसर को पहचान कर उससे लाभ उठाने वाले परन्तु विपदाओ में शीघ्र घबरा जाते है। वे किसी के सहयोग मे तो बडी योग्यता से काम करते है परन्तु स्वयं अकेले काम करते हुए कठिनाई आने पर टूट जाते हैं। ऐसे व्यक्ति छोटी-छोटी तुच्छ बातो से घबरा उठते है।
ऐसे व्यक्तियों को चाहिए कि बुध के अनिष्ट प्रभाव की शांति के लिये सोने की अंगूठी मे पन्ना रत्न को मेंढवा कर मध्यमा अंगुली मे घारण करे-उन्हे यह अंगूठी अपने जन्म मास की ५, १४ और २३ तारीख को सूर्योदय से दो घंटे पश्चात पहननी चाहिए। यदि उस दिन बुधवार हो तो और भी अधिक शुभ होगा । इसको धारण करते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करना बताया गया है-
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रतिजागृहि त्वमिष्टापूर्ते ससृजेथामय च।
अस्मिन् सघस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत ॥
पन्ना रत्न धारण करने वाले की शुचिता की रक्षा करता है, यदि उसके विरुद्ध कोई षड्यत्र हो रहा हो तो उसका भांडा फोड़ देता है; इसका रंग अमरता का प्रतिक माना जाता था, इसलिये पादरी वर्ग मे इसका खूब प्रचलन था । पन्ना पहिनने वाले की बुद्धि, तथा स्मृति शक्ति बढती है।
जो व्यक्ति पन्ना खरीद सकने की सामर्थ्य न रखते हो उन्हे हरित नील मणि घारण करनी चाहिये। इसका भी वही प्रभाव होता है जो पन्ना रत्न का होता है।
उपरोक्त शुभ मुहूर्त में बुधवार के दिन प्रातः पन्ने को पंचामृत से अभिषेक कर और अगर पंचामृत नहीं हे तो कच्चे दूध से अभिषेक करने के बाद बुध के मंत्रो द्वारा अभिमंत्रित कर पहना जाता है। और जिस लिए पहना जाता है उसकी मन में इच्छा कर धारण किया जाता है।
पन्ना रत्न धारण करने का मंत्र
इन मंत्रो का जप कम से कम १०८ बार करना है-बुध बीज मंत्र
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
ॐ बुं बुधाय नमः
पन्ना रत्न की पहचान कैसे करें(how to test emerald stone at home)
कांच के गिलास में पानी भरकर पन्ने को रखने पर उसमे से हरी किरणे निकलती दिखाई देंगी।
शुद्ध पन्ने को हाथ में लेने पर वह हल्का ,कोमल और आँखों को शीतलता प्रदान करता है।
अब सावधान होने की आवश्यकता है क्योंकि पन्ना रत्न में कई प्रकार की मिलावट बाजार में होने लगी है।
पन्ने में अक्सर दरारे होती है जो खाली आँख से ही दीख जाती है। इस कारण इनके दाम बहुत कम लगते है। लोग इस दोष को छिपाने के लिये ऐसे पन्ने पर तेल चुपड़ देते हैं। तेल और पन्ने का वर्तनांक एक होने से अब ये दरारे साधारण देखने से पकड़ मे नही आती | तेल यदि बिना रंग का हुआ तो उसमे पन्ने जैसा रंग भी मिला देते हैं। बस मामूली-सी गर्मी देने से यह तेल ऊपर आ जाता है। चतुर जौहरी को यह बात अवश्य ध्यान में रखनी चाहिये ।
कुछ पन्ना रत्न जिसे रत्न कहाँ बेकार है बाजार और ऑनलाइन मार्केट में खूब बिक रहे है।आइये इनपर कुछ नजर डालते है
कांच का बना कृत्रिम पन्ना रत्न(glass emerald)
१) कांच के बने पन्ने को छूकर देखा जाय तो वह गरम प्रतीत होगा। असली अथवा प्राकृतिक पन्ना रवा होने के कारण ताप का सुवाहक होता है और स्पर्श में ठंडा लगता है । कांच के पन्ने को आँख के सामने थोडी देर रखने पर गरमी प्रतीत होगी जबकि असली पन्ने को रखने से यह शीतलता देता है।
२) कांच का पन्ना हाथ मे रखने पर भारी प्रतीत होता
है जबकि असली पन्ना हलका, मुलायम और चित्ताकर्षक होता है।
(३) नकली पन्ने को लकड़ी पर रगडा जाये तो इस की चमक बढ जाती है।
(४) किसी पिन अथवा दियासलाई की तीली मे लगा कर पानी की एक बूँद रत्न की सतह पर धीरे से रखिये। रत्न बनावटी होगा तो बूँद उस पर फ़ैल जायेगी परन्तु असली रत्न की
सतह पर बूंद बनी रहेगी।
(५) नकली पन्ने की सतह पर चमकीली धारियां होती है।जो आम तौर पर कांच में नजर आती है।
प्लास्टिक का पन्ना(plastic emerald)
१) प्लास्टिक से बने नकली पन्ने का आपेक्षिक गुरुत्व १ ५८ से कम होता है । इसकी कठोरता भी कम होती है-इन दो विलक्षणताओं से इन्हे असली से अलग किया जा सकता है।
(२) प्लास्टिक के बने कृत्रिम पन्ते मे यदि बिजली से गरम की हुई सूई की नोक चुभा दी जाय तो उससे वह स्थान पिघलने लगेगा।
(३) यह पिन अथवा कटर की सहायता से यह सरलता से कट जाता है।
स्फटिक का पन्ना(quartz emerald)
स्फटिक या quartz को कलर करके भी पन्ने की तरह बना दिय जाता है। क़्वार्टज़ पत्थर में दरारे होती है जिसे डाई तकनीक के द्वारा इसमें कलर भर दिया जाता है जिससे यह हरे रंग का हो जाता है। चूँकि quartz एक प्राकृतिक पत्थर है इसलिए इसे आसानी से पहचाना नहीं जा सकता पर इसका रंग कुछ समय बाद या किसी रासायनिक क्रिया की मदद से निकला जा सकता है।
पन्ना रत्न के नुकसान (Disadvantages of wearing emerald stone)
पन्ना रत्न धारण करने से पहले परख लेना चाहिए। कांच का पन्ना आंख पर रखने से गर्मी देता है।आंच पर रखने पर पिघल जाता है। घिसने से आभा दब जाती है। दूषित पन्ना जिसका रंग मटमैला हो या अलग -अलग रंग लिए हो तो यह नुकसान करता है।
पन्ना रत्न में दोष(defects in emerald stone)
निम्न लिखित दोष से युक्त पन्ना अच्छा नहीं माना जाता है -लाल पिली (मिली हुई) आभा वाला ,बालू के तुल्य कणदार अथवा कर्कश ,रुखा (चमकहीन ),कालापन लिए हुआ ,हाथ में लेने पर हल्का महसूस होना ,चिपटा हुआ जिसके फलक भीतर के और सिकड़े हुए प्रतीत हो। उबड़ खाबड़ ,काला और चूर चुरा।

“रत्न प्रकाश” के लेखक के अनुसार ‘जिस पन्ने में लोच, निम्मस और जर्दी हो, जिसका रंग नीम की पत्ती के हरे रंग के समान हरा हो; वह उत्तम माना जाता है। नीम की पत्ती के हरे रंग में पीत आभा स्पष्ट भासती है, पन्ने में यही पीत आभा अपेक्षित है । ‘पंचतंत्र’ के एक प्रसिद्ध श्लोक में लिखा है कि कांच के समीप यदि सोना रख दिया जाये तो कांच की आभा पन्ने की आभा की तरह हो जाती है इस ‘मरकती’ चमक को ही मानो पंचतंत्रकार भी पन्ने के हृदयहारी रंग का ‘प्राण’ समझते है ।

परन्तु एक पाश्चात्य लेखक का कहना है कि पीली झांई वाले पन्ने का मूल्य कम होता है । श्रेष्ठ पन्ने तो गहरे हरे से लेकर घास के समान हरे रंग के होते है-जब इस हरे रंग में कांच की आभा मिल जाती है तो वही मखमली आभा श्रेष्ठ पन्ने की होती हैँ। वैसे तो पन्ने में पीले छींटे होना तो दोष ही माना ही गया है ।
पन्ना रत्न किस दिन पहनना चाहिए
पन्ना रत्न शुक्ल पक्ष के बुधवार को अश्लेषा ,ज्येष्ठा ,रेवती ,पूर्व फाल्गुनी अथवा पुष्य नक्षत्रो में अथवा बुध की होरा में धारण करना चाहिए।
पन्ना रत्न किस धातु में पहने
पन्ना प्रायः सोना ,चाँदी ,पंच धातु और अष्ट धातु में पहना जाता है। पन्ना रत्न सोने और चाँदी में साधरणरूप में तथा पंचधातु और अष्टधातु में विशेष परिस्थिति में पहना जाता है। अब अगर आप जानेंगे की सोने और चाँदी में किसमे पन्ना पहनना अच्छा होता है तो अगर आपका बजट अच्छा है तो आप सोने में पहन सकते है नहीं तो फिर चाँदी में पहनना ही उपयुक्त होता है।

बुध और गुरु की युति या मित्रवत सम्बन्ध होने के कारण पन्ने को सोने के साथ भी पहनने की सलाह दी जाती है।
पन्ना रत्न किस उंगली में पहने
पन्ना प्रायः कनिष्ठिका और अनामिका उंगली में पहना जाता है। जब बुध ग्रह कुंडली में कमजोर हो और उसे बल देना हो या करक ग्रह हो ऐसी परिस्थिति में पन्ना रत्न दाये हाथ की कनिष्ठिका उंगली में धारण किया जाता है। कुछ ज्योतिषी पन्ने को बाये हाथ की कनिष्ठिका उंगली में पहनने को कहते है क्योंकि बायीं कनिष्ठिका उंगली का सम्बन्थ अवचेतन मन से होता है।
अनामिका उंगली में पन्ना पहनने के फायदे हिंदी में (benefits of wearing emerald in ring finger)
पन्ना रत्न अनामिका उंगली में पहना जाता है जब कुंडली में बुधादित्य योग निर्मित हो रहा हो। क्योंकि अनामिका उंगली सूर्य रेखा से जुडी होती है इसके अलावा अनामिका उंगली के एक पोर पर कन्या राशि होती है जिसमे बुध उच्च का होता है।
पन्ना बाएं हाथ की अनामिका में (wearing emerald in left hand ring finger in hindi)
पन्ने को बाये हाथ की अनामिका उंगनि में स्वर्ण धातु में पहनने पर दुर्घटनाओं से रक्षा ,बीमारियों से रक्षा जैसे कई बेहतरीन परिणाम और विशेष फायदे मिलते है।
पन्ना रत्न को charge कैसे करें
पन्ना रत्न को बुधवार के दिन कांच के बर्तन जैसे गिलास या कटोरी में पानी भरकर उसमे कुछ तुलसी पत्ते डालकर लगभग एक घंटे के लिए धूप में रखना है फिर इसे पहनना है। इस क्रिया के द्वारा पन्ने में आई दरार भी भर जाती है।
पन्ना रत्न किस राशि को पहनना चाहिए
वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर ,सिंह, मीन और कुम्भ राशि तथा लग्न वालों के लिए पन्ना लाभकारी होता है। अन्य राशि और लग्न होने पर कुंडली में बुध की स्थिति को देखते हुए पन्ना पहना जा सकता है। फिर भी किसी योग्य ज्योतिषी के मार्गदर्शन में ही पन्ना पहनना चाहिए।
पन्ना रत्न किस लग्न के लिए श्रेष्ठ है
वृष लग्न ,मिथुन ,कन्या ,तुला ,मकर ,कुम्भ और मीन लग्न की कुंडली वाले जातक पन्ना धारण कर सकते है। लेकिन यंहा यह देखना है की बुध की स्थिति कुंडली में कहा है कई वह ६-८-१२ में तो नहीं बैठा है।
पन्ना रत्न कितने दिन में असर दिखाता है
पन्ना रत्न लगभग ४५ दिनों में अपना असर दिखाना शुरू करता है। कई बार यह शुरुआत में ही असर दिखाने लगता है और कई बार समय ज्यादा भी लग सकता है।
पन्ना रत्न कब बदलना चाहिए
जब पन्ना टूट जाये ,उसमे ऐसी दरारे आ जाये की कभी भी टूट जाये ऐसी स्थिति में पन्ना बदलना चाहिए। अगर पन्ने की quality अच्छी है और स्थिति भी अच्छी है तो उसे हमेशा पहना जा सकता है।
पन्ना रत्न की कीमत क्या है (Emerald price in india)
पन्ना रत्न १००० रुपए रत्ती से लेकर ४०-५० हजार रुपये रत्ती या उससे ज्यादा का भी हो सकता है। जब भी पन्ना ख़रीदे तो इस बात का ध्यान रखे की पन्ना असली हो उसके साथ ओरिजनल लैब सर्टिफिकेट हो और किसी विश्वनीय दूकान से हो।एक अच्छा पन्ना आपको १५००० के आस पास मिल जायेगा।
पाठकों इस पोस्ट में आपने पन्ना रत्न के बारे में अद्भुत जानकारी पढ़ी। पन्ने के मंत्र ,पन्ने की पहचान ,पन्ने की धारण विधि और इसका विभिन्न ग्रंथो और आयुर्वेद में उल्लेख के बारे में जाना।इस पोस्ट में हमने कुछ जानकारी “रत्न प्रकाश” पुस्तक से ली है।
इस पोस्ट के लिए अगर आप कोई सुझाव देना चाहते है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से ,फेसबुक,ट्विटर और कू ऐप के माध्यम से संपर्क कर सकते है। आप हमें ईमेल भी कर सकते है।
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FAQ:
पन्ना रत्न की कीमत क्या है ?
पन्ना रत्न १००० रुपए रत्ती से लेकर ४०-५० हजार रुपये रत्ती या उससे ज्यादा का भी हो सकता है।उत्तम क्वालिटी का पन्ना हीरे से भी महंगा हो सकता है।
क्या पन्ना रत्न ३-४ सालो में बदलना चाहिए ?
अगर आपका पन्ना अच्छी स्थिति में है तो बदलने की कोई जरूरत नहीं।
क्या कुछ समय बाद पन्ना रत्न का असर कम होने लगता है और फिर आपको नया पन्ना लेना चाहिए ?
ऐसा कुछ नहीं है अगर आपके लग्न के लिए अनुकूल है तो आप आजीवन धारण कर सकते है।
पन्ना रत्न किस धातु में पहनना चाहिए?
पन्ना प्रायः सोना ,चाँदी ,पंच धातु और अष्ट धातु में पहना जाता है।
पन्ना रत्न किस नक्षत्र में धारण करना चाहिए ?
अश्लेषा ,ज्येष्ठा ,रेवती ,पूर्व फाल्गुनी अथवा पुष्य नक्षत्रो में पन्ने को धारण करना चाहिए।