Guru Ke Upay: नवग्रहों में बृहस्पति ग्रह सबसे बड़ा और प्रभावशाली माना गया है। गुरू को शुभ ग्रहों के रूप में मान्यता प्राप्त है। गुरू को शुभता, सत्यता, न्याय, सद्गुण व सुख देने वाला गह माना गया है।गुरु को जीव भी कहा गया है ब्रह्मा की उपाधि भी दी गयी है इसके बिना संसार की चाल ही समाप्त हो जाती है।

कुंडली में विवाह और ज्ञान को अक्षर गुरु बृहस्पति से देखा जाता है। बृहस्पति के शुभ और मजबूत होने से व्यक्ति को जीवन में शुभ परिणाम मिलते है जबकि अशुभ होने पर जीवन में समस्याओ का सामना करना पड़ता है। आइये देखते है की गुरु बृहस्पति को मजबूत किन उपायों (Guru Ke Upay) से किया जाता है।
गुरु ग्रह के बारे में जानकारी (Guru in astrology)
स्कंद पुराण में बताया गया है कि बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र हैं और इन्होंने प्रभास तीर्थ के तट शिव की कठोर तपस्या प्राप्त कर देव गुरू का पद और ग्रहों में स्थान प्राप्त किया। देव गुरू अपने ज्ञान के बल पर यह देवताओं को यज्ञ भाग दिलाते हैं।
गुरु ग्रह को वैदिक ज्योतिष में आकाश तत्त्व माना गया है। इसका गुण विशालता, विकास, और व्यक्ति की कुंडली और जीवन में विस्तार का संकेत होता है।
गुरु ग्रह पिछले जन्मों के कर्म, धर्म, दर्शन, ज्ञान और संतानों से संबंधित विषयों के संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है। यह शिक्षण, शिक्षा और ज्ञान के प्रसार से संबद्ध है। यह दयालु हैं, अपने भक्तों को बुद्धि एवं ज्ञान प्रदान कर सद्मार्ग पर ले जाते हैं और सुख व सम्मान दिलाते हैं।
गुरु की दिशा उत्तर पूर्व है और धनु और मीन राशि का स्वामित्व प्राप्त है। कर्क राशि में गुरु उच्च का होता है वंही मकर राशि में यह नीच का होता है। विशाखा, पुनर्वसु तथा पूर्वभाद्रपद इसके नक्षत्र है। यह सूर्य मंगल और चंद्र को मित्र ग्रह मानता है।
गुरु ग्रह के मंत्र (Guru Grah Mantra)
गुरु वैदिक मंत्र (Vedic Mantra)
“ॐ बृहस्पते अतियदर्योअर्ध्नाद्युमद्धि भातिक्रतुमज्जनेषु।
यदीदयच्छवसऽऋत प्रजात तदस्मासु द्रविणं द्येहिचित्रम्।”
गुरु की अनुकूलता हेतु गुरु के वैदिक मंत्र का उन्नीस हजार (29000) जप करना चाहिए।
गुरु तात्रिंक मंत्र : (Guru Tantrik Mantra)
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः
ॐ बृं बृहस्पत्यै नमः
गुरु के किसी तांत्रिक मंत्र का छिहत्तर हजार जप करना चाहिए।
गुरु गायत्री मंत्र: (Guru Gayatri Mantra)
ॐ गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्माय धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात ॥
गुरु ग्रह के उपाय (Guru grah ke upay)
आराध्य देव
गुरु बृहस्पति के लिए आराध्य देव ब्रह्म, विष्णु तथा इंद्र हैं।
गुरु के लिए हवन
गुरु की शांति के लिए पीपल की लकड़ी से हवन करना चाहिए।
गुरु के लिए दान
गुरु की शांति के लिए पीला अन्न, पीला वस्त्र, सोना, घृत, पीला फूल, पीला फल, पुखराज, हल्दी, कपड़ा, पुस्तक, शहद, नमक, चीनी, भूमि, छत्र, दक्षिणा आदि का दान करना चाहिए।
गुरु के लिए औषधि स्नान
गुरु की शांति के लिए मालती पुष्प, पीला चंपा फूल, सरसों, हल्दी, शहद आदि से स्न्नान करना चाहिए।
गुरुवार व्रत
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम बृहस्पतिवार से यह व्रत प्रारंभ करके 3 वर्ष या १६ गुरुवार को लगातार किया जाता है। इस व्रत को रखने वाले दिन में पीला वस्त्र धारण कर बृहस्पति के बीज मंत्र का 108 माला, 3 माला या 11 माला जप कर पीले फूल और बेसन के गुड़ से लड्डू बना कर, या गुड़ में दूध चावल मिला कर खीर को (केसरयुक्त कर) भोग लगा कर भोजन करें। अंतिम गुरुवार को पूर्णाहुति हवन कर गरीब ब्राह्मण को भोजन करा कर समापन करें।
ग्रह पीड़ा निवृत्ति हेतु गुरु यंत्र (Guru Yantra)
गुरुवार को भोजपत्र पर हल्दी से अनार की कलम से लिख कर अथवा गुरु पुष्य, रवि पुष्य, सर्वाथ सिद्धी योग में ताम्र या स्वर्ण पत्र पर यंत्र उत्कीर्ण करा कर पंचोपचार पूजन कर के गले या बांह में धारण करना चाहिए।

गुरु के लिए रत्न धारण (Jupiter Gemstone)
पीला पुखराज 5 रत्ती स्वर्ण में अंगूठी बनवाकर गुरुवार को प्रातः काल कच्चे दूध से धो कर, गंगा जल से शुद्ध करा के किसी पंडित से प्राण प्रतिष्ठा करा कर धारण करना चाहिए। पुखराज तभी पहना जाए जब गुरु ग्रह कारक ग्रह हो।
इसके अतिरिक्त सुनहला और टोपाज को भी अंगूठी के रूप में धारण किया जा सकता है।
गुरु के लिए रुद्राक्ष
गुरु के लिए 5 मुखी रुद्राक्ष नेपाली या रुद्राक्ष माला को धारण करना चाहिए।
गुरु के लिए औषधि धारण
भृंगराज की पत्ती, या हल्दी की गांठ पीले कपड़े में सी कर व पीले धागे में लगा कर, गले में या सीधे हाथ की बांह में धारण करनी चाहिए।
गुरु के लिए सामान्य उपाय Guru Ke Upay Remedies
- गुरु को बलवान करने के लिए गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा कर हल्दी युक्त जल समर्पित करें।
- गुरु को बलवान बनाने के लिए विष्णु मंदिर में जाकर गुरुवार के दिन पीले रंग की मिठाई का प्रसाद चढ़ाए और वह प्रसाद गरीबों में बांटे।
- बरगद के पेड़ में हर गुरुवार हल्दी युक्त कच्चा दूध चढ़ाएं।
- यदि संभव हो तो केले की जड़ गुरु-पुष्य योग में अपनी दाहिनी बांह पर बांधें। ये व्यापार की वृद्धि में सहायक होगा।
- पीली कदली के पुष्पों को घर में लगाएं और गरीबों को पीली वस्तु और पुस्तकें दान करें।
- गुरुवार को केले के पेड़ में हल्दी, पीला चावल, चना, दाल, गुड़, लड्डू और पीले फूल से पूजन करना चाहिए।
- गुरुवार के दिन गाय को बेसन के लड्डू खिलायें।
- पीपल में जल देना चाहिए।
- ब्रह्म की आराधना करें तथा निस्संतान, संतान के लिए हरि (विष्णु) की भी आराधना करें।
- भोजन में केसर का प्रयोग करें और स्नान के पश्चात प्रतिदिन नाभि तथा मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं I
- श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए।
- गुरुवार के दिन आटे के लोए में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए।
- किसी ब्राह्मण को बेसन के लड्डू और केसर मिली खीर का भोजन कराएं।
- गुरुवार को गुरु दोष शांत करने के लिए ये 8 खास सामग्री गुड़,चने की दाल, केले, पीले फूल, चन्दन या पीले वस्त्र, हल्दी, पीले रंग की मिठाई और गाय का घी गुरु बृहस्पति की उपासना करें।
- यदि गुरु और केतु की युति हो तो एक पीला निम्बू ले और उसे थोडा काट दे यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि निम्बू के दो टुकड़े न हो और इस निम्बू को चलते पानी में बहा दे , आप ऐसा 43 दिन लगातार करे आपका योग भंग हो जायेगा ।
आप अपनी कुंडली की स्थिति को देखकर गुरु ग्रह के विभिन्न उपायों को प्रयोग में ला सकते है। गुरु के उपाय (Guru Ke Upay) से सम्बन्धी किसी भी जानकारी के लिए आप कमेंट कर सकते है। अगर आपको पोस्ट पसंद आयी हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।
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