मिट्टी के शिवलिंग जिसे पार्थिव शिवलिंग के नाम से भी जाना जाता है अपने आप में श्रेष्ठ होता है।श्रावण के महीने में शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है। वंही शिवरात्रि पर भी शिव जी की आराधना की जाती है। शिव जी के भक्त मंदिरो में शिव जी का अभिषेक करने के लिए जाते है। लेकिन कई बार हम किसी कारण मंदिर नहीं जा पाते जैसे lockdown के दौरान ही कई मंदिरो के द्वार भक्तो के लिए बंद रखे गए। ऐसे में अगर आपके घर शिवलिंग जैसे नर्मदेश्वर शिवलिंग ,पारद शिवलिंग या अन्य कोई शिवलिंग न हो तो आप शिव जी की पूजा कैसे करेंगे? तो आइये इस पोस्ट के माध्यम से पार्थिव शिवलिंग कैसे बनाएं।
ऐसे में मिट्टी के शिवलिंग जिसे पार्थिव शिवलिंग के नाम से भी जाना जाता है का निर्माण कर आप शिवलिंग का पूजन कर सकते है। यह एक सरल विधि है जिससे हर कोई अपने घर पर पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर सकता है। तो आइये देखते है की मिट्टी का शिवलिंग कैसे बनाया जाता है।

पार्थिव शिवलिंग का महत्व
- हम सभी को पार्थिव शिवलिंग का निर्माण और पूजन साल में एक बार तो करना ही चाहिए वह भी विशेष रूप से श्रावण मास के दिनों में।
- श्रावण मास के दिनों में पार्थिव शिवलिंग पूजन का विशेष महत्व है। शास्त्रों में पार्थिव शिवलिंग की महिमा का वर्णन देखने को हमें मिलता है।
- जिस घर में पार्थिव शिवलिंग का पूजन होता है चाहे वो हर महीने या साल में एक बार हो वह भगवान शिव की विशेष महिमा होती है।
- मिट्टी के 1001 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर जो व्यक्ति पूजन करता है विशेष रूप से श्रावण के महीनो में वह पाप से मुक्त हो जाता है और इन्हे साक्षी मान कर जो संकल्पित कामनाये मांगता है उन कामनाओ की पूर्ती होती है।
- पार्थिव शिवलिंग के पूजन से भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
- 11 छोटे मिट्टी के शिवलिंग का पूजन श्रावण के हर सोमवार को करना चाहिए। यह परिवार के लिए श्रेष्ठ है इससे परिवार में शुभता की वृद्धि होती है।
- शिवलिंग के पूजन के समय आप शिव महिमा स्त्रोत्र ,12 ज्योतिर्लिंग के नाम ,और ॐ नमः शिवाय का जप भी कीजिये यह बड़ा प्रभावशाली है।
- आप यह पूजन ब्राह्मण से पुरे विधिविधान से करा सकते है जिसमे रूद्र अष्ट अध्याय तथा उसमे समाहित 16 मंत्रो से पूजन तथा नमक-चमक विधि से रुद्राभिषेक आदि विशेष रूप से करवा सकते है।
- आप अपने घर पर परिवार के साथ मिलकर ॐ नमः शिवाय का जप कर सकते है इसके पश्चात् आप शिव आरती कीजिये तथा फिर कपूर आरती कीजिये। किसी भी पूजन के प्रारंभ में आपको गणेश जी का पूजन अवश्य करना चाहिए क्योंकि वह प्रथम पूज्य है।
- जब हम पार्थिव शिवलिंग का पूजन किसी कार्य विशेष की पूर्ती की कामना के लिए करते है तो वह कार्य और कामना अवश्य पूर्ण होती है।
पार्थिव शिवलिंग निर्माण में कौन सी मिट्टी का प्रयोग करना चाहिए
पार्थिव शिवलिंग निर्माण में अलग-अलग मिट्टियो का वर्णन किया है जैसे ब्राह्मण के लिये श्वेत, क्षत्रिय के लिये लाल, वैश्य के लिये पीली और शूद्र के लिये काली मिट्टी से शिवलिङ्ग बनाने का विधान है लेकिन हम देखते है की आज के समय सफ़ेद मिट्टी ,लाल मिट्टी और पीली मिट्टी हर स्थान पर उपलब्ध नहीं है इसलिए जहाँ जो मिट्टी मिल जाये, उसी से शिवलिङ्ग बनाये।शिवलिंग निर्माण में शुद्ध स्थान की मिट्टी प्रयोग में लानी चाहिए। जैसे किसी खेत की मिट्टी ,किसी मंदिर परिसर से मिट्टी ,तालाब की मिट्टी ,पहाड़ो की मिट्टी या किसी ऐसे स्थान की मिट्टी जहा उस मिट्टी में गन्दगी नहीं मिलती हो। वंहा की मिट्टी को एक थैले में भरकर के ले आये।
शिवलिंग के लिए मिट्टी को तैयार कैसे करे
- सबसे पहले बाहर से लाइ गयी मिट्टी को धूप में में सूखा ले जिससे की उसमे अगर कोई जीव या चींटिया है तो वह बाहर निकल जाए।
- उसके बाद मिट्टी को अगर ढेले के रूप में है तो उसे भूर-भूरा कर ले।
- इसके बाद मिट्टी को चलनी की सहायता से छान ले।
- मिट्टी को छानने के बाद उसमे आवश्यकता अनुसार पानी मिलाये और जैसा हम आटे को गूथते है वैसा उस मिट्टी को भी एक समान करे।मिट्टी को एक पात्र जैसे पूजा की थाली या कोई अन्य थाली में रख ले।
- शिवलिंग में पानी आप किसी पवित्र नदी का ले तो अच्छा होगा अगर आपके आसपास नदी नहीं है तो आप मार्केट से गंगा जल ला सकते है। अगर यह भी नहीं है तो आप बोतल वाला पानी भी ला कर उपयोग कर सकते है। और सबसे अच्छा यह है की जिस समय आपके घर नल आते हो उस समय आप पानी को छान कर अलग से रख लीजिये।
पार्थिव शिवलिंग कैसे बनाएं
सबसे पहले शिवलिंग का निर्माण कर लीजिये। इसके लिए आपको मिट्टी को रोल करके उसे एक आकार देना होगा।
अब आप योनि या शक्ति स्थान(जलाधारी) जो शिवलिंग का परिसर होता है उसका निर्माण कर लीजिये।

अब आप वासुकि नाग का निर्माण कर लीजिये।
अब शिवलिंग ,शक्ति(जलाधारी) और नाग को जोड़ दीजिये। और गीली मिट्टी का लेप इस पुरे निर्माण पर लगा दीजिये ताकि यह जोड़ कंही से नजर ना आये।और सूखने के लिए रख दीजिये।
सुखजाने के पश्चात हम थोड़ी और गीली मिट्टी का लेप इस पर लगा देते है ताकि कोई दरार इसमें आई हो तो वह नजर ना आये।

अब यह मिट्टी से निर्मित पार्थिव शिवलिंग पूजन हेतु तैयार है। हम जब भी शिवलिंग का पूजन करना चाहते है उस समय शिवलिंग का निर्माण एक-दो दिन पहले ही कर लेना चाहिए।

ध्यान रहे की शिवलिंग का आकर एक अंगुल से छोटा न रहे और १२ अंगुल से बड़ा न हो क्योंकि १२ अंगुल से बड़ी मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया जाता है। मंदिर में जो मुर्तिया होती है वो प्राण प्रतिष्ठित मुर्तिया होती है वह उस स्थान पर स्थापित हो जाती है और जिन्हे दोबारा उस स्थान से हटाया नहीं जाता इसलिए इनका आकर बड़ा होता है। लेकिन पार्थिव शिवलिंग का आकार १२ अंगुल से छोटा होना चाहिए क्योंकि यह चल प्रतिष्ठित मूर्ति है इन्हे आप कही भी ले जा सकते है और इनका विसर्जन किया जाता है।
यह भी जाने :मिट्टी के शिवलिंग के पूजन की संपूर्ण विधि।
पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन किस स्थान पर करे
- मिट्टी के शिवलिंग का विसर्जन करने से पहले आपने जो -जो सामग्री शिवलिंग पर समर्पित की है जैसी जल-दूध जो तरल रूप में थाली में एकत्रित है उसे किसी पात्र में निकाल ले ताकि वह बिखरे न।
- अतिरिक्त फूल माला को निकाल कर अलग कर ले चाहे तो आप इन्हे पौधो में या खाद के रूप में उपयोग कर सकते है।
- उसके बाद संपूर्ण थाली (जिसमे पार्थिव शिवलिंग है) को लेकर किसी नदी या तालाब जिसका पानी साफ हो में विसर्जित करे।
- अब जो दूध -दही वाली पंचामृत सामग्री जिसे हमने अलग पात्र में एकत्रित किया था उसे भी जल में प्रवाहित कर दे। अगर थोड़े बहुत फूल है तो उन्हें भी प्रवाहित कर दे।
- अब समस्या तब आती है जब आपके घर के आस पास कोई नदी तालाब न हो ऐसी स्थिति में आप मिट्टी के शिवलिंग को किसी पेड़ के पास गड्डा करके उसमे दबा दे। आपको कई मंदिरो में पेड़ मिल जायेंगे। और जो पूजन सामग्री जैसे फूल;माला है उसे मंदिर के पुजारी से पूछकर उस स्थान पर रख दे।
हमने हमारी इस पोस्ट पार्थिव शिवलिंग कैसे बनाएं को अपने अनुभव से बताया। मिट्टी के शिवलिंग जिसे हम पार्थिव शिवलिंग के नाम से जानते है इसकी महिमा भी अन्य शिवलिंग की तरह ही है। अगर आपके आस पास मंदिर नहीं है या मंदिर में भीड़ ज्यादा हो तो यह पार्थिव शिवलिंग आपके लिए श्रेष्ठ है। आप अपने परिवार के साथ इसका पूजन विधि विधान से कर सकते है।
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FAQ:
शिवलिंग निर्माण में कौन से मिट्टी प्रयोग में लाये ?
शिवलिंग निर्माण में शुद्ध स्थान की मिट्टी प्रयोग में लानी चाहिए। जैसे किसी खेत की मिट्टी ,किसी मंदिर परिसर से मिट्टी ,तालाब की मिट्टी ,पहाड़ो की मिट्टी या किसी ऐसे स्थान की मिट्टी जहा उस मिट्टी में गन्दगी नहीं मिलती हो।
पार्थिव शिवलिंग कितने बनाने चाहिए?
श्रावण मास में पूजन के समय 1001 शिवलिंग का महत्व है। श्रावण के महीने में कम से कम 11 हर सोमवार बनाना चाहिए।
पार्थिव शिवलिंग कब बनाना चाहिए?
श्रावण मास में पार्थिव शिवलिंग बनाने और पूजन का विशेष महत्व है।शिवरात्रि पर भी इसका निर्माण किया जाता है।
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