पद्म कालसर्प दोष क्या है |Padam Kaal Sarp Dosh In Hindi

Padam Kaal Sarp Dosh In Hindi: 12 काल सर्प दोषो में पदम (पद्म) काल सर्प दोष पांचवे स्थान पर आता है। जिसमे राहु पंचम स्थान पर होता है। पद्म काल सर्प दोष में व्यक्ति को अपयश मिलने की संभावना होती है। व्यक्ति को संतान सुख मिलने में समस्या होती है। इस योग के प्रभाव से धन लाभ में रूकावट, उच्च शिक्षा में बाधा होने की संभावना होती है।

पद्म कालसर्प दोष क्या है, what is padam kaal sarp dosh in hindi

पद्म कालसर्प दोष कब बनता है

यह दोष तब बनता है जब राहु पंचम भाव में और केतु एकादश भाव में होता है।और इनके मध्य में सारे ग्रह विराजमान हो जाये। अगर कोई एक ग्रह इनसे बाहर है और 6-8-12 में विराजमान है तो वह आंशिक पद्म काल सर्प दोष होगा।

Padma Kaal Sarp Dosh kundali example

राहु पंचम स्थान होने पर संतान के कारकत्वों में कमी देगा ,राहु की सप्तम दृष्टि एकादश भाव में होगी जो लाभ के क्षेत्र को प्रभाविक करेगी।
राहु की पंचम दृष्टि भाग्य स्थान पर होगी जिससे यह भाग्य के कारकत्वों को प्रभावित करेगी।
केतु की नवम दृष्टि सप्तम स्थान पर होगी जिससे यह विवाह और साझेदारी और सप्तम भाव के कारको को प्रभावित करेगी।

पद्म कालसर्प दोष के लक्षण (Padam Kaal Sarp Dosh Effects)

  • पद्म कालसर्प दोष के कारण जातक के विद्या अध्ययन में कुछ व्यवधान उपस्थित होता है। यह दोष छात्रों के लिए विशेष रूप से हानिकारक है। क्योंकि वे पढ़ाई में नहीं बना पाते और हानिकारक कार्यों में लिप्त हो सकते हैं। इसलिए इस दौरान माता-पिता को अपने बच्चों पर नजर रखनी चाहिए।
  • बड़ों के लिए यह दोष करियर में आपकी प्रगति में बाधा डाल सकता है।
  • इन्हे संतान प्राय: विलंब से प्राप्त होती है या संतान होने में आंशिक रूप से व्यवधान उपस्थित होता है। जातक को पुत्र संतान की प्राय: चिंता बनी रहती है।क्योंकि पंचम भाव पर केतु की दृष्टि संतान भाव के कारकत्व में कमी ला देती है।
  • जातक का स्वास्थ्य कभी-कभी असामान्य हो जाता है।
  • इस दोष (Padam Kaal Sarp Dosh) के कारण दाम्पत्य जीवन सामान्य होते हुए भी कभी-कभी अधिक तनावपूर्ण हो जाता है।
  • केतु के लिए इन्हे गणेश जी की आराधना करनी चाहिए। क्योंकि केतु की दृष्टि विवाह भाव यानि सप्तम पर भी होती है।
  • परिवार में जातक को अपयश मिलने का भी भय बना रहता है।
  • जातक के मित्रगण स्वार्थी होते हैं और वे सब उसका पतन कराने में सहायक होते हैं।
  • जातक को तनावग्रस्त जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
  • इस दोष के प्रभाव से जातक के गुप्त शत्रू भी होते हैं। वे सब उसे नुकसान पहुंचाते हैं।
  • उसके लाभ मार्ग में भी आंशिक बाधा उत्पन्न होती रहती है एवं चिंता के कारण जातक का जीवन संघर्षमय बना रहता है।
  • जातक द्वारा अर्जित सम्पत्तिा को प्राय: दूसरे लोग हड़प लेते हैं।
  • जातक को व्याधियां भी घेर लेती हैं। इलाज में अधिाक धन खर्च हो जाने के कारण आर्थिक संकट उपस्थित हो जाता है।
  • जातक वृध्दावस्था को लेकर अधिक चिंतित रहता है एवं कभी-कभी उसके मन में संन्यास ग्रहण करने की भावना भी जागृत हो जाती है।

पद्म कालसर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है (Padam Kaal Sarp Dosh Time Period)

ऐसा माना जाता है की पद्म कालसर्प दोष व्यक्ति के जीवन को जन्म से 48 वर्ष तक प्रभावित करता है। इस दोष का प्रभाव कितना होगा यह इस बात पर निर्भर करता है की अन्य ग्रह जैसे मंगल ,गुरु ,शुक्र कितने पीड़ित है अगर पीड़ित है तो विवाह में समस्या होगी तथा चन्द्रमा पीड़ित है तो मानसिक समस्या जैसे अवसाद की स्थिति भी बन सकती है।

इसके बाद इस दोष (Padam Kaal Sarp Dosh) का प्रभाव कम होने लग जाता है। लेकिन 48 वर्ष की उम्र तक व्यक्ति का जीवन काफी अव्यवस्थित हो जाता है कार्य ,रोजगार आदि प्रभावित हो जाता है ।

पद्म कालसर्प दोष सकारात्मक पहलु (Padam Kaal Sarp Dosh Positive Effects)

पद्म काल सर्प दोष में सबकुछ होने के बाद भी एक समय ऐसा आता है कि यह जातक आर्थिक दृष्टि से बहुत मजबूत होता है, समाज में मान-सम्मान मिलता है और कारोबार भी ठीक रहता है यदि यह जातक अपना चाल-चलन ठीक रखें, मध्यपान न करें तो उपरोक्त कालसर्प प्रतिकूल प्रभाव लागू नहीं होते हैं।

पद्म कालसर्प दोष के उपाय (Padam Kaal Sarp Dosh Remedies)

अगर आपकी कुंडली में पदम काल सर्प दोष है तो आप निम्न सामान्य उपाय अपना सकते है-

  • शुभ मुहूर्त में मुख्य द्वार पर चांदी का स्वस्तिक एवं दोनों ओर धातु से मिर्मित नाग चिपका दें।
  • मंगलवार के दिन घर के मुख्य द्वार पर तांबे से बनी नागिन को लाल वस्त्र में बांधकर रखें।
  • शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से व्रत प्रारंभ कर 18 शनिवारों तक व्रत करें और काला वस्त्रा धारण कर 18 या 3 माला राहु के बीज मंत्रा का जाप करें। फिर एक बर्तन में जल दुर्वा और कुशा लेकर पीपल की जड़ में चढ़ाएं। भोजन में मीठा चूरमा, मीठी रोटी, समयानुसार रेवड़ी तिल के बने मीठे पदार्थ सेवन करें और यही वस्तुएं दान भी करें। रात में घी का दीपक जलाकर पीपल की जड़ में रख दें। नाग पंचमी का व्रत भी अवश्य करें।
  • नित्य प्रति हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें और हर शनिवार को लाल कपड़े में 8 मुट्ठी भिंगोया चना व 11 केले सामने रखकर हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और उन केलों को बंदरों को खिला दें।
  • श्रावण के महीने में प्रतिदिन स्नानोपरांत 11 माला ‘नम: शिवाय’ मंत्र का जप करने के उपरांत शिवजी को बेलपत्र व गाय का दूध तथा गंगाजल चढ़ाएं तथा सोमवार का व्रत करें।
  • पद्म कालसर्प दोष होने पर श्राद्ध पक्ष के किसी भी दिन से प्रारंभ करते हुए 40 दिनों तक रोज सरस्वती चालीसा का पाठ करें।
  • जरूरतमंदों को पीले वस्त्र का दान करें।
  • घर में चांदी से बना ठोस हाथी रखना चाहिए.
  • अगर घर में तुलसी का पौधा नहीं है तो तुलसी का पौधा लगाएं।
  • किसी भी मंगलवार को दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में तांबे के साथ सवा सात का त्रिकोणीय मूंगा रत्न धारण करें।लेकिन इसके लिए कुंडली का विश्लेषण जरूर करवा लीजिये।
  • शनिवार के दिन किताबों में मोर पंख रखें।
  • विद्यार्थियों को शिक्षा के लिए उचित मार्गदर्शक की सलाह लेनी चाहिए।
  • अगर पद्म काल सर्प दोष (पदम) में व्यक्ति के स्वास्थ की हानि हो रही हो तो उसे काल सर्प दोष की पूजा करनी चाहिए।
  • कमजोर कारक ग्रहो के रत्नो को अभिमंत्रित कर धारण करना चाहिए।
  • राहु केतु के रुद्राक्ष जो ८ मुखी और ९ मुखी होते है उन्हें धारण करना चाहिए।
  • अपने गले में सोमवार, मंगलवार और शनिवार के दिन लाल धागे में 8 मुखी रुद्राक्ष 2 दाने , 9 मुखी रुद्राक्ष 2 दाने और 5 मुखी रुद्राक्ष 1 दाना और 12 मुखी रुद्राक्ष 1 दाना को कवच के रूप में धारण करें। अवश्य कष्टों से छुटकारा मिलेगा।
  • अपनी स्त्री के साथ समस्त रीति-रिवाजों के साथ दूसरी बार शादी करें।
  • राहु केतु के बीज मंत्रो का जाप शाम के समय करना चाहिए।

अगर आप को पदम कालसर्प दोष (Padam Kaal Sarp Dosh) के संकेत अपनी कुंडली में मिलते है और आपको जीवन में कोई समस्या नहीं हो रही तो आप इसके लक्षणों को पढ़ कर घबराये नहीं। ऐसा न सोचे की यह मेरी जिंदगी में भी होगा। यह दोष की सामान्य स्थिति होती है। काल सर्प दोष में कुंडली की अन्य स्थितियां भी निर्भर करती है। अगर कोई ग्रह बलवान है और अन्य षोडश कुंडलियों में स्थिति अलग है तो फिर इस दोष का प्रभाव नहीं होगा।

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