Shani Grah Ke Upay शनि ग्रह को मजबूत करने के उपाय और मंत्र

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Shani Grah Ke Upay: शनि ग्रह को यमाग्राज , छायानन्दन , सूर्यपुत्र , काकध्वज आदि नाम से भी जाना जाता है। शनि सूर्य देव के पुत्र है और इनकी माता का नाम छाया है। शनि को अशुभ और दुख कारक माना जाता है। शनि को मोक्ष देने वाला ग्रह भी मन जाता है। शनि कुंडली में कर्म स्थान का स्वामी होता है। लेकिन शनि कुंडली में कमजोर होने पर जीवन में विभिन्न समस्याओ का सामना करना पड़ता है। आइये देखते है शनि ग्रह को मजबूत बनाने के उपाय कौन से है।

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शनि ग्रह के बारे में जानकारी (Shani grah in astrology)

शनि प्रकृति में संतुलन बनाए रखते है। वह हर एक प्राणी के साथ न्याय करते है।

फ़लित ज्योतिष शास्त्रो में शनि अनेक नामों से सम्बोधित है, जैसे मन्दगामी, सूर्य-पुत्र, शनिश्चर इत्यादि। पुष्य,अनुराधा और उत्तराभाद्रपद शनि के नक्षत्र है तथा दो राशियों मकर और कुम्भ के वह स्वामी है। वें सूर्य,चन्द्र व मंगल को शत्रु एवं बुध व शुक्र को अपना मित्र मानते है तथा गुरु के प्रति सम भाव रखते है। शारीरिक रोगों में शनि को वायु विकार,कंप, हड्डी व दंत रोगों का कारक माना गया है। शनि के सात वाहक: हाथी, घोड़ा, हिरण, गधा, कुत्ता, भैंसा और गिद्ध है। उनकी पत्नी नीलादेवी है।

भारत के प्रायः हर शहर में शनि के मंदिर स्थापित है। इनमें महाराष्ट्र प्रांत के शनि शिंगणापुर मंदिर सुप्रसिद्ध है। शनि की पुजा के लिए शनिवार शुभ दिन है।

शनि ग्रह के मंत्र (Shani Grah Mantra)

शनि ग्रह की शांति के लिए शनि के मंत्रो की प्रधानता रही है शनि की शांति के लिए निम्न मंत्र है-

शनि वैदिक मंत्र (Vedic Mantra)

ॐ शन्नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शंयोरभिस्र वन्तु न:। ॐ शनैश्चराय नम:।

नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्
छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥”

शनि वैदिक मंत्र का तेईस हजार (23000) जप करना चाहिए।

शनि तात्रिंक मंत्र : (Tantrik Mantra)

ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः।
ॐ शं शनैश्चराय नमः।

शनि के किसी भी तांत्रिक मंत्र का बानवे हजार (92000) जप करना चाहिए।

शनि गायत्री मंत्र: (Gayatri Mantra)

ॐ भग भवाय विद्यहे मृत्युरूपाय धीमहि तन्नः शनि प्रचोदयात्।

शनि ग्रह के उपाय (Shani grah ke upay)

आराध्य देवी

शनि ग्रह के लिए आराध्य देव हनुमान जी तथा शनि देव है।

शनि के लिए हवन

शनि ग्रह की शांति के लिए संध्या समय शमी समिधा (लकड़ी) से हवन करना चाहिए। ॐ षौं षीं षौं स: शनैश्चयराय स्वाहा।

शनि के लिए दान

शनि के दानो में तेल, नीलम, तिल, काला कपड़ा, कुलथी, लोहा, भैंस, काली गाय, काला फूल, काले जूते, कस्तूरी, सोना, लौह पात्र, सप्त धान्य, जौ आदि। शनि ग्रह की शांति के लिए दान देते समय ध्यान रखें कि संध्या काल हो और शनिवार का दिन हो तथा दान प्राप्त करने वाला व्यक्ति ग़रीब और वृद्ध हो.

अगर शनि अशुभ फल दे रहा है तो शनि का उपरत्न, 800 ग्राम काली साबुत उड़द, इतना ही सरसों का तेल आठ स्टील के बर्तन, 800 ग्राम कुल्थी, काला तथा सफ़ेद नमक, हवन सामग्री, आठ लोहे की बड़ी कीले, आठ 1 रुपए के सिक्के, सुरमा तथा काजल, काले वस्त्र, भैंस का खिलौना, पांच फल, गुड, काले पुष्प, कम्बल, चमड़े के जूते, छाता तथा कुछ दक्षिणा दोपहर के समय दान करें।

शनि के लिए औषधि स्नान

शनि ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए शनि से संबंधित जड़ी बूटियों व औषधियों से स्नान करने का विधान है। यह स्नान सप्ताह में एक बार (शनिवार) किया जाता है।

शतपुष्पी, सौंफ, लोधा, खस, लोबान, सुरमा, धमनी, काले तिल, गोंद, शतुकुसुम, खरेंटी, खिल्ला मिश्रित जल से स्नान करने से शनि पीड़ा का निवारण होता है| औषधियों को अभीष्ट दिन से पूर्व रात्रि में शुद्ध जल में भिगो दें तथा अगले दिन उन्हें छान कर छने हुए द्रव्य को स्नान के जल में मिला कर स्नान करें।

शनिवार व्रत

शनिवार व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से प्रारंभ करना चाहिए। व्रत के दिन उपासक स्नान करके, काला वस्त्र धारण कर शनि के बीज मंत्र का 108 दाने की स्फटिक या रुद्राक्ष की माला से 3 या 19 माला जप करें। उसके बाद एक थाल में जल, काला तिल, काला या नीला फूल, लौंग, गंगा जल, चीनी, दूध पूर्वाभिमुख हो कर पीपल की जड़ में डालें और तिल के तेल का दीपक जलावें। रात में काली उड़द की दाल की खिचड़ी स्वयं खाएं और दूसरों को भी खिलावें।

ग्रह पीड़ा निवृत्ति हेतु शनि यंत्र (Shani Yantra)

भोजपत्र पर काली स्याही अनार की कलम से शनिवार को प्रातः काल लिख कर, पंचोपचार पूजन कर लौह पत्र पर शनिवार को उत्कीर्ण करा कर काले धागे में गूंथ कर गले या बांह में धारण करना चाहिए।

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शनि के लिए रत्न धारण (gemstone for Shani)

नीलम रत्न को चांदी या सोने में अंगूठी बनवाकर , पंचोपचार पूजन कर तथा ब्राह्मण से प्राण प्रतिष्ठा करा कर शनि की उंगली में (मध्यमा) शनिवार को शयन के पूर्व भोजन के बाद धारण करना चाहिए।

शनि का उपरत्न जमुनिया और लाजवर्त को भी धारण किया जा सकता है।

पत्रिका लग्न में शनि अकारक तो नीलम के स्थान पर बिना जोड़ का लोहे का छल्ला पहनें।

शनि के लिए रुद्राक्ष

नौमुखी रुद्राक्ष को चांदी में जड़वा कर लाल धागे में शिवजी के भैरव रूप की पूजा-ध्यान कर शनिवार को धारण करना चाहिए।
तथा सात मुखी रुद्राक्ष नेपाली धारण करना चाहिए।

शनि के लिए औषधि धारण

शमी मूल (जड़) को काले कपड़े या नीले कपड़े में बांध कर सीधे हाथ में धारण करना चाहिए।

शनि के लिए सामान्य उपाय Shani Grah Ke Upay Remedies

  • पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ एवं शनि देव की स्तुति करें।
  • द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम का स्मरण करना चाहिए तथा शनिदेव के दस नाम का मानसिक उच्चारण करना चाहिए ।
  • हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, सुंदरकांड का पाठ और ॐ हनु हनुमते नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है |
  • शिवजी की भैरव रूप की अराधना करें।
  • शनिवार के दिन भगवान शिव को शिव षड़ाक्षरी मंत्र नम: शिवाय बोलते हुए जल से अभिषेक कर गंध, अक्षत, फूल चढ़ाएं साथ ही खासतौर पर काले तिल अर्पित करें। शिव को सफेद मिठाई का भोग लगाकर घी के दीप से आरती कर शनि दशा के बुरे प्रभाव से मुक्ति की कामना करें।
  • इसी तरह दूसरा उपाय है कि ऊपर बताए तरीके से ही शिव पूजा में शिव मंत्र बोलकर 108 आंकडे के फूल हर रोज अर्पित करें। खासतौर पर शनिवार और सोमवार का दिन न चूकें।
  • शनिअष्टक का पाठ करें।
  • शनिवार के दिन 108 तुलसी के पत्तों पर श्री राम चन्द्र जी का नाम लिखकर, पत्तों को सूत्र में पिरोयेऔर माला बनाकर श्री हरि विष्णु के गले में डालें। जिन पर शनि का कोप चल रहा हो वह भी इस मालार्पण के प्रभाव से कोप से मुक्त हो सकते हैं।
  • शनि देव को नीले लाजवंती का फूल, तिल, तेल, गु़ड़ अर्पण करना चाहिए।

आप अपनी कुंडली की स्थिति को देखकर शनि के विभिन्न उपायों को प्रयोग में ला सकते है। शनि के उपाय (Shani Grah Ke Upay) से सम्बन्धी किसी भी जानकारी के लिए आप कमेंट कर सकते है। अगर आपको पोस्ट पसंद आयी हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।

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