शंखचूड़ कालसर्प दोष क्या है (Shankhachur Kaal Sarp Dosh in Hindi)

Shankhachur Kaal Sarp Dosh in Hindi:12 कालसर्प दोषो में शंखचूड़ कालसर्प दोष का स्थान 9वा है। शंखचूड़ शब्द का उल्लेख प्राचीन शिव कथा में मिलता है जंहा शंखचूड़ नाम का दानव हुआ करता था जिसे जालंधर नाम से भी जाना जाता है जो शिवजी के क्रोध से उत्त्पन्न हुआ था और जिसके गुरु शुक्राचार्य थे। जालंधर का विवाह वृंदा से हुआ था। शिव ने शंकचूर (जालंधर) का वध किया था।

शंखचूड़ कालसर्प दोष क्या है,shankhchur kaal sarp dosh in hindi

शंखचूड़ कालसर्प योग में केतु तृतीय भाव में और राहु नवम भाव में होता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति जीवन में सुखों नहीं भोग पाता है। ऐसे लोगों को पिता का सुख नहीं मिलता है और इन्हें कारोबार में अक्सर नुकसान उठाना पड़ता है।

शंखचूड़ कालसर्प दोष कब बनता है (Shankhachur Kaal Sarp Dosh in kundali)

शंखचूड़ कालसर्प दोष वासुकि कालसर्प दोष के ठीक विपरीत कुंडली में बनता है। यानि इसमें केतु तृतीय स्थान में होता है और राहु नवम स्थान में होता है और सारे ग्रह इनके बीच में आ जाते है। कभी कभी कोई एक ग्रह इनसे बाहर होने पर और अशुभ भाव में होने पर आंशिक शंखचूड़ कालसर्प दोष (Shankhachur Kaal Sarp Dosh) भी मान लिया जाता है।

Shankhachur kaal sarp dosh example kundali

केतु की पंचम दृष्टि सप्तम स्थान पर होती है जो विवाह और साझेदारी को प्रभावित करती है। सप्तम दृष्टि भाग्य को प्रभावित करती है और नवम दृष्टि लाभ यानि एकादश भाव को प्रभावित करती है।

वंही राहु की पंचम दृष्टि व्यक्ति के लग्न यानि शरीर के ऊपरी हिस्से को प्रभावित करती है। राहु की सप्तम दृष्टि तृतीया स्थान यानि पराक्रम और छोटे भाई बहन से सम्बन्ध को प्रभावित करती है। राहु की नवम दृष्टि पंचम भाव यानि संतान पक्ष और उच्चा शिक्षा को प्रभावित करती है।

शंखचूड़ कालसर्प दोष के लक्षण (Shankhachur Kaal Sarp Dosh Effects)

  • शंखचूड़ कालसर्प दोष से ग्रसित जातक के परिवार और घर में बहुत कष्ट हो सकता है।
  • इस अवधि में यह सुझाव दिया जाता है कि आप अपने परिवार पर ध्यान केंद्रित करें और लेन-देन में लिप्त न हों, जिसका आपको निकट भविष्य में पछतावा होगा।
  • इस योग (Shankhachur Kaal Sarp Dosh) से पीड़ित जातकों का भाग्योदय होने में अनेक प्रकार की अड़चने आती रहती हैं।
  • व्यावसायिक प्रगति, नौकरी में प्रोन्नति तथा पढ़ाई-लिखाई में वांछित सफलता मिलने में जातकों को कई प्रकार के विघ्नों का सामना करना पड़ता है।
  • इसके पीछे कारण वह स्वयं होता है क्योंकि वह अपनो का भी हिस्सा छिनना चाहता है।
  • केतु की नवम दृष्टि होने से अचानक लाभ या नुकसान हो सकता है।
  • अपने जीवन में धर्म से खिलवाड़ करता है।
  • केतु की पंचम दृष्टि होने से विवाह होने में परेशानी आ सकती है।
  • राहु की नवम दृष्टि होने से संतान से जुडी समस्या या संतान होने में विलम्ब हो सकता है।
  • अत्याधिक आत्मविश्वास के कारण सारी समस्या उसे झेलनी पड़ती है।
  • अधिक सोच के कारण शारीरिक व्याधियां भी उसका पीछा नहीं छोड़ती।
  • इन सब कारणों के कारण सरकारी महकमों व मुकदमेंबाजी में भी उसका धन खर्च होता रहता है।
  • उसे पिता का सुख तो बहुत कम मिलता ही है, वह ननिहाल व बहनोइयों से भी छला जाता है।
  • मित्र भी धोखाबाजी करने से बाज नहीं आते।
  • वैवाहिक जीवन आपसी वैमनस्यता की भेंट चढ़ जाता है।
  • हर बात के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ता है।
  • उसे समाज में उचित मान-सम्मान भी नहीं मिलता।

शंखचूड़ कालसर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है (Shankhachur Kaal Sarp Dosh Time Period)

ऐसा माना जाता है की शंखचूड़ कालसर्प दोष (Shankhachur Kaal Sarp Dosh) व्यक्ति के जीवन को जन्म से 36 वर्ष तक प्रभावित करता है। इस दोष का प्रभाव कितना होगा यह इस बात पर निर्भर करता है की अन्य ग्रह जैसे मंगल ,गुरु ,शुक्र कितने पीड़ित है अगर पीड़ित है तो विवाह में समस्या होगी तथा चन्द्रमा पीड़ित है तो मानसिक समस्या जैसे अवसाद की स्थिति भी बन सकती है।

शंखचूड़ कालसर्प योग सकारात्मक पहलु (Shankhachur Kaal Sarp Dosh Positive Effects)

इस दोष की अच्छी बात यह है कि इस दोष में जन्म लेने वाले लोगों की मनोकामनाएं आमतौर पर पूरी हो जाती है लेकिन इन इच्छाओ को पूर्ण होने में समय लग सकता है।

शंखचूड़ कालसर्प दोष के उपाय (Shankhachur Kaal Sarp Dosh Remedies)

  • इस शंखचूड़ कालसर्प दोष (Shankhachur Kaal Sarp Dosh ke upay) की परेशानियों से बचने के लिए संबंधिात जातक को किसी महीने के पहले शनिवार से शनिवार का व्रत इस योग की शांति का संकल्प लेकर प्रारंभ करना चाहिए और उसे लगातार 86 शनिवारों का व्रत रखना चाहिए। व्रत के दौरान जातक काला वस्त्र धारण करें श्री शनिदेव का तैलाभिषेक करें, राहु बीज मंत्रा की तीन माला जाप करें। जाप के उपरांत एक बर्तन में जल, दुर्वा और कुश लेकर पीपल की जड़ में डालें। भोजन में मीठा चूरमा, मीठी रोटी, रेवड़ी, तिलकूट आदि मीठे पदार्थों का उपयोग करें। उपयोग के पहले इन्हीं वस्तुओं का दान भी करें तथा रात में घी का दीपक जलाकर पीपल की जड़ में रख दें।
  • महामृत्युंजय कवच का नित्य पाठ करें और श्रावण महीने के हर सोमवार का व्रत रखते हुए शिव का रुद्राभिषेक करें।
  • शंखचूड़ कालसर्प दोष की शांति के लिए कालसर्प दोष पूजा करवाए।
  • विवाह के लिए शिव जी का केसर मिले दूध से अभिषेक कीजिये।
  • विवाह के लिए शिव परिवार की पूजा कीजिये।
  • केतु को शुभ करने के लिए गणेश जी की आराधना और गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ कीजिये।
  • स्वास्थ अगर ख़राब है या सिर से सम्बंधित कोई समस्या है तो माँ दुर्गा की आराधना और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ कीजिये। आप इनके मंत्रो को नित्य सुन भी सकते है।
  • शंखचूड़ नामक कालसर्प दोष की शांति के लिए श्राद्ध के किसी भी दिन रात को सोने से पहले सिरहाने के पास जौ रखें और उसे अगले दिन पक्षियों को खिला दें।
  • पांच मुखी, आठ मुखी या नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
  • गुरूवार को दोपहर में पीले धागे में पंचमुखी रुद्राक्ष गले में धारण करें
  • अपने गले में सोमवार, मंगलवार और शनिवार के दिन लाल धागे में 8 मुखी रुद्राक्ष 2 दाने , 9 मुखी रुद्राक्ष 2 दाने, 10 मुखी रुद्राक्ष 1 दाना और 13 मुखी रुद्राक्ष 1 दाने का कवच बना कर धारण करे।
  • चांदी या अष्टधातु की सर्प वाली अंगूठी हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करें।
  • किसी शुभ मुहुर्त मेंअपने मकान के मुख्य दरवाजे पर चांदी का स्वस्तिक एवं दोनों ओर धातु से निर्मित नाग चिपका दें।
  • प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और प्रत्येक सोमवार का व्रत करें।
  • शनिवार के दिन उर्जावान चांदी का राहु यंत्र अपने गले में धारण करें।

उपरोक्त उपाय से भी अगर कार्य नहीं बन रहे तो अन्य ग्रहो की स्थितियों को भी देखिये क्या कोई ग्रह कमजोर है या पीड़ित है तो उसे मजबूत कीजिये। इसके साथ ही किसी अच्छे ज्योतिष से अपनी कुंडली का अध्ययन जरूर कराइये।

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