वासुकि कालसर्प दोष क्या है | Vasuki Kaal Sarp Dosh in Hindi

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Vasuki Kaal Sarp Dosh in Hindi:वासुकी प्रसिद्ध नाग हैं जो महर्षि कश्यप के पुत्र थे जो कद्रु के गर्भ से उत्त्पन्न हुए थे । वासुकि ने ही समुद्रमंथन में सुमेरु पर्वत को बांधने का कार्य किया था और यही वासुकि शिव जी के गले पर निवास करता है। राहु के तृतीय स्थान पर होने पर वासुकि शब्द को वासुकि कालसर्प दोष को परिभाषित करने के लिए प्रयोग किया गया।यह योग तब बनता है जब जन्म कुंडली में राहु तृतीय भाव में और केतु नवम भाव में होता है। वासुकि कालसर्प योग से पीड़ित व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिलता और उनका जीवन संघर्षमय गुज़रता है। साथ ही नौकरी व्यवसाय में भी परेशानी बनी रहती है।

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वासुकि कालसर्प दोष कब बनता है (Vasuki Kaal Sarp Dosh in Kundali)

वासुकी कालसर्प दोष (Vasuki Kaal Sarp Dosh) तब बनता है जब जातक की कुण्डली में राहु तीसरे भाव में होता है और दूसरी ओर केतु नौवें स्थान पर विराजमान होता है। तीसरे भाव में राहु होने पर पराक्रम और भाई बहन और इस भाव के कारकत्व को प्रभावित करते है। अपने से छोटे भाई बहन से झगङा होना आम है। इसके बाद राहु की पंचम दृष्टि सप्तम स्थान पर होगी जिससे विवाह और साझेदारी दोनों प्रभावित होगी। राहु की सप्तम दृष्टि नवम स्थान पर होगी जंहा से भाग्य देखा जाता है यह भाग्य को भी प्रभावित करता है। राहु की नवम दृष्टि एकादश स्थान पर होगी जो लाभ स्थान है और उस स्थान को प्रभावित करेगी।

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इसके बाद केतु भाग्य स्थान का स्वामी है जो भाग्य को अवरूद्ध करेगा। केतु की पंचम दृष्टि लग्न पर होगी जो शरीर और चेहरे को प्रभावित करेगी। केतु की सप्तम दृष्टि तीसरे भाव पर होगी यहाँ राहु विराजमान है इसलिए तीसरे भाव से जुड़े फल प्रभावित होंगे। केतु की नवम दृष्टि पंचम भाव पर होगी जो उच्च शिक्षा और संतान का भाव है इसे भी प्रभावित करेगी।

वासुकी कालसर्प दोष (Vasuki Kaal Sarp Dosh) में मंगल और शनि का प्रभाव किन भावो पर कैसा है उसी के अनुसार इस काल सर्प दोष का प्रभाव कम या ज्यादा हो जायेगा। वासुकी कालसर्प दोष का प्रभाव अलग अलग लग्नो पर भिन्न हो सकता है। अगर कोई शुभ ग्रह कमजोर है और वह 8वे या 12वे स्थान में हो तो भी कुछ ज्योतिषी इसे काल सर्प दोष में गिनते है।

वासुकि कालसर्प दोष के लक्षण (Vasuki Kaal Sarp Dosh Effects)

  • यह दोष (Vasuki Kaal Sarp Dosh) न केवल जातक के जीवन में बाधा डालता है, बल्कि उससे संबंधित लोगों जैसे उसके भाई-बहन, माता-पिता, जीवनसाथी आदि के जीवन में भी बाधा डालता है।
  • राहु के तीसरे स्थान पर होने तथा केतु की दृष्टि तीसरे स्थान पर होने से भाई बहनो से मतभेद रहते है। तीसरे स्थान से सम्बंधित फलो में कमी या प्रभाव देखा जा सकता है। इसके साथ ही राहु की दृष्टि भाग्य स्थान पर होने पर भाग्य के फलो में भी कमी देखि जा सकती है। धर्म से भटकना ,अपवित्रता आदि जैसी चीजे देखि जा सकती है।
  • राहु की पंचम दृष्टि सप्तम स्थान पर होने पर विवाह में विघ्न उत्त्पन्न होते है। विवाह का टूट जाना ,सगाई टूट जाना ,विवाह बाद समस्या आदि देखे गए है। अगर व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष भी है तो फिर समस्या और भी बड़ जाती है ऐसे में विवाह हो ही नहीं पाता। लेकिन इस तथ्य के लिए संपूर्ण कुंडली का अध्ययन करना आवश्यक है।
  • राहु की दृष्टि एकादश भाव में होने पर यह लाभ के क्षेत्र को प्रभावित करता है। बड़े भाई से रिश्ता ,पदोन्नति में दिक्कत आदि जैसी चीजे प्रभावित होती है।
  • वंही केतु की पांचवी दृष्टि लग्न पर होने पर यह व्यक्ति के शरीर को प्रभावित करती है जिससे चेहरे पर दाग ,मुंहासे या कोई समस्या आदि देखे जा सकते है।
  • इसके अलावा आपको इस तथ्य का सामना भी करना पड़ता है कि आपके परिवार के सदस्य आपको धोखा दे सकते हैं।
    परिवार में शांति की कमी देखि जाती है और वासुकी कालसर्प दोष के जारी रहने से आर्थिक समस्याओं के बढ़ने से घर में सुख-शांति का अभाव रहता है।
  • यह भी देखा जाता है की रिश्तेदार एवं मित्रगण उसे प्राय: धोखा देते रहते हैं।
  • जातक को समय-समय पर व्याधि ग्रसित करती रहती हैं जिसमें अधिक धन खर्च हो जाने के कारण उसकी आर्थिक स्थिति भी असामान्य हो जाती है।
    अर्थोपार्जन के लिए जातक को विशेष संघर्ष करना पड़ता है, फिर भी उसमें सफलता संदिग्धा रहती है।
  • अगर चन्द्रमा भी पीड़ित है तो चंद्रमा के पीड़ित होने के कारण उसका जीवन मानसिक रूप से उद्विग्न रहता है।
  • इस दोष (Vasuki Kaal Sarp Dosh) के कारण जातक को कानूनी मामलों में विशेष रूप से नुकसान उठाना पड़ता है।
  • राज्यपक्ष से प्रतिकूलता रहती है।
  • जातक को नौकरी या व्यवसाय आदि के क्षेत्रा में निलम्बन या नुकसान उठाना पड़ता है।

वासुकि कालसर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है (Vasuki Kaal Sarp Dosh Time Period)

ऐसा माना जाता है की वासुकि कालसर्प दोष व्यक्ति के जीवन को जन्म से 36 वर्ष तक प्रभावित करता है। इस दोष का प्रभाव कितना होगा यह इस बात पर निर्भर करता है की अन्य ग्रह जैसे मंगल ,गुरु ,शुक्र भी पीड़ित है तो विवाह में समस्या होगी तथा चन्द्रमा पीड़ित है तो मानसिक समस्या जैसे अवसाद की स्थिति भी बन सकती है।

इसके बाद इस दोष (Vasuki Kaal Sarp Dosh Time Period) का प्रभाव कम होने लग जाता है। लेकिन 36 वर्ष की उम्र तक व्यक्ति की शिक्षा प्रभावित हो जाती है।कार्य क्षेत्र में भी अस्थिरता देखि जाती है। अगर विवाह जल्दी हो जाता है तो विवाह बाद समस्या तथा संतान सम्बंधित समस्या आदि को देखा जाता है।

वासुकि कालसर्प दोष सकारात्मक पहलु (Vasuki Kaal Sarp Dosh Positive Effects)

यदि (Vasuki Kaal Sarp Dosh) जातक अपने जन्म स्थान से दूर जाकर कार्य करें तो अधिक सफलता मिलती है। लेकिन सब कुछ होने के बाद भी जातक अपने जीवन में बहुत सफलता प्राप्त करता है। विलम्ब से उत्तम भाग्य का निर्माण भी होता है और शुभ कार्य सम्पादन हेतु उसे कई अवसर प्राप्त होते हैं।

वासुकि कालसर्प दोष के उपाय (Vasuki Kaal Sarp Dosh Remedies)

  • नव नाग स्त्रोत्र का एक वर्ष तक प्रतिदिन पाठ करें।
  • भगवान श्री कृष्ण की पूजा से इस दोष के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।
  • प्रत्येक बुधवार को काले वस्त्रों में उड़द या मूंग एक मुट्ठी डालकर, राहु का मंत्र जप कर भिक्षा मांगने वाले को दे दें। यदि दान लेने वाला कोई नहीं मिले तो बहते पानी में उस अन्न को प्रवाहित करें। 72 बुधवार तक करने से अवश्य लाभ मिलता है।
  • महामृत्युंजय मंत्रों का जाप प्रतिदिन 11 माला रोज करें, जब तक राहु केतु की दशा-अंर्तदशा रहे।
  • हर शनिवार को श्री शनिदेव का तैलाभिषेक करें और मंगलवार को हनुमान जी को चौला चढ़ायें।
  • किसी शुभ मुहूर्त में नागपाश यंत्र को अभिमंत्रित कर धारण करें।
  • वासुकि कालसर्प दोष होने पर रात को सोते समय सिरहाने पर थोड़ा बाजरा रखें और सुबह उठकर उसे पक्षियों को खिला दें।
  • पारिवारिक सुख-शांति के लिए मकान के मुख्य द्वार पर अंदर-बाहर तांबे का स्वस्तिक या गणेश जी की फोटो लगा दे।
  • श्राद्ध के दौरान किसी भी दिन लाल धागे में तीन, आठ या नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
  • अपने गले में सोमवार, मंगलवार और शनिवार के दिन लाल धागे में 8 मुखी रुद्राक्ष के 2 दाने , 9 मुखी रुद्राक्ष के 2 दाने और 4 मुखी रुद्राक्ष का 1 दाना और 11 मुखी रुद्राक्ष का 1 दाना को पिरोकर कवच के रूप में धारण करे।
  • 40 दिनों तक 5 बार हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें।
  • वासुकी कालसर्प योग के लिए शनिवार के दिन चांदी के राहु यंत्र को धारण करें।
  • भगवान् शिव की नित्य पूजा करे उन्हें जल से अभिषेक करे।
  • स्वर्ण की अंगूठी या कोई भी आभूषण धारण करें।
  • श्रावण के महीने में प्रतिदिन 11 माला “ॐ नम: शिवाय” मंत्र का जप करने के उपरांत शिवजी को बिलपत्र व गाय का दूध तथा गंगाजल चढ़ाएं तथा सोमवार का व्रत करें।
  • चारपाई के पायों पर तांबे की कील लगवा लें।
  • जिन लोगो का विवाह नहीं हो रहा हो वो दूध या जल में केसर या हल्दी मिलकर शिवलिंग का अभिषेक करे।

उपरोक्त उपाय के अलावा आप वासुकि कालसर्प दोष के लिए पूजा (Vasuki Kaal Sarp Dosh puja) करवाए।

वासुकि कालसर्प दोष में उपरोक्त लक्षण सामान्य लक्षण है हो सकता है यह दोष आपकी कुंडली में उपस्थित हो और आपका जीवन सामान्य चल रहा हो। क्योंकि कुंडली में ग्रहो की स्थिति और बलाबल कैसा है तथा षोडश वर्ग कुंडली में ग्रहो की स्थिति कैसी है इन पर भी निर्मित होता है। इसलिए अगर यह दोष आपकी कुंडली में है और परेशानी दे रहा है तो इसके उपाय कीजिए अन्यथा इससे डरने की आवश्यकता नहीं है।

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