आपने समुद्रमंथन की कथा तो सुनी होगी जिसमे समुद्रमंथन के दौरान कालकुट (हलाहल) नामक विष निकला था
जिससे देवता और असुर दोनों भयभीत हो गए थे क्योंकि इस विष के कारण पूरी धरती समाप्त हो जाती।
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इसलिए शिवजी ने संसार के कल्याण के लिए कालकुट विष को अपने कंठ में रोककर रखा।
इसी दौरान देवताओ के प्रसन्न हो कर जल से अभिषेक किया जिसे हम बारिश के रूप में कह सकते है।
यह भी कह सकते है की विष की गर्मी को शांत करने के लिए देवताओ ने बारिश कराई हो।
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श्रावण का महीना वर्षा ऋतु का महीना भी होता है।
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