Padma Purana Aditya Hrudayam Stotram Lyrics

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पद्म पुराण के अंतर्गत भी आदित्य ह्रदय स्तोत्र की स्तुति दी गयी है। यह एक सूर्य स्तुति है जो आदित्य ह्रदय स्तोत्र के सम्मान ही है और सूर्य देव की उपासना के लिए बनी है। यह सूर्य स्तुति श्री कृष्णा और अर्जुन के मध्य ऐसा संवाद है जिसमे सूर्य की विशेषताओं और गुणधर्म को अर्जुन से परिचित कराया जाता है।

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पद्मा पुराण श्री कृष्ण अर्जुन संवाद आदित्य ह्रदय स्तोत्र

इस पद्म पुराण आदित्य-हृदय स्तुति का प्रयोग करने की विधि यह है की प्रातःकाल नींद खुलते ही शैय्या (Bed) पर बैठे-बैठे ही भगवान् सूर्य के बारह नामों का पाठ करे। जो इस प्रकार है-

आदित्यः प्रथमं नाम द्वितीयं तु दिवाकरः ।
तृतीयं भास्करः प्रोक्तं चतुर्थं च प्रभाकरः ॥

पञ्चमं च सहस्रांशु षष्ठं चैव त्रिलोचनः ।
सप्तमं हरिदश्वं च अष्टमं तु अहर्पतिः ॥

नवमं दिनकरः प्रोक्तं दशमं द्वादशात्मकः ।
एकादशं त्रिमूर्तिश्च द्वादशं सूर्य एव तु ॥

फल-श्रुति

द्वादशादित्यनामानि प्रातःकाले पठेन्नरः ।
दुःस्वप्नो नश्यते तस्य सर्वदुःखं च नश्यति ॥

दद्रुकुष्टहरं चैव दारिद्र्यं हरते ध्रुवम् ।
सर्वतीर्थकरं चैव सर्वकामफलप्रदम् ॥

यः पठेत् प्रातरुत्थाय भक्त्या स्तोत्रमिदं नरः ।
सौख्यमायुस्तथारोग्यं लभते मोक्षमेव च ॥

इस प्रकार स्तोत्र पाठ कर पूर्व दिशा की ओर हाथ जोड़कर 12 नामों से भगवान् सूर्य को नमस्कार करे। जो इस प्रकार है

भगवान सूर्य के 12 नाम

सूर्यस्य द्वादशनाम नमस्कारम्

  1. ॐ आदित्याय नमः।
  2. ॐ दिवाकराय नमः।
  3. ॐ भास्कराय नमः।
  4. ॐ प्रभाकराय नमः।
  5. ॐ सहस्रांशवे नमः।
  6. ॐ त्रिलोचनाय नमः।
  7. ॐ हरिदश्वाय नमः।
  8. ॐ विभावसवे नमः।
  9. ॐ दिनकराय नमः।
  10. ॐ द्वादशात्मकाय नमः।
  11. ॐ त्रिमूर्तये नमः।
  12. ॐ सूर्याय नमः।

इसके बाद पृथ्वी को नमस्कार कर शैय्या (Bed) से नीचे उतरे और नित्य कर्म से निवृत्त होकर प्रातः-काल अपनी नित्योपासना के बाद निम्न प्रकार ‘आदित्यहृदय’ के न्यास-प्रयोग को करे। पहले हाथ जोड़कर विनियोग पढ़े।

विनियोग

ॐ अस्य श्री आदित्य-हृदय-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीकृष्ण ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्री सूर्य-नारायणो देवता, हरित-हय-रथं दिवाकरं घृणिरिति बीजं, नमो भगवते जित-वैश्वानर जात-वेदसे नमः इति शक्तिः, अंशुमानिति कीलकं, अग्नि कर्म इति मन्त्रः। सर्व-रोग-निवारणाय श्री सूर्यनारायण-प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः II

Aditya Hrudayam Stotram Lyrics in hindi
श्री सूर्य-नारायण

इस श्री आदित्य-हृदय-स्तोत्र-मंत्र के ऋषि श्रीकृष्ण हैं और देवता श्री सूर्य-नारायण हैं जिनके रथ से हरे घोड़े जुड़े है। अंशुमान कुंजी है ,मंत्र अग्नि कर्म है सभी रोगों के निवारण के लिए और श्री सूर्य नारायण की प्रसन्नता के लिए इस विनियोग को जपा जाता है।

स्तवः(भजन)

अर्कं तु मूर्ध्नि विन्यस्य ललाटे तु रविं न्यसेत् ।
विन्यसेत् करयोः सूर्यं कर्णयोश्च दिवाकरम् ॥

नासिकायां न्यसेत् भानुं मुखे वै भास्करं न्यसेत् ।
पर्जन्यमोष्ठयोश्चैव तीक्ष्णं जिह्वान्तरे न्यसेत् ॥

सुवर्णरेतसं कण्ठे स्कन्धयोस्तिग्मतेजसम् ।
बाह्वोस्तु पूषणं चैव मित्रं वै पृष्ठतो न्यसेत् ॥

वरुणं दक्षिणे हस्ते त्वष्टारं वामतः करे ।
हस्तावुष्णकरः पातु हृदयं पातु भानुमान् ॥

स्तनभारं महातेजा आदित्यमुदरे न्यसेत् ।
पृष्ठे त्वर्घमणं विद्यादादित्यं नाभिमण्डले ॥

कट्यां तु विन्यसेद्धंसं रुद्रमूर्वो विन्यसेत् ।
जान्होस्तु गोपतिं न्यस्य सवितारं तु जङ्घयोः ॥

पादयोस्तु विवस्वन्तं गुल्फयोश्च प्रभाकरम् ।
सर्वाङ्गेषु सहस्रांशु दिग्विदिक्षु भगं न्यसेत् ॥

बाह्यतस्तु तमोघ्नंसं भगमभ्यन्तरे न्यसेत् ।
एष आदित्यविन्यासो देवानामपि दुर्लभः ॥

न्यासम्

अब निम्न प्रकार ‘न्यास’ करे –

मूर्घ्नि अर्काय नमः। ललाटे रवये नमः।
करयोः सूर्याय नमः। कर्णयो दिवाकराय नमः।
नासिकायां भानवे नमः। मुखे भास्कराय नमः।
ओष्ठयोः पर्जन्याय नमः। जिह्वायां तीक्ष्णाय नमः।

कण्ठे सुवर्ण-रेतसे नमः। स्कन्धयोः तिग्म-तेजसे नमः।
बाह्वोः पूषणाय नमः। पृष्ठे मित्राय नमः।
दक्ष-हस्ते वरुणाय नमः। वाम-हस्ते त्वष्टारं नमः।
हस्तौ उष्ण-कराय नमः। हृदये भानुमते नमः।

स्तनयोः महा-तेजसे नमः। उदरे आदित्याय नमः।
पृष्ठे अर्घमणाय नमः। नाभौ आदित्याय नमः।
कटयां हंसाय नमः। ऊर्वोः रुद्राय नमः।
जाह्नोः गोपतये नमः। जंघयोः सवित्रे नमः।

पादयोः चिचस्वते नमः। गुल्फयोः प्रभाकराय नमः।
सर्वांगे सहस्रांशवे नमः। दिग्-विदिक्षु भगाय नमः।
बाह्ये तमोघ्नंसाय नमः। अभ्यन्तरे भगाय नमः।

ध्यानम्

इस प्रकार न्यास कर हाथ जोड़कर सूर्य भगवान् का ध्यान करे

भास्वद्-रत्नाढय-मौलिः स्फुरदधर-रुचा-रञ्जितश्चारु-केशो,
भास्वान् यो दिव्य-तेजाः कर-कमल-युतः स्वर्ण-वर्णः प्रभाभिः।

विश्वाकाशावकाशो ग्रह-ग्रहण-सहितो भाति यश्चोदयाद्रौ,
सर्वानन्द-प्रदाता हरि-हर-नमितः पातु मां विश्व-चक्षुः।।

अर्घ्यम्

इस प्रकार ध्यान कर निम्न मन्त्र से सूर्य भगवान् के प्रति तीन अञ्जलि जल किसी पात्र में अर्घ्य-रुप प्रदान करे।

एहि सूर्य सहस्रांशो, तेजो-राशिः जगत्-पते!
अनुकम्पय मां भक्त्या, गृहाणार्घ्यं दिवाकर!

फिर भगवान् सूर्य के मन्त्र का कम से कम 11 बार जप करे।

मन्त्र का जप कर चुकने पर “ॐ घृणिः सूर्य आदित्य” मंत्र का जप करे।

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श्री पद्म पुरा आदित्य हृदय स्तोत्र

॥ सूर्यस्तुतिः ॥

निम्न ‘सूर्य-स्तुति’ का पाठ हाथ जोड़कर करे –

अग्निमीले नमस्तुभ्यमीषत्-तूर्य-स्वरुपिणे।
अग्न आयाहि वीतये त्वं नमस्ते ज्योतिषां पते।।

शन्नो देवो नमस्तुभ्यं, जगच्चक्षुर्नमोऽस्तु ते।
धवलाम्भोरुहणं डाकिनीं श्यामल-प्रभाम्।।

विश्व-दीप! नमस्तुभ्यं, नमस्ते जगदात्मने।
पद्मासनः पद्म-करः, पद्म-गर्भ-सम-द्युतिः।।

सप्ताश्व-रथ-संयुक्तो, द्वि-भुजो भास्करो रविः।
आदित्यस्य नमस्कारं, ये कुर्वन्ति दिने दिने।।

जन्मान्तर-सहस्रेषु, दारिद्रयं नोपजायते।
नमो धर्म-विपाकाय, नमः सुकृत-साक्षिणे।।

नमः प्रत्यक्ष-देवाय, भास्कराय नमो नमः।
उदय-गिरिमुपेतं, भास्करं पद्म-हस्तं।
सकल-भुवन-रत्नं, रत्न-रत्नाभिधेयम्।

तिमिर-करि-मृगेन्द्रं, बोधकं पद्मिनीनां।
सुर-वरमभि-वन्दे, सुन्दरं विश्व-रुपम्।।

अन्यथा शरणं नास्त, त्वमेव शरणं मम।
तस्मात् कारुण्य-भावेन, रक्षस्व परमेश्वर!।।

॥ इति श्रीपद्मपुराणे श्रीकृष्णार्जुनेसंवादे आदित्यहृदयस्तोत्रम् ॥

यह श्री पद्म पुराण में श्री कृष्ण-अर्जुन वार्तालाप में आदित्य हृदय स्तोत्र(Aditya Hrudayam Stotram) है। इसकी महिमा भी उसी प्रकार है जिस प्रकार रामायण आदित्य ह्रदय स्तोत्र की है।

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