Vrishchik rashi के अनुसार आकाश में जो तारो का चिन्ह बनता है वो बिच्छू की तरह नजर आता है। इसी लिए इसका राशि चिन्ह भी बिच्छू का है।बिच्छू अपने आप में ही मस्त रहता है यह अपने समूह से जुड़ा रहता है कह सकते है की अपनी दुनिया में रहता है ।राशियों में यह आंठवी राशि है और काल पुरुष की कुंडली में इसे आंठवे भाव का स्थान प्राप्त है ।यह राशि जीवन की शुरुवात और मृत्यु की शुरुवात दोनों को दर्शाती है ।कुंडली में अष्टम भाव मृत्यु का भाव है। काम ,मृत्यु और मोक्ष ये तीनो ही रहस्य से युक्त होते है । मृत्यु और जीवन तब तक चलते रहते है जब तक इसका मोक्ष नहीं हो जाता है।
इन राशियों के जातको की पसंद नापसंद एक दम साफ है। अगर यह अपने लक्ष्य को निर्धारित कर लेते है तो लक्ष प्राप्ति तक नहीं रुकते और उसे पा कर ही दम लेते है।vrishchik rashi एक जल तत्व राशि है और स्थिर तत्व राशि है ।जो जल ऊपर से जितना स्थिर रहता है वो अपने अंदर उतनी गहराई लिए होता है। यह राशि के जातक सवेंदनाओ ,भावनाओ और पीड़ाओं से जुड़े होते है । इनमे अपने काम को लेकर भावनात्मक जुड़ाव होता है।
vrishchik rashi का स्वामी मंगल ग्रह है।यह गुप्त ऊष्मा से युक्त होता है। गुप्त ऊष्मा ऐसी ऊर्जा जो गहराई में जीवन को नई उम्मीद प्रदान करे। सकारात्मक विचार आने पर यह जातक के जीवन को सकारात्मक बनता है लेकिन नकारात्म विचार आने पर जातक के लिए नुकसान दायक होता है।

वृश्चिक राशि के जातक का स्वाभाव
इस राशि के जातक स्पष्टवादी, निडर, रूखा व्यवहार, उत्तम मस्तिष्क, बुद्धिमान, ईच्छाशक्ति से युक्त होते है क्योंकि इनपर मंगल का प्रभाव होता है।यह शब्दों का उत्तम चुनाव करते हैं।अन्य लोगों के मामलों में दखल नहीं देते हैं।अक्सर तानाशाह होते हैं, इन्हे कभी थकान नहीं होती।
जब तक आश्वस्त न हो जाएं कि उनका विषय का ज्ञान सर्वोच्च कोटि का है, मुंह नहीं खोलते ।वर्तालाप और लेखन में दक्ष होते हैं अपने बुद्धिबल के सहारे रहते हैं। उच्चकोटि की प्रशासनिक क्षमता और आत्मविश्वास से युक्त होते हैं। गुप्त रूप से अपराध करने में सक्षम होते है।
परिश्रम और साहस के बल पर धनार्जन करते हैं स्वयं के बल पर सफल होते हैं। सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय होते हैं। समाज में सलाहकार/नेता बनते हैं। सेना और पुलिस में सफलापूर्वक कार्य करते है, इनके बहुत से शत्रु होते हैं। मौलिक अनुसंधान में चतुर होते हैं।
अकेले रहकर बेहतर कार्य करते हैं। मैदान के खेलों के शौकीन होते हैं संगीत, कला, नृत्य आदि में प्रवीण होते हैं। परावि़द्या में रूचि होती है।
वृश्चिक राशि के जातक की शारीरिक संरचना
यह मध्यम कद, सुडौल शरीर और अंग तथा चेहरा चौड़ा, घुंघराले बाल, श्याम वर्ण, उन्नत ठोड़ी तथा भूरे बाल ,छोटी गर्दन, मजबूत शरीर वाले होते है पुरुष की आवाज कर्कश और स्त्री की बोली भी कड़क होती है तथा बिना डर के कुछ भी बोल देते है।
वृश्चिक राशि का चिन्ह

vrishchik rashi का चिन्ह बिच्छू होता है जिसे अंग्रेजी में स्कॉर्पियन कहा जाता है। जिस प्रकार बिच्छू किसी चीज को तब तक पकडे रहता है जब तक की उसे डंक नहीं मार देता। ठीक वैसा ही असर इन राशियों के जातको में देखा जाता है।
वृश्चिक राशि का स्वामी
वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल देवता होते है । मंगल को प्रायः साहसिक ,उत्साही और उग्र मन जाता है। यही गुण vrishchik rashi के जातको में भी देखे जाते है।
वृश्चिक राशि तत्व
वृश्चिक राशि एक जल तत्व राशि है ।
वृश्चिक राशि के इष्ट देवता
वैसे तो मंगल देवता इस राशि के स्वामी होते है लेकिन अगर इष्ट की बात की जाये तो मंगलमूर्ति हनुमान जी और शिव जी vrishchik rashi के इष्ट देवता होते है।
वृश्चिक राशि का रंग
वृश्चिक राशि का रंग मंगल से से युक्त यानि लाल ,गेहरुआ ,महरून लिए होता है।
वृश्चिक राशि का व्यवसाय
पुलिस व सेना की नौकरी ,अग्नि कार्य , बिजली का कार्य , विद्युत् विभाग ,साहसिक कार्य।
जमीन का क्रय –विक्रय ,भूमि के कार्य , भूमि विज्ञान , रक्षा विभाग ,खनिज पदार्थ , इलेक्ट्रिक एवम इलेक्ट्रोनिक इंजिनीयर।
ब्लड बैंक, शल्य चिकित्सक ,केमिस्ट,दवा विक्रेता ,सिविल इंजीनियरिंग ,शस्त्र निर्माण।
बॉडी बिल्डिंग ,साहसिक खेल ,कुश्ती, स्पोर्टस , खिलाड़ी ,फायर ब्रिगेड,आतिशबाजी ,रसायन शास्त्र , चूल्हा , ईंधन , पारा , पत्थर ,मिट्टी का समान,तांबे से संबंधित कार्य ,धातुओं से सम्बंधित कार्य क्षेत्र।
लाल रंग के पदार्थ , इंटों का भट्ठा , मिटटी के बर्तन व खिलौने, औज़ार, भट्ठी,रत्नो को व्यापर इत्यादि।
वृश्चिक राशि के संभावित रोग
वृश्चिक राशि जातको में अक्सर गुप्त रोग, प्रोस्टेट ग्रंथि, पित्ताशय आदि के रोग देखे जाते है।
वृश्चिक राशि में उच्च ,नीच और मूल ग्रह
वृश्चिक राशि केतु की उच्च राशि है। वही चन्द्रमा और राहु वृश्चिक राशि में नीच के हो जाता है। तथा वृश्चिक मंगल की मूल राशि है।
वृश्चिक राशि के लिए मंत्र
||ॐ नारायणाय सुरसिंहाय नमः ||
इस मंत्र का प्रति दिन १ माला जाप करना चाहिए। इसके अलावा हनुमानजी का मंत्र श्री हनुमते नमो नमः तथा मंगल देवता मंत्र ॐ भौमाय नमः का भी जाप किया जा सकता है।
Vrishchik rashi के लिए धातु
वृश्चिक राशि के लिए ताम्बा मूल धातु मानि गयी है।जल तत्व के कारण चाँदी भी प्रयोग में लायी जा सकती है।
वृश्चिक राशि के लिए रत्न
वृश्चिक राशि के लिए मूंगा मूल रत्न मन गया है। लेकिन यह कुंडली में लग्न और कारक ग्रहो और सम्पूर्ण कुंडली को जानकर ही पहनने के योग्य होता है।
वृश्चिक राशि के लिए रुद्राक्ष
वृश्चिक राशि के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के बारे में बताया गया है।
Vrishchik rashi की दिशा
उत्तर दिशा
Vrishchik rashi नाम अक्षर
vrishchik rashi नाम अक्षर तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू हैं।
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