काल सर्प दोष क्या है |What Is Kaal Sarp Dosh In Hindi

Kaal Sarp Dosh in Hindi: जब मनुष्य का जन्म होता है तो उसकी कुंडली में बहुत सारे योग होते है। कुछ योग बहुत अच्छे होते हैं तो कुछ खराब होते हैं और कुछ ऐसे भी होते हैं जो मिश्रित फल प्रदान करते हैं यानि व्यक्ति के पास सारी सुख-सुविधाओं के होते हुए भी वह परेशान रहता है। ऐसे में व्यक्ति अपने दुखों का कारण नहीं समझ पाता और ज्योतिषीय सलाह लेता है।ज्योतिषी द्वारा कुंडली का पूर्ण रूप से अध्ययन करने पर पता चलता है कि उसकी कुंडली में किसी प्रकार का दोष है। काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) भी इन्हीं दोषों में से एक है।

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काल सर्प दोष का निर्माण तब होता है जब सारे ग्रह अर्थात् सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि राहु व केतु के बीच होते है | ये सारे ग्रह राहु और केतु से ग्रसित होते है | मूल रूप से यह राहु केतु के अक्ष के बीच इन ग्रहों की स्थिति के आधार पर निर्धारित होता है। राहु चंद्रमा का उत्तरी ध्रुव है जबकि केतु चन्द्रमा का ही दक्षिणी ध्रुव है | काल सर्प दोष में इन्हीं दो ध्रुवों के बीच में ही सारे ग्रह आ जाते है और कुंडली में पूर्ण काल सर्प दोष की दशा में आधी कुंडली में कोई भी ग्रह नहीं दिखाई देता है ।

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कई बार कोई एक ग्रह राहु केतु से बाहर होता है लेकिन वह ग्रह बलाबल में कमजोर या बुरे भाव में होता है ऐसे में भी ज्योतिषी इसे काल सर्प दोष में गिनते है। यह दोष जातक के जीवन में अनगिनत समस्याएं उत्पन्न करता है । ऐसा भी माना जाता है की यह जातक के पूर्व जन्म के किसी अपराध के दंड या श्राप के फलस्वरूप उसकी जन्मकुंडली में उपस्थित होता है।

माना जाता है कि कुछ ज्योतिषियों ने लगभग सौ वर्ष पूर्व इस दोष की रूपरेखा तैयार कर इसे विशेष स्थान दिया था तभी से यह प्रचलन में आया है और इस पर ध्यान दिया जाने लगा है। तभी से ज्योतिष के विद्वानों के बीच इस दोष को जीवन में बाधाओं का कारण माना जाता है।

ज्योतिष के अनुसार सात मुख्य ग्रह हैं (राहु और केतु को छोड़कर) उनमें से प्रत्येक लग्न, धन, सुख, संतान, रोग, परिवार , आयु, भाग्य, कर्म, लाभ, प्रेम, खर्च आदि जैसे विभिन्न भाव का कारकत्व रखते है । जैसे कालसर्प दोष जिन भावो को ढकता है उन्ही के कारकत्व और फल भी बाधित हो जाते हैं। जिससे जातक के जीवन में समस्याएं आती हैं। ज्योतिष शास्त्र में कुल 12 कालसर्प दोष (12 Kaal Sarp Dosh) हैं। इनमें से प्रत्येक का स्वरूप जातक की कुंडली में राहु और केतु की स्थिति के अनुसार होता है। ज्योतिषियों के अनुसार जातक की कुंडली में इस दोष की उपस्थिति उसे मृत्यु जैसी पीड़ा और भावनात्मक पीड़ा जैसे परिणाम दे सकती है।

काल सर्प दोष में ऐसा क्या है जिससे आज भी लोग डरे हुए है। एक प्रकार का ग्रहो का कॉम्बिनेशन है जिसे नकारा नहीं जा सकता है। कहते है की यह दोष एक व्यक्ति के जीवन में रूकावट पैदा करता है। इससे व्यक्ति को शारीरिक कष्ट, संतान का कष्ट भी होता है। रोजी -रोटी का जुगाड़ भी मुश्किल से होता है । अमीर परिवार को भी आर्थिक कष्ट होता है । कई प्रकार के रोग भी परेशान करते है। काल सर्प दोष सभी की कुंडली में अलग परिणाम देता है।

राहु केतु का जन्म (Birth of Rahu and Ketu)

राहु केतु का जन्म, rahu ketu birth

राहु भरणी नक्षत्र का स्वामी है तथा केतु अश्लेषा नक्षत्र का स्वामी।आश्लेषा नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता सर्प है। राहु का मुख विशाल है इसलिए उसे सर्प के मुख की संज्ञा दी गयी तथा केतु को सर्प की पूँछ की। राहु केतु का जन्म स्वरभानु नाम के राक्षस से हुआ था। जब समुद्र मंथन के समय स्वरभानु ने छल से अमृत ग्रहण कर लिया था तो सूर्य देव और चंद्र देव ने स्वरभानु राक्षस को पहचान लिया तब भगवान विष्णु जिन्होंने मोहिनी का रूप धारण कर रखा था अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया।

तब महादेव के वरदान से स्वरभानु का सिर राहु नाम से और धड़ केतु नाम से रखा गया।और उन्हें देवताओ में स्थान दिया गया तब राहु केतु ने महादेव से कहा की वह सूर्य और चन्द्रमा को ग्रहण लगाएंगे। राहु के देवता काल है और केतु के देवता सूर्य है। राहु को शनि के समान माना जाता है तथा केतु को मंगल के समान ।

काल सर्प दोष का प्रभाव (Kaal Sarp Dosh Effects)

काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) में व्यक्ति किसी भी चीज की अत्यधिक कल्पना करने लगता है कह सकते है की वह कल्पना में जीने लगता है। ऐसे लोग जीवन में लक्ष्य से भटक जाते है। जीवन में संघर्ष के कारण लक्ष्यों की प्राप्ति में असफलता मिलती है, जो बाद में निराशा और निराशावाद की ओर ले जाती है।

राहु मन को भ्रम में डालता है और केतु शरीर को तकलीफ। इसलिए शारीरिक और मानसिक कमजोरी भी इसका प्रभाव साबित होती है।

काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) के कारण विवाह में देरी होना या विवाह में परेशानी बनी रहना या विवाह बाद समस्या होना शामिल है।क्योंकि राहु व्यक्ति के मन को प्रभावित कर देता है वह शादी के लिए हाँ कहता है और अगले ही दिन ना कह देता है। शादी फिक्स होने के बाद भी जब पत्रिका छपने को दी जाती है तब अचानक मन में परिवर्तन आ जाता है और व्यक्ति शादी करने से माना कर देता है। अगर शादी हो भी जाती है तो बाद में तलाक की स्थिति उत्त्पन्न हो जाती है।

यह स्थिति तब प्रभावी हो जाती है जब राहु केतु कुंडली में सूर्य और चंद्र को ग्रहण लगा दे और चंद्रमा का बल भी कम हो।

काल सर्प दोष में संतान प्राप्ति में परेशानी या उनसे सुख की कमी भी देखि जाती है। संतान सुख नहीं होने से मन में खिन्नता बनी रहती है। कई बार ऐसे लोग काल सर्प दोष की पूजा भी करा लेते है और डॉक्टर से भी मिल लेते है तो भी उन्हें कोई फायदा नहीं होता। ऐसी स्थिति में कुंडली में अन्य ग्रहो की स्थितियों को भी बल देना आवश्यक है।

काल सर्प दोष के प्रकार (Kaal Sarp Dosh Types)

काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) मुख्यत: बारह प्रकार के माने गये हैं। जिसमे सारे ग्रह राहु और केतु के मध्य अलग-अलग भावो के अनुसार होते है।वैदिक ज्योतिष में किसी भी पुस्तक में काल सर्प दोष का उल्लेख नहीं है लेकिन राहु से बने दोषो का उल्लेख है। कई बड़े ज्योतिषी काल सर्प दोष को नकारते है इसे नहीं मानते लेकिन राहु और केतु जिस प्रकार कुण्डली में स्थित होते है वह वैसे ही होते है जैसे आध्यात्मिकता में शरीर में कुंडली। इसीलिए इन्हे सर्प की तरह माना गया है। और विभिन्न सर्पो के अनुसार इस दोष को परिभाषित किया है।

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अनन्त काल सर्प दोष (Ananta Kaal Sarp Dosh)

यह दोष तब बनता है जब प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु होता है। इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और सरकारी व अदालती मामलों से जुडी परेशानी उठानी पड़ सकती है। अनन्त काल सर्प दोष के बारे में और इसके उपायों के बारे में जानिए।

कुलिक काल सर्प दोष (Kulik Kaal Sarp Dosh)

कुलिक नामक कालसर्प दोष तब बनता है जब राहु द्वितीय भाव में और केतु आठवें घर में होता है। इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक और सामाजिक तौर पर कष्ट भोगना पड़ता है। साथ ही इनकी पारिवारिक स्थिति भी काफी कलहपूर्ण होती है। कुलिक काल सर्प दोष के बारे में और इसके उपायों के बारे में जानिए।

वासुकि काल सर्प दोष (Vasuki Kaal Sarp Dosh)

यह दोष तब बनता है जब जन्म कुंडली में राहु तृतीय भाव में और केतु नवम भाव में होता है। वासुकि काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिलता और उनका जीवन संघर्षमय गुज़रता है। साथ ही नौकरी व्यवसाय में भी परेशानी बनी रहती है। वासुकि काल सर्प दोष के बारे में और इसके उपायों के बारे में जानिए।

शंखपाल काल सर्प दोष (Shankhapal Kaal Sarp Dosh)

राहु कुंडली में चतुर्थ स्थान पर और केतु दशम भाव में हो तब यह दोष बनता है। इस कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को आंर्थिक तंगी, मानसिक तनाव, अपनी मां, ज़मीन, परिजनों के मामले में कष्ट भोगना होता है। शंखपाल काल सर्प दोष के बारे में और इसके उपायों के बारे में जानिए।

पदमा काल सर्प दोष (Padma Kaal Sarp Dosh)

यह दोष तब बनता है जब राहु पंचम भाव में और केतु एकादश भाव में होता है। पद्म काल सर्प दोष में व्यक्ति को अपयश मिलने की संभावना होती है। यौन रोग के कारण व्यक्ति को संतान सुख मिलने में समस्या होती है। इस दोष के प्रभाव से धन लाभ में रूकावट, उच्च शिक्षा में बाधा होने की संभावना होती है। पदमा काल सर्प दोष के बारे में और इसके उपायों के बारे में जानिए।

महा पदमा काल सर्प दोष (Mahapadma Kaal Sarp Dosh)

महापद्म काल सर्प दोष में व्यक्ति की कुंडली में राहु छठे भाव में और केतु बारहवें भाव में होता है। इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को काफी समय तक शारीरिक कष्ट भोगना पड़ता है। साथ ही ऐसे लोग प्रेम के मामले में दुर्भाग्यशाली होते हैं। महा पदमा काल सर्प दोष के बारे में और इसके उपायों के बारे में जानिए।

कर्कोटक काल सर्प दोष (Karkotak Kaal Sarp Dosh)

इस दोष में केतु दूसरे स्थान में और राहु अष्टम स्थान में होता है। ऐसे जातकों को नौकरी मिलने और पदोन्नति होने में कठिनाइयां आती हैं। समय-समय पर व्यापार में भी क्षति होती रहती है और कठिन परिश्रम के बावजूद उन्हें पूरा लाभ नहीं मिलता। कर्कोटक काल सर्प दोष के बारे में और इसके उपायों के बारे में जानिए।

तक्षक काल सर्प दोष (Takshak Kaal Sarp Dosh)

इस दोष की स्थिति अनन्त काल सर्प दोष से ठीक विपरीत होती है। इसमें केतु लग्न में होता है और राहु सप्तम में। इस दोष वाले जातक को वैवाहिक जीवन में अशांति का सामना करना पड़ता है। कारोबार में की गयी किसी प्रकार की साझेदारी फायदेमंद नहीं होती और मानसिक परेशानी देती है। तक्षक काल सर्प दोष के बारे में और इसके उपायों के बारे में जानिए।

शंखचूड़ काल सर्प दोष (Shankhachur Kaal Sarp Dosh)

शंखचूड़ काल सर्प दोष में केतु तृतीय भाव में और राहु नवम भाव में होता है। इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति जीवन में सुखों नहीं भोग पाता है। ऐसे लोगों को पिता का सुख नहीं मिलता है और इन्हें कारोबार में अक्सर नुकसान उठाना पड़ता है। शंखचूड़ काल सर्प दोष के बारे में और इसके उपायों के बारे में जानिए।

घातक काल सर्प दोष (Ghaatak Kaal Sarp Dosh)

कुंडली में केतु चतुर्थ भाव में और राहु दशम भाव में होने से घातक काल सर्प दोष बनता है। इस दोष के प्रभाव से गृहस्थ जीवन में कलह और अशांति बनी रहती है। साथ ही नौकरी और रोजगार के क्षेत्र में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। घातक काल सर्प दोष के बारे में और इसके उपायों के बारे में जानिए।

विषधर काल सर्प दोष (Vishdhar Kaal Sarp Dosh)

इस दोष में केतु पंचम भाव में और राहु एकादश में होता है। इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति को संतान से कष्ट प्राप्त है। ऐसे लोगों को नेत्र एवं हृदय से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनकी स्मरण शक्ति अच्छी नहीं होती है और उच्च शिक्षा में रूकावट आती है। विषधर काल सर्प दोष के बारे में और इसके उपायों के बारे में जानिए।

शेषनाग काल सर्प दोष (Sheshnag Kaal Sarp Dosh)

शेषनाग कालसर्प दोष तब आता है जब व्यक्ति की कुंडली में केतु छठे भाव में और राहु बारहवें स्थान पर होता है। इस दोष में व्यक्ति को गुप्त शत्रुओं का सामना करना पड़ता है, अदालती मामलो में उलझना पड़ता है और मानसिक अशांति और बदनामी का सामना करना पड़ता है। शेषनाग काल सर्प दोष के बारे में और इसके उपायों के बारे में जानिए।

काल सर्प दोष का प्रभाव कब तक रहता है (Kaal Sarp Dosh Time Period)

अगर राहु या केतु को प्रथम भाव में रखे तो 6 तरीके से दोष बनेंगे और कुल 12 दोष बनेंगे। यंहा राहु को प्रथम भाव से रखने पर दोषो के प्रभाव की उम्र बताई गयी है।

  1. राहु प्रथम भाव (1st House) – काल सर्प दोष का प्रभाव 27 वर्ष की आयु तक रहता है।
  2. राहु द्वितीय भाव (2nd House) – कालसर्प दोष का प्रभाव 33 वर्ष की आयु तक रहता है।
  3. राहु तृतीय भाव (3rd House) – कालसर्प दोष का प्रभाव 36 वर्ष की आयु तक रहता है।
  4. राहु चतुर्थ भाव (4th House) – कालसर्प दोष का प्रभाव 42 वर्ष की आयु तक रहता है।
  5. राहु पंचम भाव (5th House) – काल सर्प दोष का प्रभाव 48 वर्ष की आयु तक रहता है।
  6. राहु छठे भाव (6th House) – काल सर्प दोष का प्रभाव 54 वर्ष की आयु तक रहता है।

काल सर्प दोष के उपाय (Kaal Sarp Dosh Remedies)

कालसर्प दोष से प्रभावित कुंडली में जातक के लिए विभिन्न उपाय बताये गए है जिससे काल सर्प दोष के प्रभाव को काफी हद तक काम किया जा सकता है।

भोलेनाथ की भक्ति (Shiv Puja)

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  • काल सर्प दोष (kaal sarp yoga) का उपचार मंत्रों से किया जा सकता है। इसके लिए भगवान शिव की भक्ति विशेष रूप से शामिल है और शिव गायत्री मंत्र या भगवान शिव के किसी भी मंत्र का जाप करना शामिल है।
  • महाशिवरात्रि, श्रावण सोमवार और श्रावण शिवरात्रि के दिन व्रत करना चाहिए, शिव जी की पूजा करनी चाहिए और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक करना चाहिए।
  • शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए नियमित रूप से भगवान शिव के मंदिर जाना आवश्यक है। शिवलिंग पर बिल पत्र, बेर, फल, फूल और कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए।
  • कालसर्प दोष के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें यह एक बेहतर उपाय है और यह स्वयं के लिए सबसे प्रभावी उपचार हो सकता है।

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रुद्राक्ष धारण करके (Rudraksha For Kaal Sarp Dosh)

  • काल सर्प दोष में रुद्राक्ष को धारण करने का भी विधान है। इसमें 8 मुखी रुद्राक्ष और 9 मुखी रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करके विशेष कवच के रूप में धारण किया जाता है। 8 मुखी रुद्राक्ष राहु के लिए और 9 मुखी रुद्राक्ष केतु के लिए धारण किया जाता है।
  • इस दोष में 7 मुखी रुद्राक्ष के सात दानो को भी अभिमंत्रित करके धारण किया जाता है ,क्योंकि सात मुखी रुद्राक्ष में सात सर्पो का वास होता हैं।
  • अगर आपके पास उपरोक्त रुद्राक्ष नहीं है तो आप रुद्राक्ष की माला (108+1) दानो की अवश्य धारण कीजिये। आप 5 मुखी रुद्राक्ष को भी अभिमंत्रिक करवा कर धारण कर सकते है।

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नाग मंत्रो के द्वारा

  • वैसे तो शिव मंत्र ,गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र ही काफी है। लेकिन फिर भी आप नाग सूक्तम ,नाग गायत्री मंत्र ,नव नाग स्त्रोत्र आदि का पाठ करना चाहिए।
  • नाग पंचमी के दिन भीलट मंदिर और नाग मंदिर में पूजा करनी चाहिए। आप चाहे तो नित्य भी इन मंदिरो में जा सकते है।

अन्य विशेष उपाय (Kaal Sarp Dosh Upay)

  • राहु – केतु के मंत्रो का जप करना चाहिए ।
  • सरस्वती देवी के बीज मंत्रो का जाप विद्यार्थियों को करना चाहिए।
  • हनुमान चालीसा का पाठ नित्य करना चाहिए यह मन को शांत करता है। आप चाहे तो इसे सुन भी सकते है।
  • गायत्री मंत्र जप करना या लिखना यह भी काल सर्प दोष के लिए बेहतर उपाय है।
  • घर में मोर पंख रखना चाहिए।
  • सवा महीने तक ज्वार के दाने पक्षियों को खिलाना चाहिए।
  • किसी कुत्ते को खाना खिलाना चाहिए। चींटियों और मछलियों को आटा खिलाना चाहिए।
  • यदि पति-पत्नी के बीच निजी ज़िन्दगी में तनाव हो रहा हो उनमे प्रेम की कमी बन रही हो , तो आप भगवान श्रीकृष्ण या बाल गोपाल की मूर्ति(लड्डू गोपाल ) जिसमें उन्होंने सिर पर मोरपंख वाला मुकुट धारण किया हो वैसी प्रतिमा को अपने घर में स्थापित कर प्रति‍दिन उनकी पूजा-अर्चना करें। इससे जीवन में प्रेम बढ़ेगा।
  • काल सर्प दोष में शत्रु से भय होने पर आप चाँदी या ताँबे के सर्प बनवाएं और उसकी आँखों में सुरमा लगाकर किसी भी शिवलिंग पर चढ़ा दें, ऐसा करने से व्यक्ति का भय दूर होता है और छुपे हुए शत्रुओं का भी नाश होता है।
  • अगर आपको गुस्सा अधिक आता हो या आपका स्वाभाव चिड़चिड़ा हो गया हो तो आप शिवलिंग पर रोज़ मीठे दूध में भाँग डालकर चढ़ाएँ। ऐसा करने से गुस्सा शांत होता है,और जातक को तेजी से सफलता मिलने लगती है। नारियल के सूखे गोले में ऊपर से काट कर सात प्रकार का अनाज, उड़द की दाल,गुड़, और सरसों भर लें और फिर उसे आटे से पैक कर बहते हुए पानी या फिर नाले आदि के गंदे पानी में बहा दें। ऐसा करने से आपका चिड़चिड़ापन दूर हो जायेगा। इस प्रयोग को आप राहूकाल के समय करें।

काल सर्प दोष निवारण पूजा (Kaal Sarp Dosh Puja)

अगर काल सर्प दोष अधिक प्रभावी है तो इस दोष के लिए वैदिक पूजा का विधान है जिसे काल सर्प दोष पूजा (Kaal Sarp Dosh Puja) कहा जाता है। कालसर्प दोष की पूजा उज्जैन (मध्यप्रदेश), ब्रह्मकपाली (उत्तराखंड), त्रिजुगी नारायण मंदिर (उत्तराखंड), प्रयाग (उत्तरप्रदेश), त्रीनागेश्वरम वासुकी नाग मंदिर (तमिलनाडु) , त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र) तथा कुक्के सुभ्रमण्यम मंदिर (कर्णाटक ) आदि जगह में की जाती है। लेकिन त्रयंबकेश्वर और उज्जैन में यह अधिक प्रसिद्ध है। यंहा कालसर्प दोष की पूजा करा कर आप इस दोष के प्रभाव से मुक्त हो सकते है।

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Kaal Sarp Dosh के बावजूद मिल सकती है सफलता

ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु छाया ग्रह माने जाते हैं जो प्राय: सात घरों में मौजूद होते हैं। काल सर्प दोष का प्रभाव तब होता है जब अन्य सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। शनि की तरह राहु और केतु को भी अशुभ ग्रह माना जाता है, लेकिन इनके कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं।

यदि आप अपनी कुंडली में कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) के प्रभाव से डरते हैं, तो अब आपको इस दोष से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि कुछ वास्तविक जीवन के उदाहरण हैं जो बताते हैं कि कैसे इसने कुछ लोगों को बड़ी सफलता हासिल करने में मदद की है। काल सर्प दोष के प्रभावों के बावजूद, कई लोगों ने बहुत सफलता हासिल की है। पंडित जवाहर लाल नेहरू, धीरू भाई अंबानी, लता मंगेशकर, सचिन तेंदुलकर, ऋषिकेश मुखर्जी जैसे कई लोगों में से कुछ हैं जिन्होंने इस दोष के बावजूद उपलब्धियों के शिखर को छूने में सफलता हासिल की है।

कई ज्योतिषी लोगों से काल सर्प दोष के नाम पर खूब पैसा कमाते हैं। इसी तरह लोग ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से खुद को बचाने के लिए पैसा खर्च करने को तैयार हैं। सच तो यह है कि जिस तरह शनि हमेशा आपके लिए बुरा नहीं होता, उसी तरह राहु और केतु के कारण होने वाले kaal sarp dosh भी बुरे नहीं होते यह अन्य कारकत्वों को लाभ भी देते है।

काल सर्प दोष के भी अच्छे प्रभाव हो सकते हैं।क्योंकि कुंडली में राहु और केतु की स्थिति क्या है क्या वह कारक या राजयोग कारक है अगर हाँ तो यह दोष एक योग के रूप में आपको फायदा देगा। इसलिए केवल यह कहना कि यह दोष आपके जीवन में हमेशा बुरे प्रभाव लाते हैं, यह सही नहीं होगा। ये योग कई बार सही और सकारात्मक असर भी लाने वाले साबित हो सकते हैं।

FAQ:

काल सर्प दोष कितने प्रकार के होते है?

यह (kaal sarp dosh) कुंडली में 12 प्रकार के होते है।

कुंडली में काल सर्प दोष कैसे पता करे ?

अपनी लग्न कुंडली में राहु और केतु के मध्य अगर सारे ग्रह स्थित है तो वंहा काल सर्प दोष का निर्माण होता है।

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