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ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह को मंगल देवता के रूप में माना जाता है, जो एक युद्ध के देवता है। संस्कृत में इन्हें भौम अर्थात भूमि का पुत्र कहा गया है। शास्त्रों में मंगल देव के स्वरूप का वर्णन करते हुए उनकी चार भुजाएँ बतायी गई हैं। वह अपने एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में गदा, तीसरे हाथ में कमल तथा चौथे हाथ में शूल लिए हुए हैं और मेढ़ा (एरीज) उनकी सवारी है।

मंगल ग्रह के बारे में जानकारी (Mangal grah in astrology)
वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह ऊर्जा, भाई, भूमि, शक्ति, साहस, पराक्रम, शौर्य का कारक होता है। मंगल ग्रह को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामित्व प्राप्त है। यह मकर राशि में उच्च होता है, जबकि कर्क इसकी नीच राशि है। वहीं नक्षत्रों में यह मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी होता है।
मंगल की प्रबलता से व्यक्ति निडरता से अपने निर्णय लेता है। वह ऊर्जावान रहता है। इससे जातक उत्पादक क्षमता में वृद्धि होती है। विपरीत परिस्थितियों में भी जातक चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार करता है और उन्हें मात भी देता है। बली मंगल का प्रभाव केवल व्यक्ति के ही ऊपर नहीं पड़ता है, बल्कि इसका प्रभाव व्यक्ति के पारिवारिक जीवन पर पड़ता दिखाई देता है। बली मंगल के कारण व्यक्ति के भाई-बहन अपने कार्यक्षेत्र में उन्नति करते हैं।
यदि मंगल ग्रह कुंडली में कमज़ोर अथवा पीड़ित हो तो यह जातक के लिए समस्या पैदा करता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को किसी दुर्घटना का सामना करना पड़ता है। पीड़ित मंगल के कारण जातक के पारिवारिक जीवन में भी समस्याएं आती हैं। जातक को शत्रुओं से पराजय, ज़मीन संबंधी विवाद, क़र्ज़ आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में बैठा हो तो यह स्थिति कुंडली में मांगलिक दोष का निर्माण करती है। इसके प्रभावों को कम करने के लिए जातक को मंगल दोष के उपाय (Mangal grah ke upay) करने चाहिए।
मंगल ग्रह के मंत्र (Mangal Grah Mantra)
मंगल ग्रह कि शान्ति के लिए मंगल के मंत्रो का विशेष विधान है। जिनका जप आसानी से किया जाता है।
मंगल वैदिक मंत्र (Vedic Mantra)
ऊँ अग्निमूर्धादिव: ककुत्पति: पृथिव्यअयम। अपा रेता सिजिन्नवति ।
मंगल तात्रिंक मंत्र : (Tantrik Mantra)
ॐ हां हंस: खं ख:।
ॐ हूं श्रीं मंगलाय नम:।
ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:।
मंगल के मंत्रो का जाप १०००० बार करना चाहिए।
मंगल गायत्री मंत्र: (Gayatri Mantra)
।। ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि, तन्नो भौमः प्रचोदयात्” ।।
मंगल ग्रह के उपाय (Mangal grah ke upay)
आराध्य देव
मंगल के आराध्य देव हनुमान जी है।
मंगल के लिए हवन
मंगल के हवन के लिए खेर की समिधा (खदिर) का उपयोग करना चाहिए।
मंगल के लिए दान
मंगल के लिए तांबा, सोना, गेंहू , लाल वस्त्र, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प, केसर, मसुर की दाल तथा भूमि दान करे ।
मंगल के लिए औषधि स्नान
मंगल के स्नान के लिए बिल्व छाल, रक्त चंदन,सोंठ, रक्त पुष्प, सिंगरफ,सौंफ, माल कांगनी, मौलसिरी आदि औषधि डालकर नित्य स्नान करने से मंगल ग्रह प्रसन्न होता है।
मंगलवार व्रत
मंगलवार व्रत को कम से कम 21 मंगलवार तक नियमित रूप से करना चाहिए। व्रत वाले दिन स्नान करके घर के ईशान कोण में किसी साफ जगह पर बैठकर हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इस दिन लाल कपड़े पहने और हाथ में पानी ले कर व्रत का संकल्प करें।
हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं और भगवान पर फूल चढ़ाएं। फिर मंगलवार व्रत कथा पढ़ें या सुनें। इसके बाद हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का पाठ करें। भगवान को गुड़ चने का भोग लगाकर उनकी आरती करें। दिन में सिर्फ एक बार भोजन लें। अपने आचार-विचार शुद्ध रखें। शाम को हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर आरती करें।
ग्रह पीड़ा निवृत्ति हेतु मंगल यंत्र (Mangal Yantra)

मंगल के लिए रत्न धारण (gemstone for Mars)
मंगल के लिए लाल मूंगे को ताम्बे या स्वर्ण की अंगूठी में बनवाकर मंगलवार के दिन धारण करे। मूंगा धारण करने से पूर्व कुंडली में मंगल की स्थिति का विश्लेषण जरूर करे।
मंगल के लिए रुद्राक्ष
मंगल के लिए नेपाल का तीन मुखी रुद्राक्ष को लाल धागे में धारण करना चाहिए।
मंगल के लिए औषधि धारण :
मंगल ग्रह की शांति के लिए मृगशिरा नक्षत्र में अनन्त मूल की जड़ को ग्रहण करके सिन्दूरी रंग के कपड़े या तांबे के ताबीज में धारण करना चाहिए।
मंगल के लिए सामान्य उपाय Mangal Grah Ke Upay Remedies
- मंगल ग्रह कि शान्ति के लिए शिव उपासना तथा हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए।
- मंगलवार एंव शनिवार को हनुमान जी को सिन्दूर चढ़ाये।
- मंगल वार का व्रत करे तथा लोगों में मिठाई बांटे।
- मंगल के वैदिक पौराणीक बीज या सामान्य मंत्र का निश्चित संख्या मंत्र जप दशांश हवन उसके दशांश तर्पण उसके दशांश मार्जन करें और उसके दशांश ब्रह्माण्ड भोज कराएं। इन सब के लिए किसी योग्य कर्मकांडी पंडित कि सहायता ली सकती है।
- गायत्री मंत्र का उपांशु जप करें।
- लाल रुमाल पास रखें ।
- मांगलिक दोष है तो इसकी पूजा करवाए।
- इटालियन मुंगा अनामिका अंगुली में धारण करें।
- धर्मस्थान में मिष्ठान वितरण करें।
- तांबे का सिक्का बहते हुए जल में प्रवाहित करे।
- तंदुर कि तीठी रोटी कुत्ते को खिलाएं।
- घर और दफ्तर में नौकर रखें।
- चांदी की डिब्बी में शहद भरकर जल में प्रवाहीत करें।
- बंदरो को केले खिलाएं।
- हनुमान जी मंदिर में जाकर बूंदि का लड्डू चढ़ाएं और बांटे।
- तेज प्रवाह वाले जल में 100 ग्राम चीनी प्रवाहीत करें।
- ढाक के 101 पत्ते जल में प्रवाहित करें।
- चांदी की चूड़ी में लाल रंग लगाकर पत्नी को धारण कराएं।
आप अपनी कुंडली की स्थिति को देखकर मंगल ग्रह के विभिन्न उपायों को प्रयोग में ला सकते है। मंगल के उपाय (Mangal Grah Ke Upay) से सम्बन्धी किसी भी जानकारी के लिए आप कमेंट कर सकते है। अगर आपको पोस्ट पसंद आयी हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।
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