Ketu Ke Upay केतु को मजबूत करने के उपाय और मंत्र

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Ketu Ke Upay: ज्योतिष में केतु को एक रहस्यमय ग्रह के रूप में मन गया है। वंही विज्ञान इसे एक काल्पनिक ग्रह मानता है। लेकिन यह छाया ग्रह केतु चंद्र ग्रहण में अपना विशेष योगदान देता है और इसकी यही स्थिति का असर धरती पर और कुंडली पर भी होता है। केतु को आकस्मिक घटना का ग्रह मन जाता है जो किसी जातक की कुंडली में अचानक लाभ और हानि तय करा देता है। अगर केतु कुंडली में मजबूत है तो यह शुभ परिणाम देगा और अगर कमजोर है तो नुकसान या लाभ में कमी प्रदान करेगा। इस पोस्ट में हम केतु को मजबूत करने के विभिन्न उपाय(Ketu Ke Upay) देखेंगे।

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केतु का स्वरुप (Ketu Physical Appearance)

केतु को ज्योतिष में चन्द्रमा का उत्तरी ध्रुव बताया गया है । केतु एक रूप में स्वरभानु नामक दानव के सिर का धड़ है। यह सिर समुद्र मन्थन के समय मोहिनी रूपी भगवान विष्णु ने काट दिया था। यह एक छाया ग्रह है। माना जाता है कि इसका मानव जीवन एवं पूरी सृष्टि पर अत्यधिक प्रभाव रहता है। कुछ मनुष्यों के लिये ये ग्रह ख्याति पाने का अत्यंत सहायक रहता है। केतु का सर अक्सर सर्पो का दिखाया जाता है जिसमे पीछे सूर्य नजर आता है और कई बार कोई मणि से प्रकाश आता हुआ प्रतीत होता है।

ketu in solar system

सूर्य और चन्द्रमा के ब्रह्मांड में अपने-अपने पथ पर चलने के कारण ही राहु और केतु की स्थिति भी साथ-साथ बदलती रहती है। पूर्णिमा के समय यदि चन्द्रमा केतु अथवा राहू के ध्रुवीय बिंदु पर भी रहे तो पृथ्वी की छाया पड़ने से चंद्र ग्रहण लगता है, क्योंकि पूर्णिमा के समय चंद्रमा और सूर्य एक दुसरे के उलटी दिशा में होते हैं। ये तथ्य इस कथा का जन्मदाता बना कि “वक्र चंद्रमा ग्रसे ना राहू”।

dhoomketu, pucchal tara

कुछ विद्वान ज्योतिषी केतु को धूमकेतु और पुच्छल तारे के रूप में मानते है।

pucchal tara, पुच्छल तारा,धूमकेतु

केतु ग्रह के बारे में जानकारी (Ketu in astrology)

केतु भी राहु की भांति ही एक छाया ग्रह हैं।ज्योतिष शास्त्रों में कहा गया है “कुजवत केतु” अर्थात नैसर्गिक रूप से केतु मंगल के समान फल देता है। केतु किसी भी भाव में स्वग्रही ग्रह के साथ बैठा हो तो वह उस भाव और साथी ग्रह के प्रभाव तथा शुभ अशुभ फल में चार गुना की वृद्धि कर देता है। केतु जिस भाव में बैठेगा उस भाव का अचानक आश्चर्य चकित कर देने वाला फल देगा।

  • केतु जातक के मोक्ष का कारक होता है और विशेषरूप से बारहवे भाव में केतु मुक्ति प्रदान करता है।
  • यह ग्रह तीन नक्षत्रों का स्वामी है: अश्विनी, मघा एवं मूल।
  • केतु विष्णु के मत्स्य अवतार से संबंधित है।
  • कुछ लोग केतु को उत्तर-पश्चिम दिशा का कारक ग्रह मानते हैं।


केतु ग्रह के मंत्र (Ketu Mantra)

केतु के उपाय (Ketu ke Upay) में मंत्रो का प्रयोग सबसे बेहतर रहता है क्योंकि इसमें कोई खर्च नहीं आता बस समय और ध्यान देना होता है।

केतु वैदिक मंत्र (Ketu Vedic Mantra)

“ॐ केतुं कृण्वन्न केतवे पेशो मर्या अपे से समुषभ्दिंरिजायथाः।”

वैदिक मंत्र का अट्ठारह हजार (18000) जप करना चाहिए।

केतु तात्रिंक मंत्र (Ketu Tantrik Mantra)

ॐ ऐं ह्रीं केतवे नमः।

ॐ कें केतवे नमः।

केतु के किसी भी तांत्रिक मंत्र का बहत्तर हजार (72000) जप करना चाहिए।

केतु गायत्री मंत्र (Ketu Gayatri Mantra)

|| ॐ पद्मपुत्राय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो केतु प्रचोदयात ||

केतु ग्रह के उपाय (Ketu ke upay)

आराध्य देव

केतु के आराध्य देव श्री गणेश जी है।

केतु के लिए हवन

केतु की शांति के लिए रात्रि काल कुशा की समिधा से हवन करना चाहिए।

केतु के लिए दान

केतु के दान इस प्रकार बताये गए है -सात प्रकार के अन्न, बकरा, कपिला गौ दान, दो रंग का कंबल, भूरे रंग के वस्त्र , खट्टे स्वाद वाले फल, उड़द, कस्तूरी, लहसुनिया, काला फूल, तिल, तेल, रत्न, सोना, लोहा आदि।

केतु के लिए औषधि स्नान

केतु की शांति के लिए लोबान, तिलपत्र, पुत्थरा से स्नान करना चाहिए।

केतु के लिए व्रत

केतु की प्रसन्नता के लिए शनिवार और मंगलवार को व्रत करना चाहिए। उपवास के बाद सायं काल हनुमान जी के आगे धूप, दीप जलाने के पश्चात् मीठा भोजन करना चाहिए। यदि नमक न खाएं तो उत्तम है।

दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को भी केतु के निमित्त व्रत रखा जाता है।

ग्रह पीड़ा निवृत्ति हेतु केतु यंत्र (Ketu Yantra)

ketu yantra photo

केतु के लिए रत्न धारण (gemstone for Ketu)

लहसुनियां 7 से 9 रत्ती तक चांदी या तांबे की अंगूठी में बनवाकर अभिमंत्रित और प्राण प्रतिष्ठा कर सीधे हाथ की अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए। रत्न धारण करने से पूर्व किसी ज्योतिषी से कुंडली का अध्ययन जरूर करवा लीजिये।

केतु के लिए रुद्राक्ष

नौमुखी रुद्राक्ष और छह मुखी रुद्राक्ष को चांदी में बनवाकर दाहिनी बांह पर धारण करना चाहिए। धारण करने से पूर्व शिवजी के भैरव रूप की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा आप इन्हे गले में भी धारण कर सकते है।

केतु के लिए औषधि धारण

अश्वगंधा की जड़ को लाल कपड़े में यंत्र जैसा बांध कर सीधे हाथ में बांधना चाहिए। कच्चे दूध के बाद गंगा जल से धोना और अभिमंत्रित करना आवश्यक है।

केतु के लिए सामान्य उपाय (Ketu Ke Upay Remedies)

  • केतु अगर पृथ्वी तत्त्व राशि / Earth Element Sign (वृष,कन्या,मकर) में स्थित है तो नीम के पेड़ लगाना केतु के अशुभ प्रभाव को दूर करके शुभ फल प्राप्त करने का बहुत अच्छा उपाय है।
  • एक सूखा नारियल गोले के ऊपर के पार्ट में छोटा छेद कर उसमे भुनी हुआ आटा और शक्कर मिला कर पीपल के वृक्ष के निचे मट्टी हटा कर दबा दे। ये प्रयोग केतु के अशुभ प्रभाव दूर करने का रामबाण है।
  • कुत्ते को खाना खिलावें।अगर भूरे रंग का कुत्ता है तो उसे जरूर खिलाये। शनिवार को कुत्तों को मीठी रोटी या दूसरी मीठी चीजें खिलाएं। मैं न तो कुत्ता खरीदने के पक्ष में हूँ न पालने के पक्ष में लेकिन हमारे घर के आस पास जो कुत्ते रहते है उनकी सेवा जरूर करनी चाहिए।
  • शिव मंदिर में ध्वज लगाने से भी केतु शांत होता है। केतु को ध्वज का प्रतीक भी माना जाता है।
  • भगवान् गणेश का एक लॉकेट अपने गले में इस तरह धारण करें की वो हमेशा आपके ह्रदय के पास रहे।
  • प्रतिदिन गणेश जी पूजा करनी चाहिए और गणपति जी को लड्डू का भोग लगाना चाहिए।
  • नेत्रहीन, कोढ़ी, अपंग को एक से अधिक रंग का कपड़ा दान करें।
  • केतु अगर जल तत्त्व राशि / Water Element Sign (कर्क, वृश्चिक, मीन ) में स्थित है तो काले या सफेद तिल को काले वस्त्र में बांधकर बहते पानी में प्रवाहित करें। बरफी के चार टुकड़े बहते पानी में बहाएं। लकड़ी के चार टुकड़े चार दिन तक बहते पानी में प्रवाहित करें। कोयले के आठ टुकड़े बहते पानी में प्रवाहित करें।
  • केतु अगर अग्नि तत्त्व राशि / Fire Element (मेष, सिंह, धनु) में हो तो केतु के निमित्त रात्रि काल कुशा की समिधा से हवन करना ही सर्वथा उचित है।
  • केतु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए जातक को लाल चन्दन की माला को अभिमंत्रित कराकर शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को धारण करना चाहिए।
  • पैर में या पेशाब में कोई तकलीफ हो तो शुद्ध रेशम का उजला धागा धारण करें।
  • तिल के लड्डू सुहागिनों को खिलाएं और तिल का दान करें।
  • कन्याओं को रविवार के दिन मीठा दही और हलवा खिलाएं।
  • कृष्ण पक्ष में प्रतिदिन शाम को एक दोने में पके हुए चावल लेकर उस पर मीठा दही डाल लें और काले तिल के कुछ दानों को रख दान करें। यह दोना पीपल के नीचे रखकर केतु दोष शांति के लिए प्रार्थना करें।
  • सूर्य केतु की युति होने पर सूर्य ग्रहण के समय तिल,नींबू,पका केला बहते पानी जैसे नदी में बहायें।
  • बारहवे भाव के केतु के लिये 12 ध्वज बारह बार धर्म स्थान पर लगाना।
  • यदि केतु रोग कारक हो तो रोग ग्रस्त जातक स्वयं अपने हाथों से कम से कम 7 बुधवार भिक्षुकों को हलवा वितरण करे तो लाभ होगा।
  • केतु की शांति के लिए नवरात्रि में छिन्नमस्तादेवी का 9 दिनी अनुष्ठान कराएं।

आप अपनी कुंडली की स्थिति को देखकर केतु के विभिन्न उपायों को प्रयोग में ला सकते है। केतु के उपाय (Ketu Ke Upay) से सम्बन्धी किसी भी जानकारी के लिए आप कमेंट कर सकते है। अगर आपको पोस्ट पसंद आयी हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।

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