Budh Grah Ke Upay: बुध चंद्रमा के पुत्र हैं। उनकी माता का नाम रोहिणी हैं। उन्हें विद्वान और अथर्ववेद के ज्ञाता माना जाता है। उनका विवाह मनु की पुत्री इला से हुआ। देवों की सभा में बुध को राजकुमार कहा गया है।

बुध ग्रह के बारे में जानकारी (Budh grah in astrology)
बुध प्रायः कुंडली में सूर्य के साथ या सूर्य से एक भाव आगे या पीछे दिखाई देता है। सूर्य और बुध की भचक्र में आपसी दूरी अधिक से अधिक 270 है अर्थात् बुध पर सूर्य का प्रभाव बना ही रहता है। सूर्य के साथ रहने पर बुध ग्रह को अस्त का दोष नहीं लगता और अस्त होने से परिणामों में भी बहुत अधिक अंतर नहीं देखा गया है। अपितु सूर्य और बुध की युति बुद्धादित्य योग बनती है।

- बुध ग्रह मिथुन राशि और कन्या राशि का स्वामी है और कन्या (15 से 20 अंश तक) इसकी मूल त्रिकोण राशि भी है।
- कन्या राशि में बुध उच्च (परमोच्च 15 अंश तक) होता हैं एवं मीन राशि में नीच (परमनिम्न 15 अंश तक)
बुध से सम्बन्धित नक्षत्र अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती है। - बुध एक नपुंसक ग्रह है। वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी महादशा 17 वर्ष की होती है।
- शनि, शुक्र, राहू ग्रह बुध के मित्र हैं, चंद्रमा शत्रु तथा सूर्य, मंगल और गुरु के साथ बुध सम भाव रखता है।
- बुध को बुधि,वाणी और तर्क का ग्रह माना जाता है।
- बुध की दिशा उत्तर है तथा उत्तर दिशा कुबेर का स्थान भी है।
- बुध प्रधान जातक व्यापारी और विद्वान होता है। गणित में प्रवीण और किसी चीज का पूर्वानुमान या पूर्वाभास प्राप्त करने में माहिर होता है।
- कुंडली में बुध अच्छा होता है तो जातक सुन्दर, सुशिल और बुद्धिमान होता है।
- यह त्वचा प्रधान ग्रह है, अगर कुंडली में बुध ख़राब हो तो त्वचा सम्बन्धी रोग होते है और दशा महादशा में भी खराबफल देता है इससे वायु, काफ व पित के रोग देता है और शारीर के तंत्रिका तंत्र यानि की नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है।
- बुध के कमजोर होने से जातक के सोचने और समझने की शक्ति कमजोर होती है जेसे की त्वचा का सुन्न होना, नाक के सेंसर कम काम करते है, चोट लगने या किसी प्रकार की पीड़ा का महसूस नहीं होना, त्वचा पर काले रंग के धब्बे बन जाना और स्वतः ही समाप्त हो जाना जेसे प्रभाव दिखाई देते है।
- बुध वाणी का कारक है अतः हकलाने की समस्या भी बुध के कारण ही होती है।
- बुध जिस भाव में बैठता है वहां बैठे अन्य ग्रहों के स्वभाव और गुणों को अपना लेता है।
बुध ग्रह के मंत्र (Budh Grah Mantra)
बुध वैदिक मंत्र (Budh Vedic Mantra)
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रतिजागृहि त्वमिष्टापूर्ते स सृजेथामयं च ।
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन्विश्वे देवा यजमानश्च सीदत ।।
बुध ग्रह के वैदिक मंत्र का नौ हजार जप करना चाहिए।
बुध तात्रिंक मंत्र (Budh Tantrik Mantra)
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।
बुं बुधाय नमः।
बुध ग्रह के तांत्रिक मंत्र का छत्तीस हजार जाप करना चाहिए।
बुध गायत्री मंत्र (Budh Gayatri Mantra)
ॐ चन्द्रपुत्राय विद्महे रोहिणी प्रियाय धीमहि तन्नो बुध: प्रचोदयात ||
बुध ग्रह के उपाय (Budh grah ke upay)
आराध्य देवी-देवता
बुध की आराध्य देवी श्री दुर्गाजी और आराध्य देव श्री गणेश जी है।
बुध के लिए हवन
बुध के लिए अपामार्ग की समिधा से हवन किया जाता है।
बुध के लिए दान
बुध के लिए हरा वस्त्र, हरी सब्जी, हरे रंग की वस्तु, मूंग की दाल, स्वर्ण (सोना), कांस्य, घृत, मिस्री, हाथी दांत, पन्ना, पुष्प, कपूर, दक्षिणा आदि के दान बताये है।
बुध के लिए औषधि स्नान
जिस व्यक्ति का बुध ग्रह पीडि़त हो उसे शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार को स्नान जल में – आंवला, शहद, गोरोचन, स्वर्ण, हरड़, बहेड़ा, गोमय एंव अक्षत डालकर निरन्तर 15 बुधवार तक स्नान करना चाहिए जिससे उस जातक का बुध ग्रह शुभ फल देने लगता है।
इन सभी चीजों को एक कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। उपरोक्त सामग्री की मात्रा दो-दो चम्मच पर्याप्त है। पोटली को स्नान करने वाले जल में 10 मिनट के लिये रखें। एक पोटली 7 दिनों तक प्रयोग कर सकते है।
अगर इतना सब न कर सको तो मात्र साबुत चावल अथवा दूर्वा घास का रस को जल में डालकर स्नान करें।
बुधवार व्रत
बुधवार का व्रत ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार से प्रारंभ करना चाहिए। कम से कम 21 बार या 35 बार व्रत रखें। व्रत के दिन हरा वस्त्र धारण कर बुध के बीज मंत्र ‘‘ॐ बुं बुधाय नमः’‘ का 108 दाने की स्फटिक माला पर 3 या 17 माला जप करें। उसके बाद गुड़ के साथ मूंग दाल का हलुवा या लड्डू भोग लगा कर स्वयं खाएं। अंतिम बुधवार को पूर्णाहुति हवन कर समापन करें तथा ब्राह्मण भोजन कराएं।
बुध की अनुकूलता के लिए एकादशी का व्रत भी किया जाता है।
ग्रह पीड़ा निवृत्ति हेतु बुध यंत्र (Budh Yantra)
बुध के यंत्र को बुधवार के दिन भोजनपत्र पर अष्टगंध से अनार की कलम से लिखकर पंचोपचार पूजन कर स्वर्ण यंत्र या तांबे के यंत्र में मढ़वा कर अथवा ताम्र पत्र पर Print करा कर पंचोपचार पूजन कर के हरे धागे में गूंथ कर सीधे हाथ में या गले में धारण करना चाहिए।

बुध के लिए रत्न धारण (Budh Grah Gemstone)
बुध अगर आपकी कुंडली का कारक ग्रह है तो पन्ना स्वर्ण में मढ़वा कर बुधवार के दिन प्रातः काल अंगूठी को दूध से, पुनः गंगा जल से धो कर, सीधे हाथ की अंगुली में धारण करना चाहिए। संभव हो तो अंगूठी में प्राण-प्रतिष्ठा कर के धारण करना चाहिए।
पन्ना रत्न के बारे में यह भी देखे :
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बुध के लिए रुद्राक्ष(Budh Grah Rudraksha)
चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए यह बुध से सम्बंधित होता है।
बुध भगवान् विष्णु के प्रतीक समझे जाते हैं अतः 10 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
गणेश रुद्राक्ष धारण करने से बुध ग्रह अनुकूल फल देने लगता है। गणेश रुद्राक्ष न सिर्फ स्मरण शक्ति बढ़ाता है बल्कि एकाग्रता में भी वृद्धि करता है।
बुध के लिए औषधि धारण
बुध के लिए विधारामूल हरे कपड़े में सिल कर व हरे धागे में गूंथ कर बुधवार को धारण करना चाहिए या सोने के ताबीज में डाल कर धारण करना चाहिए।
बुध के लिए सामान्य उपाय (Budh Grah Ke Upay Remedies)
- श्रीगणेश को दूर्वा अर्पित करें।
- बुधवार को एक रोटी में गुड़ लगा कर बुधवार को प्रातः काली गाय को खिलाना चाहिए।
- बुध के मंदिर थिरुवेनकाडु की यात्रा करें।
- बुध ख़राब होने पर हरे रंग से दूरी बनाए रखें। अपने आसपास कोई भी हरे रंग की वस्तु ना रखे। हरे रंग के कपडे न पहने और कमरे में हरा रंग न लगाये ।
- हिजड़ो को हरे रंग की चुड़ियाँ‚हरे रंग के कपड़े बुधवार को दान करे।
- बुध के कारण कर्ज में बृद्धि हो रही हो अथवा व्यवसाय पर कर्ज अधिक हो रहा हो तो गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें।
- हकलाने से मुक्ति पाने के लिए विधि-विधानपूर्वक बुध यंत्र को निर्मित करवाकर उसके समक्ष बुध मंत्र का प्रतिदिन जप करें।
- हरे कपड़े में विधारा की जड़ लपेटकर अपनी दाईं भुजा में धारण करें। हकलाने की समस्या दूर हो जाएगी।
- पांच बुधवार तक पांच कन्याओं का हरे वस्त्र दान करें। बुधवार के दिन 5 बालक व बालिकाओं को भोजन कराएँ।
- कौड़ी को जला कर उसकी भस्म उसी दिन नदी में प्रवाहित करें।
- छेद वाले तांबे के पैसे को नदी में प्रवाहित करें।
- ताबें के प्लेट में छेद करके बहते पानी में बहाएँ।
- फिटकरी से मुंह धोवें।
- कांसे का कड़ा पहनें।
- मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं।
- कुंवारी कन्या का पूजन करें।
- हरी सब्जी, हरी घास या चारा गाय को खिलाएं।
- लड़की‚बहन‚बुआ‚साली की सेवा करे।
- नित्य विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करे।
- बुधवार को इलाईची व तुलसी के पत्ते सेवन करें।
- संकटनाशन गणपति स्तोत्र, गणेशअथर्वशीर्ष का पाठ नित्य करें।
- दुर्गासप्तशती का पाठ करवाएं। यदि संभव हो तो स्वयं करें।
- अपनी नाक छिदवाएँ।
आप अपनी कुंडली की स्थिति को देखकर बुध के विभिन्न उपायों को प्रयोग में ला सकते है। राहु के उपाय (Budh Grah Ke Upay) से सम्बन्धी किसी भी जानकारी के लिए आप कमेंट कर सकते है। अगर आपको पोस्ट पसंद आयी हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।
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