Rahu Ke Upay: ज्योतिष शास्त्र का एक ऐसा ग्रह जिसके नाम से लोगों को सर्वाधिक डर लगता है या कह सकते है की ज्योतिषी इसी से लोगो को डरा देते है जो इतना शक्तिशाली है की सूर्य और चन्द्र जैसे ग्रहों को भी ग्रहण लगा देता है। नवग्रहों में यह अकेला ही ऐसा ग्रह है जो सबसे कम समय में किसी व्यक्ति को करोड़पति, अरबपति या फिर कंगाल भी बना सकता है तथा इसी लिए इस ग्रह को मायावी ग्रह के नाम से जाना जाता है। वैसे इसे ग्रह न कहकर छाया ग्रह कहा जा सकता है। आज हम इस पोस्ट में राहु के बारे में बात कर रहे है। राहु के उपाय और इसके मंत्रो के बारे में जानेंगे।
राहु के बारे में जानकारी (Rahu in astrology)
खगोल विज्ञान के अनुसार राहु केतु का सौरमंडल में अपना कोई आस्तित्व नहीं है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु सूर्य एवं चंद्र के परिक्रमा पथों के आपस में काटने के दो बिन्दुओं (Node) के द्योतक हैं। इसको पातबिंदु भी कहते हैं।
क्रांतिवृत्त / रविपथ / सूर्य पथ (वह आकाशीय रेखा है जिस पर हमे सूर्य भ्रमण करता हुआ प्रतीत होता है वास्तविक रूप में यह पृथ्वी का भ्रमण पथ है) और चन्द्र-पथ (जिस रास्ते से चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है) एक-दूसरे के समानांतर नहीं हैं और ये दोनों पथ एक-दूसरे को काटते हैं. जब चन्द्र पृथ्वी के चारो ओर चक्कर लगाते समय क्रांतिवृत्त को काटते हुए नीचे से ऊपर की ओर जाता है तो कटान बिंदु को राहू का नाम दिया गया है और इसको ‘आरोही-पात’ (Ascending Node) भी कहते हैं.
प्रसिद्ध खगोलशास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट्ट ने कहा कि पृथ्वी व चंद्र की छाया के कारण ग्रहण होता है। अर्थात् पृथ्वी की बड़ी छाया जब चन्द्रमा पर पड़ती है तो चन्द्र ग्रहण होता है। इसी प्रकार चन्द्र जब पृथ्वी और सूर्य के बीच आता है तो सूर्यग्रहण होता है। ज्योतिषशास्त्र इसी छाया को राहु-केतु मानता है इसी कारण राहु को छाया ग्रह कहा गया है।
कई विद्वानों ने चन्द्रमा के उत्तरी ध्रुव को राहु और दक्षिणी ध्रुव को केतु माना है। काल सर्प दोष शब्द की उत्त्पत्ति राहु और केतु की कुंडली में विभिन्न स्थितियों के अनुसार हुई है। इन बिन्दुओ या ध्रुव के मध्य जब सारे ग्रह आ जाते है तो काल सर्प दोष का निर्माण होता है जिसे कुंडली में 12 घरो की स्थिति के अनुसार 12 भागो में विभाजित कर दिया है।
छाया का हमारे जीवन में बहुत असर होता है। कहते हैं कि रोज पीपल की छाया में सोने वाले को किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता लेकिन यदि बबूल की छाया में सोते रहें तो दमा या चर्म रोग हो सकता है। इसी तरह ग्रहों की छाया का हमारे जीवन में असर होता है
राहु की कथा (Story of Rahu)
समुद्रमंथन के बाद जिस समय भगवान विष्णु मोहिनी रूप में देवताओं को अमृत पिला रहे थे, उसी समय स्वर्भानु असुर देवताओं का वेश बनाकर उनके बीच में आ बैठा और देवताओं के साथ उसने भी अमृत पी लिया लेकिन सूर्य और चन्द्रमा ने उसे पहचान लिया।
अमृत पिलाते-पिलाते ही भगवान विष्णु अपने असली स्वरुप में आ गए और उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट डाला। चूँकि अमृत पान करने पर स्वर्भानु अमर हो गया था इसलिए उसका सर और धड़ भी जीवित थे। स्वर्भानु असुर इसी रूप में महादेव के पास न्याय के लिए पंहुचा तब भगवान शिव ने स्वर्भानु के सर को राहु और धड़ को केतु नाम दिया और उसे ग्रहो में स्थान दिया। राहु केतु ने भगवान शिव से कहा की उसका यह हाल सूर्य और चन्द्रमा के कारण हुआ है इसलिए वह सूर्य और चन्द्रमा को ग्रहण लगाएगा। तभी से अन्य ग्रहों के साथ राहु भी ब्रह्मा की सभा में बैठता है।
राहु का स्वरुप (Rahu Physical Appearance)
राहु (स्वर्भानु असुर) की माता का नाम सिंहिका है, जो विप्रचित्ति की पत्नी तथा हिरण्यकशिपु की पुत्री थी। माता के नाम से राहु को सैंहिकेय भी कहा जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार राहु का मुख भयंकर है जिसके दन्त बड़े है। राहु को सांप का मुख कहा गया है। ये सिर पर मुकुट, गले में माला तथा शरीर पर काले रंग का वस्त्र धारण करते हैं। इनके हाथों में तलवार, ढाल, त्रिशूल और वरमुद्रा है। राहु सिंह के आसन पर विराजमान हैं। मत्स्यपुराण के अनुसार राहु का रथ अंधकार रूप है। इसे कवच आदि से सजाए हुए काले रंग के आठ घोड़े खींचते हैं।
राहु की सामान्य विशेषताएं
- राहु के लिए नीला और काला रंग माना गया है। नीले रंग को राहु का स्वरुप माना गया है।
- आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा को राहु का नक्षत्र माना गया है।
- सोचने की ताकत,कल्पना शक्ति का स्वामी, पूर्वाभास तथा अदृश्य को देखने की शक्ति ये राहु के गुण माने गए है।
- ठोड़ी, सिर, कान, जिह्वा को शरीर में राहु का स्थान माना गया है।
- काँटेदार जंगली चूहा, हाथी, बिल्ली व सर्प को राहु से जोड़ कर देखा जाता है।
- वंही नारियल का पेड़ और कुत्ता घास को भी राहु के लिए देखा जाता है।
- नीलम, सिक्का, गोमेद, कोयला यह राहु की वस्तु है।
- नीले फूलो को राहु के लिए माना जाता है।
- यह ग्रह वायु तत्व म्लेच्छ प्रकृति तथा नीले रंग पर अपना विशेष अधिकार रखता है।
- ध्वनि तरंगों पर राहु का विशेष अधिकार है।
- नैऋत्य कोण को राहु की दिशा मणि जाती है।
राहु के मंत्र (Rahu Grah Mantra)
Rahu Ke Upay में विभिन्न मंत्रो (Rahu Mantra) का प्रयोग लिया जाता है जो इस प्रकार है-
राहु वैदिक मंत्र (Rahu Vedic Mantra)
“ॐ कयानश्चित्र आभुवदूती सदा वृघः।
सखा कया शचिष्ठया वृता॥ “
राहु के वैदिक मंत्र का अट्ठारह हजार जप 18000 करना चाहिए।
राहु तात्रिंक मंत्र (Rahu Tantrik Mantra)
।। ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।।
।। ॐ रां राहवे नमः।।
राहु के किसी भी तांत्रिक मंत्र का बहत्तर हजार 72000 जप करना चाहिए।
प्रत्येक शनिवार ” ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों सः राहवे नमः “ का 108 वार जप करना चाहिए।
राहु गायत्री मंत्र (Rahu Gayatri Mantra)
॥ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृते शाय धीमहि तन्नो राहु प्रचोदयात्॥
राहु शिव के अनन्य भक्त हैं। एक श्लोक में इन्हें भगवान नीलकण्ठ के ह्वदय में वास करने वाला कहा गया है-
कालदृष्टि कालरूपा: श्रीकण्ठ: ह्वदयाश्रय:। विद्युन्तदाह: सैहिंकयो घोररूपा महाबला: ।।
राहु ग्रह के उपाय (Rahu grah ke upay)
आराध्य देवी-देवता
राहु के आराध्य देव भैरव जी है और देवी सरस्वती है।
राहु के लिए हवन
रात्रि के समय दूब से हवन करना चाहिए। जिसका मंत्र है “ओम छौं छीं छौं स: राहवे स्वाहा।”
राहु के लिए दान
उड़द, स्वर्ण का सांप, सात प्रकार के अन्न (साबुत उड़द, साबुत मूंग, गेंहू, चने, जों, चावल, बाजरा), नीला वस्त्र, गोमेद, काला फूल, चाकू, तिल डाल कर तांबे का बर्तन, सोना, रत्न, दक्षिणा।
राहु के लिए औषधि स्नान
कस्तूरी(Musk), गजदंत, लोबान, मुत्थरा, तारपीन मिश्रित जल आदि से स्न्नान के बारे में बताया गया है।
राहु व्रत
राहु का व्रत 18 शनिवारों तक करना चाहिए।
ग्रह पीड़ा निवृत्ति हेतु राहु यंत्र (Rahu Yantra)
राहु के लिए रत्न धारण (Gemstone for Rahu)
राहु के लिए गोमेद रत्न (Hessonite) को माना गया है। इसके अलावा लाजवर्त रत्न (Lapis Lazuli) और सुलेमानी हकीक (Black Banded Agate) को भी राहु दोष को कम करने के लिए धारण किया जाता है।
लाजवर्त और सुलेमानी हकीक को आप अंगूठी में धारण कर सकते है साथ ही ब्रेसलेट के रूप में भी पहन सकते है।
गोमद को चांदी में मढ़वा कर, पंचोपचार पूजन करके ब्राह्मणों द्वारा प्राण प्रतिष्ठा करा कर, उल्टे हाथ की मध्यमा उंगली में रात्रि भोजन के पश्चात् धारण करना चाहिए।
यदि राहु के साथ चंद्रमा हो तो चांदी में मोती मढ़वा कर अनामिका में धारण करना चाहिए।
यदि राहु के साथ सूर्य हो तो गारनेट चांदी में मढ़वा कर अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए।
राहु का रत्न धारण करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी से कुंडली का विवेचन जरूर करवाइये।
राहु के लिए रुद्राक्ष( Rudraksha for Rahu)
राहु के लिए नौमुखी रुद्राक्ष और चारमुखी रुद्राक्ष को चांदी में बनवा कर दाहिनी बांह पर धारण करना चाहिए। धारण करने से पूर्व शिवजी के भैरव रूप की पूजा करनी चाहिए।
राहु को अनुकूल करने के लिए आठ मुखी रुद्राक्ष भी धारण किया जाता है
राहु के लिए औषधि धारण
श्वेत चंदन (White Sandalwood) को नीले वस्त्र में बांध कर शनिवार को सीधे हाथ, बांह या गले में पहनना चाहिए।
राहु के लिए सामान्य उपाय Rahu Ke Upay Remedies
- शनिवार के दिन शिव जी के भैरव रूप की पूजा करनी चाहिए।
- श्री हनुमान बजरंग बाण का पाठ तथा हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए।
- माता सरस्वती की पूजा करें।
- दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय का पाठ करें।
- राहु की शांति के लिए श्रावण मास में रुद्राष्टाध्यायी का पाठ जरूर करें।जिनका उपनयन संस्कार हो चुका है उनके लिए राहु की शांति के लिए श्रावण मास में रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करना सर्वोत्तम है।
- भैरव की विधिवत् पूजा कर गुड़ और बेसन का रोट बना कर भोग लगाना चाहिए। स्वयं खाएं और कुत्ते को खिलाएं ।
- शिव जी को बेलपत्र चढ़ाएं व प्रतिदिन शिव मंदिर जाएं ।
- रुद्राभिषेक करें।
- राहु की शांति के लिये अलसी के तेल का दीपक शिव जी को अर्पित करने का प्रावधान है।
- शनिवार के दिन एक स्टील की छोटी कटोरी में रूई की बत्ती तथा सरसों का तेल डालें। उसमें थोड़े काले तिल भी डालकर दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं। कटोरी वहीँ छोड़ कर आ जाएँ।
- अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है। प्रतिदिन सुबह चन्दन का टीका भी लगाना चाहिए। अगर हो सकते तो नहाने के पानी में चन्दन का इत्र डाल कर नहाएं।
- अगर काल सर्प दोष बन रहा हो तो उसके उपाय करवा लीजिये।
- बहते पानी में शीशा अथवा नारियल प्रवाहित करें।
- नदी में पैसा प्रवाहित करें।
- कुष्ठ रोगी को मूली का दान दें।
- काले कुत्ते को मीठी रोटियां खिलाएं।
- मोर व सर्प में शत्रुता है अर्थात सर्प, शनि तथा राहू के संयोग से बनता है। यदि मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व डायरी में रखा हो तो राहू का दोष कभी भी नहीं परेशान करता है। मोरपंख की पूजा करें या हो सके तो उसे हमेशा अपने पास रखें।
- रात को सोते समय अपने सिरहाने में जौ रखें जिसे सुबह पंक्षियों को दें।
- सरसों तथा नीलम का दान किसी भृत्य या कुष्ठ रोगी को दें।
- राहु और केतु ग्रह से पीडि़त व्यक्ति को रोजाना कबूतरों को बाजरा और काले तिल मिलाकर खिलाना चाहिए।
- गिलहरी को दाना डालें।
- कुष्ठ रोगियों को दो रंग वाली वस्तुओं का दान करें।
- हर मंगलवार या शनिवार को चीटियों को मीठा खिलाएं।
- अगर राहू आपकी कुंडली में 12वे घर में बैठा है तो भोजन रसोई घर में करें
- अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।
- अपने पास ठोस चाँदी से बना वर्गाकार टुकड़ा रखें।
- श्री काल हस्ती मंदिर की यात्रा करें।
- चाय की कम से कम 200 ग्राम पत्ती 18 बुधवार दान करने से रोग कारक अनिष्टकारी राहु स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
- नेत्रेत्य कोण में पीले फूल लगायें।
- अपने घर के वायु कोण (उत्तर-पश्चिम) में एक लाल झंडा लगाएं।
- यदि क्षय रोग से पीड़ित हों तो गोमूत्र से जौ को धो कर एक बोतल में रखें तथा गोमूत्र के साथ उस जौ से अपने दाँत साफ करें।
- शनिवार के दिन अपना उपयोग किया हुआ कंबल किसी गरीब को दान करें।
- शिवजी पर जल, धतुरा के बीज, चढ़ाएं और सोमवार का व्रत करें।
- यदि राहु चंद्रमा के साथ हो तो पूर्णिमा के दिन नदी की धारा में नारियल, दूध, जौ, लकड़ी का कोयला, हरी दूब, यव, तांबा, काला तिल प्रवाहित करें।
- यदि राहु सूर्य के साथ हो तो सूर्य ग्रहण के समय कोयला और सरसों नदी की धारा में प्रवाहित करना चाहिए।
आप अपनी कुंडली की स्थिति को देखकर राहु के विभिन्न उपायों को प्रयोग में ला सकते है। राहु के उपाय (Rahu Ke Upay) से सम्बन्धी किसी भी जानकारी के लिए आप कमेंट कर सकते है। अगर आपको पोस्ट पसंद आयी हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।
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