Shukra Grah Ke Upay: पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के मानस पुत्र भृगु ऋषि का विवाह प्रजापति दक्ष की कन्या ख्याति से हुआ जिस से धाता ,विधाता दो पुत्र व श्री नाम की कन्या का जन्म हुआ। भागवत पुराण के अनुसार भृगु ऋषि के कवि नाम के पुत्र भी हुए जो कालान्तर में शुक्राचार्य नाम से प्रसिद्ध हुए। इन्हे असुरो के गुरु कहा जाता है जिनको मृतसंजीवनी विद्या का ज्ञान है जो शिव जी से प्राप्त हुआ।

शुक्र ग्रह के बारे में जानकारी (Shukra grah in astrology)
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को शुभ ग्रह माना गया है और ग्रहो में शुक्र को मंत्री पद प्राप्त है।
शुक्र स्वभाव में चर और जल तत्व ग्रह है इसको स्त्री लिंग प्रवृत्ति का माना गया है l
शुक्र ग्रह भरणी, पूर्वा फाल्गुनी, और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी है l
शुक्र ग्रह वृष राशि एवं तुला राशि का स्वामी है l तुला राशि मे 1 से 10 अंश तक मूल त्रिकोण मे सिथत होता है l
शुक्र ग्रह मीन राशि के 27 अंश पर उच्च का तथा कन्या राशि के 27 अंश पर नीच का होता है l
शुक्र ग्रह का कारक भाव सप्तम है तथा यह अपने स्थान से सप्तम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है l
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को छटे भाव में निष्फल माना गया है
शुक्र ग्रह के बुध तथा शनि मित्र है , सूर्य और चन्द्रमा शत्रु है तथा मंगल एवं गुरु सम है l
शुक्र ग्रह को सुख, ऐश्वर्य, सिनेमा जगत, फैशन जगत, मनोरंजन , रंगमंच , कविता – गायन – संगीत, नृत्य, विवाह, काम, वीर्य, भोग – विलास, जननांग, मैथुन, गुप्तांग सम्बन्धी रोग, वासना, पत्नी सुख, प्रेमी – प्रेमिका , विदेश – गमन, डिज़ाइनर कपड़ों का व्यवसाय, प्रेम, आदि का प्रतिनिधि माना गया है l
शुक्र को नेत्र का कारक भी माना गया है l
शुक्र ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जो व्यय भाव (12th House) में सामान्यतः अच्छा फल देता है।
शुक्र का सम्बन्ध जिस कुण्डली मे सप्तम भाव से हो तथा राहु – शुक्र , मंगल – शुक्र की युति हो तो जातक पर स्त्री/ पुरष से शारीरिक सम्बन्ध स्थापित करने की सम्भावना होती है l
शुक्र ग्रह प्रेम और सुन्दरता का देवता है l शुक्र ग्रह को परिवार और गृहस्थी का कारक माना गया है। पुरूष की कुण्डली में यह पत्नी और स्त्री की कुण्डली में पति की स्थिति को दर्शाता है l
जिस जातक की कुण्डली में शुक्र ग्रह शुभ और उच्च का होता है वह श्रृंगार प्रिय होता है। इन्हें स्त्रियों का साथ पसंद होता है और व इनसे लाभ भी लेता है l
शुक्र अपना शुभाशुभ फल 25 से 28 वर्ष कि आयु में ,अपने वार व होरा में ,बसंत ऋतु में,अपनी दशाओं व गोचर में प्रदान करता है |
शुक्र ग्रह के मंत्र (Shukra Grah Mantra)
शुक्र के वैदिक मंत्र का सोलह हजार 16000 जप करना चाहिए।
शुक्र वैदिक मंत्र (Vedic Mantra)
“ऊँ अन्नात्परश्रिुतो रसं ब्राह्मण व्यपिवत्क्षत्रं पयः सोमं प्रजापतिः। ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानग्वं शुक्रमन्ध्रंस इन्द्रस्येन्द्रियर्मिदं पयोऽमृतं मु॥”
शुक्र तात्रिंक मंत्र : (Tantrik Mantra)
“ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” (ख) “ऊँ शुं शुक्राय नमः”
शुक्र के किसी भी तांत्रिक मंत्र का चौंसठ हजार (64) जप करना चाहिए।
निम्न श्लोक का पाठ भी किया जाता है-
“ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा “
शुक्र गायत्री मंत्र: (Gayatri Mantra)
“ऊँ भृगुजाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो शुक्रः प्रचोदयात्।”
शुक्र ग्रह के उपाय (Shukra grah ke upay)
आराध्य देवी
शुक्र की आराध्य देवी लक्ष्मी, इंद्राणी तथा दुर्गा जी है।
शुक्र के लिए हवन :
उदुंवर की समिधा से हवन करना चाहिए।
शुक्र के लिए दान :
श्वेत चावल, श्वेत चंदन, श्वेत वस्त्र, श्वेत पुष्प, चांदी, हीरा, घृत, सोना, श्वेत घोड़ा, दही, सुगंध द्रव्य इत्र, शर्करा, गेहूं, दक्षिणा आदि। किसी भी शुक्रवार के दिन शाम के समय किसी युवा स्त्री को देना चाहिए l
शुक्र के लिए औषधि स्नान :
हरी इलायची या बड़ी इलायची , मैनसिल, सुवृक्ष मूल, केसर। शुक्र का स्नान उपाय करते समय जल में बडी इलायची डालकर उबाल कर इस जल को स्नान के पानी में मिलाया जाता है। इसके बाद इस पानी से स्नान किया जाता है। स्नान करने से वस्तु का प्रभाव व्यक्ति पर प्रत्यक्ष रुप से पडता है तथा शुक्र के दोषों का निवारण होता है।

यह उपाय करते समय व्यक्ति को अपनी शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। तथा उपाय करने कि अवधि के दौरान शुक्र देव का ध्यान करने से उपाय की शुभता में वृद्धि होती है। इसके दौरान शुक्र मंत्र का जाप करने से भी शुक्र के उपाय के फलों को सहयोग प्राप्त होता है।
शुक्रवार व्रत :
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से व्रत प्रारंभ करके इक्कीस 21 या तैंतीस 33 शुक्रवार लगातार करें। व्रत के दिन उपासक स्नान कर, श्वेत वस्त्र धारण करके शुक्र के बीज मंत्र का एक सौ आठ दाने की स्फटिक अथवा रुद्राक्ष माला पर तीन या इक्कीस माला जप करें। उसके बाद दूध, चीनी, चावल से बनी खीर का भोग लगा कर स्वयं खाएं तथा दूसरों को भी खिलाएं। यदि संभव हो तो एक आंख वाले गरीब व्यक्ति (शुक्राचार्य) को दें या गाय को खिलावें। अंतिम शुक्रवार को पूर्णाहुति, हवन द्वारा करें तथा चांदी, श्वेत वस्त्र, चावल, दूध, गरीब को दान में दें।
ग्रह पीड़ा निवृत्ति हेतु शुक्र यंत्र (Shukra Yantra)
भोजपत्र पर श्वेत चंदन एवं अनार की कलम से शुक्रवार को प्रातः काल लिख कर, पंचोपचार पूजन करके अथवा चांदी के पत्र पर शुक्रवार को उत्कीर्ण करा कर, पूजन कर गले या बांह में धारण करना चाहिए।

शुक्र के लिए रत्न धारण (gemstone for venus)
श्वेत पुखराज(White Sapphire), हीरा अथवा जकरन या फिर ओपल(opal) चांदी या श्वेत धातु या स्वर्ण में मढ़वा कर पंचोपचार पूजन, ब्राह्मण से प्राण प्रतिष्ठा करा कर, तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिए।

रत्न धारण करने से ग्रह बलवान हो जाता है उसके शुभत्व तथा अशुभत्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता ये सुनिश्चित कर लें की आपकी कुंडली के हिसाब से रत्न धारण कर सकते हैं या नहीं। अच्छा रहेगा किसी योग्य ज्योतिषी से रत्न धारण की सलाह ले लें।
शुक्र के लिए रुद्राक्ष
कुंडली में शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए आपको 6 मुखी रुद्राक्ष और 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 6 मुखी रुद्राक्ष कुंडली में शुक्र को संतुलित करता है। 7 मुखी रुद्राक्ष शनि के लिए होता है लेकिन इसे लक्ष्मी के लिए भी धारण किया जाता है।
शुक्र के लिए औषधि धारण :
शुक्रवार के दिन गुलर की जड़ को सफेद कपड़े में बांध कर व सफेद धागे में (यदि रेशम का हो तो अच्छा है) बांध कर गले या बांह में धारण करना चाहिए।
शुक्र के लिए सामान्य उपाय Shukra Grah Ke Upay Remedies
- सदैव स्वच्छ वस्त्र पहनें तथा इत्र का प्रयोग करें। कभी भी फटे या जलें कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
- अपने भोजन में से प्रथम ग्रास (कौर) गाय को खिलावें। शुक्रवार के दिन गाय को खीर खिलायें। शुक्रवार के दिन गाय को बताशे खिलायें।
- लक्ष्मी जी की अराधना करें। शुक्रवार को लक्ष्मी नारायण मंदिर जाएँ। पति अपनी पत्नी को 1 गुलाब को फूल दे।
- महिला अथवा गरीब संस्था को दान दें या उसमें स्वयं सहयोग दें।
- लक्ष्मी जी की अराधना करें।
- चीनी तथा आटा चींटियों को डालें।
- कन्याओं को खीर खिलाएं।
- शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
- किसी काणे व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
- किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय 10 वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
- घर का निर्माण हो रहा हो तो अपने घर में सफेद पत्थर या टाइल्स लगवाना चाहिए।
- किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
- शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए गौ-दुग्ध की कुछ बूंदे जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए।
- शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
- चांदी का कड़ा अभिमंत्रित कर धारण करना चाहिए।
- श्रीसूक्त का पाठ करें।
- नेत्रहीन व्यक्तियों की सेवा करें।
- चांदी की गाय बनवा कर दान करें।
- शुक्रवार को सुहागिन महिला को सुहाग सामग्री के साथ इत्र का दान करे।
- स्फटिक की माला धारण करें।
- स्त्री तथा अपनी पत्नी का कभी भी अनादर नहीं करना चाहिए।
- स्फटिक का शिवलिंग घर में स्थापित कर भगवान् शिव तथा मातारानी से संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें।
- किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय 10 वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
- गाय का पीला घी मंदिर में देने से भी शुक्र को बल मिलता है।
आप अपनी कुंडली की स्थिति को देखकर शुक्र ग्रह के विभिन्न उपायों को प्रयोग में ला सकते है। शुक्र ग्रह के उपाय (Shukra Grah Ke Upay) से सम्बन्धी किसी भी जानकारी के लिए आप कमेंट कर सकते है। अगर आपको पोस्ट पसंद आयी हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।
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