ग्रह और उनकी दिशाएं (Planets direction) आकाश में हम देख सकते है। हर ग्रह अलग -अलग दिशाओ में नजर आता है। ज्योतिष में इन ग्रह को अपनी दिशाएं प्राप्त है।यानि यह ग्रह अपनी-अपनी दिशाओ के स्वामी है।दिशाओ का प्रयोग ज्योतिष में विवाह की स्थिति जैसे विवाह किस दिशा में होने की सम्भावना है ,किस दिशा में व्यापार करना श्रेष्ठ होगा ,खोई हुई वस्तु किस दिशा में प्राप्त होगी तथा यात्रा करना किस दिशा में श्रेष्ठ होगा आदि जैसे प्रश्न ज्योतिष में होता है। इसके अलावा वास्तुशास्त्र में भी इसका उपयोग होता है।
प्राचीन समय में ज्योतिषियों और ऋषियों ने अपनी अलौकिक शक्तियों से यह जानकारी प्राप्त कर ली थी की सूर्य की पृथ्वी से दूरी कितनी है ,कौन सा नक्षत्र किस समय बदलता है। शायद उस समय ऋषियों से इनपर खास अनुसन्धान किया था। क्योंकि उस समय कोई टेलिस्कोप भी नहीं होता था तो फिर उनके पास ऐसी कौन सी दिव्य दृष्टि थी जिसकी मदद से उन्होंने ग्रहो की चाल और उनकी दिशाओ की जानकारी प्राप्त कर ली।
तो आइये जानते है की कौनसा ग्रह किस दिशा का स्वामी है –
ज्योतिष में ग्रह और उनकी दिशाएं(astrology planet direction)

सूर्य की दिशा(Sun direction)
सूर्य -पूर्व का स्वामी
चंद्र की दिशा(Moon Direction)
चन्द्रमा -पश्चिमोत्तर कोण का स्वामी
मंगल की दिशा(Mars Direction)
मंगल – दक्षिण का स्वामी
बुध की दिशा(Mercury Direction)
बुध – उत्तर का स्वामी
गुरु की दिशा (Jupitar Direction)
बृहस्पति -पूर्वोत्तर दिशा का स्वामी
शुक्र की दिशा(Venus Direction)
शुक्र -पूर्व दक्षिण कोण का स्वामी
शनि की दिशा(Saturn Direction)
शनि -पश्चिम का स्वामी
ऐसा देखा जाता है की जो ग्रह बेहतर है या कुंडली में कारक है उसकी दिशा में जातक का भाग्योदय माना जाता है। इससे हम जातक के जीवन को बेहतर दिशा दे सकते है। इसके अलावा यह भी पता लगाया जा सकता है की खोई हुई वस्तु किस दिशा में मिलेंगी या कोई पथिक किस दिशा में मिलेगा आदि जातक विचार और प्रश्न में इस ज्ञान का प्रयोजन होता है।
इस प्रकार अलग-अलग राशियों को भी दिशाएं प्राप्त है।कौनसी राशियाँ किन दिशाओ में आती है आइये देखते है –
राशियाँ और उनकी दिशाएँ (zodiac and there direction)
पूर्व दिशा की राशियाँ (East Direction zodiac)
मेष ,सिंह ,धनु – पूर्व दिशा
मेष 1,सिंह 5,धनु ९ यह अग्नि प्रधान राशियाँ भी है।यानि पूर्व दिशा भी अग्नि प्रधान दिशा है। यह भी एक संयोग है की अग्नि स्वरुप सूर्य भी पूर्व से ही उदित होता है।
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दक्षिण दिशा की राशियाँ (South Direction zodiac)
वृषभ, कन्या ,मकर – दक्षिण
वृषभ 2, कन्या 6,मकर 10 यह पृथ्वी तत्त्व राशि है। यानि दक्षिण दिशा को भी पृथ्वी तत्व की दिशा कहा जा सकता है।

पश्चिम दिशा की राशियाँ(west Direction zodiac)
मिथुन,तुला,कुम्भ – पश्चिम
मिथुन 3,तुला 7,कुम्भ ११ यह वायु तत्व राशियाँ है। भारत में आमतौर पर वायु पश्चिम से पूर्व की और बहती है। पश्चिम दिशा को वायु तत्त्व की दिशा भी कहा जा सकता है।
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उत्तर दिशा की राशियाँ(north direction zodiac)
कर्क, वृश्चिक, मीन – उत्तर
कर्क4, वृश्चिक 8, मीन १२ यह राशियाँ जल तत्त्व राशियाँ है। यानि उत्तरी दिशा को जल तत्व की दिशा भी मान सकते है।
राशियों और ग्रहो की उचित स्थति को देखते हुए ही उनकी दिशाओ की गणना की जाती है। इसके लिए संपूर्ण कुंडली का अध्ययन करना आवश्यक है। फिर प्रश्न शास्त्र ज्योतिष के अनुसार जातक के प्रश्नो पर विचार किया जाता है।
इस प्रकार हमने इस पोस्ट में देखा की ग्रहो और राशियों को कौन -कौन से दिशाएँ ज्योतिष में प्रदान की है और इनका ज्योतिष शास्त्र में उपयोग किस प्रकार किया जाता है।
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