श्री शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र | Namami Shamishan Nirvan Roopam Lyrics In Hindi 2023

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नमामि शमीशान निर्वाण रूपं अर्थ सहित, शिव रुद्राष्टकम अर्थ सहित, श्री शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र (Shiv Rudrashtakam Lyrics In Hindi, Namami Shamishan Nirvan Roopam Lyrics In Hindi)

Namami Shamishan Nirvan Roopam Lyrics In Hindi
Namami Shamishan Nirvan Roopam Lyrics In Hindi

नमामि शमीशान निर्वाण रूपम गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा लिखा गया एक स्त्रोत है इस स्त्रोत में 8 श्लोक है इसे ही रुद्राष्टक कहा जाता है यह स्तोत्र रामचरितमानस के उत्तरकांड के दोहा 108 के पहले दिया गया है यह स्तोत्र भगवान शिव को समर्पित है ।

शिव को समर्पित अनेक रचनाये है जो मंत्र और स्तोत्र के रूप में विध्यमान है। शिवरात्रि और श्रावण का महीना आने पर यह स्त्रोत्रों और मंत्रो का पाठ अनेक शिवभक्तों द्वारा किया जाता है और इससे उनके अंदर शिवत्व भी जाग्रत होता है। रुद्राष्टक को भी सावन के महीनो में सुना जाता है। हमने श्री शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र के साथ – साथ इसके अर्थ को हिंदी में भी दे रखा है जिससे यह आपको समझ में आये और आपकी शिवभक्ति और बड़े।तो आइये देखते है शिव रुद्राष्टकम नमामि शमीशान निर्वाण रूपम का अर्थ।

नमामि शमीशान निर्वाण रूपम अर्थ सहित(Namami Shamishan Nirvan Roopam Lyrics In Hindi)

श्री शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय

om Shiv Rudrashtakam Lyrics In Hindi
Source: pixabay

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेहम्।।
1।।

हे भगवान ईशान को मेरा प्रणाम ऐसे भगवान जो कि निर्वाण रूप हैं जो कि महान ॐ के दाता हैं जो सम्पूर्ण ब्रह्माण में व्यापत हैं जो अपने आपको धारण किये हुए हैं जिनके सम्मुख गुण अवगुण का कोई महत्व नहीं, जिनका अन्य कोई विकल्प नहीं, जो निष्पक्ष हैं जिनका आकार आकाश के समान हैं जिसे मापा नहीं जा सकता उनकी मैं उपासना करता हूँ।

निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकालकालं कृपालं
गुणागारसंसारपारं नतोहम्।।2।।

जिनका कोई आकार नहीं, जो ॐ के मूल हैं, जिनका कोई राज्य नहीं, जो गिरी के वासी हैं, जो कि सभी ज्ञान, शब्द से परे हैं, जो कि कैलाश के स्वामी हैं, जिनका रूप भयावह हैं, जो कि काल के स्वामी हैं, जो उदार एवं दयालु हैं, जो गुणों का खजाना हैं, जो पुरे संसार से परे हैं उनके सामने मैं नत मस्तक हूँ।

Namami Shamishan Nirvan Roopam In Hindi
Image Source : Internet

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं
मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा।।3।।

जो कि बर्फ के समान शील हैं, जिनका मुख सुंदर हैं, जो गौर वर्ण के हैं जो गहन ध्यान में हैं, जो सभी प्राणियों के मन में हैं, जिनका वैभव अपार हैं, जिनकी देह सुंदर हैं, जिनके मस्तक पर तेज हैं जिनकी जटाओ में लहलहारती गंगा हैं, जिनके चमकते हुए मस्तक पर चाँद हैं, और जिनके कंठ पर सर्प का वास हैं।

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि।।4।।

जिनके कानों में बालियाँ हैं, जिनकी सुन्दर भौंहें और बड़ी-बड़ी आँखे हैं जिनके चेहरे पर सुख का भाव हैं जिनके कंठ में विष का वास हैं जो दयालु हैं, जिनके वस्त्र शेर की खाल हैं, जिनके गले में मुंड की माला हैं ऐसे प्रिय शंकर पुरे संसार के नाथ हैं उनको मैं पूजता हूँ।

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।
त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं
भजेहं भवानीपतिं भावगम्यम्।।5।।

जो भयंकर हैं, जो पूर्ण साहसी हैं, जो श्रेष्ठ हैं अखंड है ,जो अजन्मे हैं ,जो सहस्त्र सूर्य के सामान प्रकाशवान हैं जिनके पास त्रिशूल हैं जिनका कोई मूल नहीं हैं जिनमे किसी भी मूल का नाश करने की शक्ति हैं ऐसे त्रिशूल धारी माँ भगवती के पति जो प्रेम से जीते जा सकते हैं उन्हें मैं वन्दन करता हूँ।

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी।।6।।

जो काल के बंधे नहीं हैं, जो कल्याणकारी हैं, जो विनाशक भी हैं,जो हमेशा आशीर्वाद देते है और धर्म का साथ देते हैं , जो अधर्मी का नाश करते हैं, जो चित्त का आनंद हैं, जो जूनून हैं जो मुझसे खुश रहे ऐसे भगवान जो कामदेव नाशी हैं उन्हें मेरा प्रणाम।

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं,
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्‌ ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं,
प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ।।7।।

जो यथावत नहीं हैं, ऐसे उमा पति के चरणों में कमल वन्दन करता हैं ऐसे भगवान को पूरे लोक के नर नारी पूजते हैं, जो सुख हैं, शांति हैं, जो सारे दुखो का नाश करते हैं जो सभी जगह वास करते हैं।

न जानामि योगं जपं नैव पूजा,
न तोऽहम्‌ सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्‌ ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं,
प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ।।8।।

मैं कुछ नहीं जानता, ना योग, न जप न ही पूजा, हे देव मैं आपके सामने अपना मस्तक हमेशा झुकाता हूँ, सभी संसारिक कष्टों, दुःख दर्द से मेरी रक्षा करे , मेरी बुढ़ापे के कष्टों से से रक्षा करें , मैं सदा ऐसे शिव शम्भु को प्रणाम करता हूँ।

रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति ।।

भगवान शिव की स्तुति का यह अष्टक शिव जी की प्रसन्नता के लिए ब्राह्मणो द्वारा कहा गया है। जो भी इस अष्टक को भक्तिपूर्वक पढ़ते है शिवजी की कृपा उनपर बरसती रहती है।

।। इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ।।

Namami Shamishan Nirvan Roopam Lyrics Video

Rudrashtakam – Full Song Namami Shamishan Nirvan Roopam Lyrics In Hindi

श्री रुद्राष्टकम स्तोत्र को आप यूट्यूब पर भी सुन सकते है इसके लिए हमने सबसे अच्छी धून को वीडियो लिंक भी कर दिया है। आप इसे डाउनलोड भी कर सकते है। इसके अलावा आप नित्य इस स्तोत्र को सून भी सकते है इससे आपकी शिवभक्ति जाग्रत होगी। नमामि शमीशान निर्वाण रूपम भगवान शिव का यह अष्टक (Namami Shamishan Nirvan Roopam Lyrics In Hindi) आपको पढ़ कर कैसा लगा ,अपने अनुभव को जरूर बताये।

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