शिव वास तिथियां जानने की विधि 2024: रुद्राभिषेक करने से पहले आपको यह जान लेना आवश्यक है कि उस समय जब आप यह पाठ करने जा रहे हैं तो “शिव वास” कहां है? क्योंकि यदि सही समय पर यह मंत्र जाप किया जाएगा तो आपके कार्य या इच्छा के पूर्ण होने की सफलता अधिक है और यदि किसी अन्य समय पर किया जाए तो सफलता के योग कम हो सकते है।
शिव वास का अर्थ विभिन्न तिथियों (Shiv vas tithi) से है। शिव वास का अर्थ है की उस समय शिव जी कहाँ निवास कर रहे है और किस कर्त्तव्य की ओर है।
इसलिए किसी उद्देश्य विशेष के लिए रुद्राभिषेक करना चाहते हैं, तो आपको शिव वास अवश्य जान लेना चाहिए। परन्तु इसके विपरीत यदि निष्काम रूप से भगवान शिव की आराधना करना चाहते हैं, तो उसके लिए शिव वास की तिथियां देखा जाना आवश्यक नहीं है। शिव वास को जानने के लिए आप निम्नलिखित वर्णन को पढ़ सकते हैं।
शिव वास की तिथियां जानने की विधि (How To Know Shiv Vas Tithi)
शिव वास देखने का नियम: किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा अर्थात प्रथमा, अष्टमी और अमावस्या तथा शुक्ल पक्ष की द्वितीया व नवमी तिथि के दिन भगवान शिव का वास माता गौरी के साथ होता है। ऐसे में यदि आप इस इन तिथियों में रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं, तो आपको सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तथा एकादशी (ग्यारस) और शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि में भगवान शिव का वास कैलाश पर्वत पर होता है और इस दिन रुद्राभिषेक मंत्र से शिव आराधना करने पर भगवान शिव की अनुकंपा प्राप्त होती है तथा आपके परिवार में सुख समृद्धि के साथ-साथ आनंद की वृद्धि होती है।
किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि तथा शुक्ल पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी तिथि में भगवान शिव नंदी पर सवार होते हैं और ऐसे में संपूर्ण विश्व में भ्रमण करते हैं। यदि इन तिथियों (shiv vas tithi) में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाए, तो आपका अभीष्ट सिद्ध होता है अर्थात जो भी आपकी कामना हो, वह अवश्य ही पूर्ण होती है।
कृष्ण पक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी तथा शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा(प्रथम), अष्टमी और पूर्णिमा तिथियों में भगवान शिव का निवास श्मशान में होता है। वे समाधि में मग्न होते हैं। यदि इन तिथियों (shiv vas tithi) पर रुद्राभिषेक किया जाए, तो भगवान शिव की साधना भंग होने से उनके क्रोधित होने की संभावना होती है और ऐसे में आपको लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है और आप के ऊपर कोई बड़ी विपत्ति भी आ सकती है।
कृष्ण पक्ष की द्वितीया और नवमी तथा शुक्ल पक्ष की तृतीया तथा दशमी तिथि में भगवान शिव का वास देवताओं की सभा में होता है, क्योंकि इन (shiv vas tithi) तिथियों पर वे सभी देवताओं की समस्याएं सुनते हैं। यदि इन तिथियों में रुद्राभिषेक से भगवान शिव का आवाहन किया जाए, तो वे क्रुद्ध हो सकते हैं, क्योंकि उनके कार्य में व्यवधान उत्पन्न होता है। इसलिए इस दिन रुद्राभिषेक करने से संताप तथा दुख मिल सकता है।
कृष्ण पक्ष की तृतीया और दशमी तथा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तथा एकादशी तिथि में भगवान शिव का वास क्रीड़ा क्षेत्र में होता है क्योंकि वे क्रीड़ा रत रहते हैं। इसलिए इन तिथियों पर रुद्राभिषेक करने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से आपकी संतान को कष्ट मिलने की संभावना होती है।
किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी तथा शुक्ल पक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी तिथि में भगवान शिव का वास भोजन स्थल में होता है और वे भोजन करते हैं। यदि इस (shiv vas tithi) दिन रुद्राभिषेक मंत्र से शिव जी का आवाहन करने पर वह व्यक्ति को पीड़ा दे सकते हैं इसलिए इस दिन भी रुद्राभिषेक मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।
शिव वास की तिथियां 2024 (Shiv Vas Tithi Chart)
शिव वास की तिथियां कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha Shiv Vas Tithi)
कृष्ण पक्ष तिथि | शिव का वास | फल |
प्रथम (प्रतिपदा) | माता गौरी के साथ | सुख -समृद्धि की प्राप्ति |
द्वितीया | देवताओं की सभा में | दुख |
तृतीया | क्रीड़ा क्षेत्र | संतान को कष्ट |
चतुर्थी | कैलाश पर्वत | सुख-समृद्धि-आनंद की वृद्धि |
पंचमी | नंदी पर सवार | मनोकामना पूर्ण |
षष्टी | भोजन स्थल | पीड़ा |
सप्तमी | निवास श्मशान | हानि |
अष्टमी | माता गौरी के साथ | सुख -समृद्धि की प्राप्ति |
नवमी | देवताओं की सभा में | दुख |
दशमी | क्रीड़ा क्षेत्र | संतान को कष्ट |
एकादशी | कैलाश पर्वत | सुख-समृद्धि-आनंद की वृद्धि |
द्वादशी | नंदी पर सवार | मनोकामना पूर्ण |
त्रयोदशी | भोजन स्थल | पीड़ा |
चतुर्दशी | निवास श्मशान | हानि |
अमावस्या | माता गौरी के साथ | सुख -समृद्धि की प्राप्ति |
शिव वास की तिथियां शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha Shiv Vas Tithi)
शुक्ल पक्ष तिथि | शिव का वास | फल |
प्रथम (प्रतिपदा) | निवास श्मशान | हानि |
द्वितीया | माता गौरी के साथ | सुख -समृद्धि की प्राप्ति |
तृतीया | देवताओं की सभा में | दुख |
चतुर्थी | क्रीड़ा क्षेत्र | संतान को कष्ट |
पंचमी | कैलाश पर्वत | सुख-समृद्धि-आनंद की वृद्धि |
षष्टी | नंदी पर सवार | मनोकामना पूर्ण |
सप्तमी | भोजन स्थल | पीड़ा |
अष्टमी | निवास श्मशान | हानि |
नवमी | माता गौरी के साथ | सुख -समृद्धि की प्राप्ति |
दशमी | देवताओं की सभा में | दुख |
एकादशी | क्रीड़ा क्षेत्र | संतान को कष्ट |
द्वादशी | कैलाश पर्वत | सुख-समृद्धि-आनंद की वृद्धि |
त्रयोदशी | नंदी पर सवार | मनोकामना पूर्ण |
चतुर्दशी | भोजन स्थल | पीड़ा |
पूर्णिमा | निवास श्मशान | हानि |
रुद्राभिषेक करने की तिथियां श्रावण मास जुलाई – अगस्त 2024 (Shiv Vas Tithi July – August)
रुद्राभिषेक करने की तिथियां कृष्णपक्ष श्रावण जुलाई 2024 (Rudrabhishek Tithi July August)
दिनांक | कृष्ण पक्ष तिथि | शिव का वास | फल |
22/7/2024 | प्रथम(प्रतिपदा) (सावन सोमवार व्रत, महाकाल सवारी) | माता गौरी के साथ | सुख -समृद्धि की प्राप्ति |
23/7/2024 | द्वितीया | देवताओं की सभा में | दुख |
24/7/2024 | तृतीया (संकट चतुर्थी व्रत) | क्रीड़ा क्षेत्र | संतान को कष्ट |
24/7/2024 | चतुर्थी | कैलाश पर्वत | सुख-समृद्धि-आनंद की वृद्धि |
25/7/2024 | पंचमी | नंदी पर सवार | मनोकामना पूर्ण |
26/7/2024 | षष्टी | भोजन स्थल | पीड़ा |
27/7/2024 | सप्तमी | निवास श्मशान | हानि |
28/7/2024 | अष्टमी | माता गौरी के साथ | सुख -समृद्धि की प्राप्ति |
29/7/2024 | नवमी (सावन सोमवार व्रत, महाकाल सवारी) | देवताओं की सभा में | दुख |
30/7/2024 | दशमी | क्रीड़ा क्षेत्र | संतान को कष्ट |
31/7/2024 | एकादशी (कामिका एकादशी व्रत) | कैलाश पर्वत | सुख-समृद्धि-आनंद की वृद्धि |
1/8/2024 | द्वादशी (प्रदोष व्रत) | नंदी पर सवार | मनोकामना पूर्ण |
2/8/2024 | त्रयोदशी | भोजन स्थल | पीड़ा |
3/8/2024 | चतुर्दशी | निवास श्मशान | हानि |
4/8/2024 | अमावस्या (हरियाली अमावस्या) | माता गौरी के साथ | सुख -समृद्धि की प्राप्ति |
रुद्राभिषेक करने की तिथियां शुक्ल पक्ष श्रावण अगस्त 2024 (Rudrabhishek Tithi August)
दिनांक | शुक्ल पक्ष तिथि | शिव का वास | फल |
5/8/2024 | प्रथम(प्रतिपदा) (सावन सोमवार व्रत, महाकाल सवारी) | निवास श्मशान | हानि |
6/8/2024 | द्वितीया | माता गौरी के साथ | सुख -समृद्धि की प्राप्ति |
7/8/2024 | तृतीया | देवताओं की सभा में | दुख |
8/8/2024 | चतुर्थी | क्रीड़ा क्षेत्र | संतान को कष्ट |
9/8/2024 | पंचमी | कैलाश पर्वत | सुख-समृद्धि-आनंद की वृद्धि |
10/8/2024 | षष्टी | नंदी पर सवार | मनोकामना पूर्ण |
11/8/2024 | सप्तमी | भोजन स्थल | पीड़ा |
12/8/2024 | सप्तमी (सावन सोमवार व्रत, महाकाल सवारी) | भोजन स्थल | पीड़ा |
13/8/2024 | अष्टमी | निवास श्मशान | हानि |
14/8/2024 | नवमी | माता गौरी के साथ | सुख -समृद्धि की प्राप्ति |
15/8/2024 | दशमी | देवताओं की सभा में | दुख |
16/8/2024 | एकादशी (पद्मिनी एकादशी व्रत) | क्रीड़ा क्षेत्र | संतान को कष्ट |
17/8/2024 | द्वादशी (प्रदोष व्रत) | कैलाश पर्वत | सुख-समृद्धि-आनंद की वृद्धि |
17/8/2024 | त्रयोदशी | नंदी पर सवार | मनोकामना पूर्ण |
18/8/2024 | चतुर्दशी | भोजन स्थल | पीड़ा |
19/8/2024 | पूर्णिमा | निवास श्मशान | हानि |
उपरोक्त तालिका के माध्यम से आप हरियाली अमावस्या , सावन सोमवार व्रत ,महाकाल सवारी ,प्रदोष व्रत,कामिका एकादशी व्रत ,नागपंचमी ,संकट चतुर्थी व्रत आदि दिनांकों के साथ साथ रुद्राभिषेक करने की जुलाई और अगस्त श्रावण महीने की कृष्णपक्ष और शुक्ल पक्ष की तिथियां भी जान सकते है।
इस प्रकार से आप 2024 में शिव वास की तिथियां और रुद्राभिषेक की तिथियां को जानकर सकाम रूप से शिव जी का रुद्राभिषेक पूजन और उनकी भक्ति कर सकते है ।
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