रुद्राभिषेक पूजा विधि, रुद्राभिषेक मंत्र, रुद्राभिषेक के फायदे (Rudrabhishek Puja Vidhi In Hindi, Rudrabhishek Mantra, Samagri, ,Laghu Mantra)
रुद्राभिषेक का अर्थ (Rudrabhishek Meaning in Hindi)
रुद्राभिषेक दो शब्दों से मिल कर बना है रूद्र और अभिषेक। रूद्र यानि भगवान शिव और अभिषेक का अर्थ पवित्र स्नान जो अभिमंत्रित कर के लिया जाता है अर्थात भगवान शंकर को जब विभिन्न मंत्रो से अभिमंत्रित स्नान कराया जाता है तो उसे रुद्राभिषेक की कहते हैं।

रुद्र भगवान शिव का ही प्रचंड रूप हैं । शिव को ही ‘रुद्र’ कहा जाता है, क्योंकि “रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:” यानी महादेव सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं।
रुद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि “सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका” अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा हैं।
वेदों और पुराणों में शिव रुद्राभिषेक के बारे में मान्यता है कि रावण ने अपने दसों सिरों को काटकर उसके रक्त से शिवलिंग का अभिषेक किया था तथा सिरों को हवन की अग्नि को अर्पित कर दिया था जिससे वो त्रिलोकजयी हो गया। भस्मासुर ने शिवलिंग का अभिषेक अपनी आंखों के आंसुओं से किया तो वह भी भगवान के वरदान का पात्र बन गया।
रुद्राभिषेक विभिन्न मंत्रो के द्वारा संपन्न किया जाता है जिससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा निर्मित होती है। इन मंत्रो को ‘शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी’ के रूप में भी जाना जाता है और ‘रुद्राष्टाध्यायी’ तथा “रुद्री पाठ” भी कहते हैं।
रुद्राभिषेक मंत्रो (Rudrabhishek Puja Vidhi) के द्वारा महादेव को प्रसन्न किया जाता है। इसके पाठ अथवा जप करने से भी महादेव अपने भक्तो को सुख-सुविधाओं से संपूर्ण बनाते हैं और उनके जीवन में आने वाली समस्याओ का अंत भी कर देते है।
ज्योतिर्लिंग क्षेत्र एवं तीर्थस्थान तथा शिवरात्रि प्रदोष, श्रावण के सोमवार आदि पर्वों में शिववास का विचार किए बिना भी शिव रुद्राभिषेक किया जा सकता है।इन दिनों केवल दूध से भी अभिषेक किया जा सकता है । रुद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का पाठ करते हैं।
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वस्तुत: शिवलिंग का अभिषेक आशुतोष शिव को शीघ्र प्रसन्न करके साधक को उनका कृपापात्र बना देता है और उनकी सारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाती हैं। अत: हम यह कह सकते हैं कि रुद्राभिषेक से मनुष्य के सारे पाप-ताप धुल जाते हैं।
शिव रुद्राभिषेक की सामग्री (Rudrabhishek Samagri)
शिव रुद्राभिषेक पूजा (Rudrabhishek Puja Vidhi) में दूध, दही, घृत, शहद और शकर बुरा (यह आसानी से घुल जाता है) से अलग-अलग अथवा सबको मिलाकर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है।
इसके अलावा पुष्प ,बिलपत्र ,धतूरा ,शमी पत्र, काले तिल पूजा सुपारी,कलावा ,इत्र ,धुप ,अगरबत्ती आदि।
विशेष कार्य के निवारण हेतु अन्य प्रकार की वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है।
रुद्राभिषेक के लिए शिवलिंग (Shivling For Rudrabhishek)
अगर आप अपने घर में रुद्राभिषेक कर रहे है तो आपको शिवलिंग की आवश्यकता होगी। यदि आपके घर में किसी भी प्रकार के शिवलिंग है तो आप वह ले सकते है। आप पारद शिवलिंग ,नर्मदेश्वर शिवलिंग ,स्फटिक के शिवलिंग ,मार्बल शिवलिंग आदि पूजन में ले सकते है इन्हे आप ऑनलाइन भी मंगवा सकते है।
अगर उपरोक्त प्रकार के शिवलिंग न हो तो आप पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर पूजन कर सकते है। पार्थिव शिवलिंग कैसे बनाये यह इस पोस्ट के माध्यम से सिख जायेंगे।
रुद्राभिषेक पूजा की तैयारी कैसे करें (Rudrabhishek Puja at Home)
यदि रुद्राभिषेक की पूजा (Rudrabhishek Puja Vidhi) शिवालय में कर रहे है तो आपको जहाँ शिवलिंग है वहीँ पर पूजा करनी है।
पूजन के लिए सभी व्यक्ति भारतीय संस्कृति की वेशभूषा जैसे धोती-कुर्ता ,स्त्रियों के लिए साड़ी आदि होना चाहिए।स्त्री -पुरुष दोनों को दुपट्टा धारण करना चाहिए।
शिव जी की पूजा करने के लिए रुद्राक्ष की माला धारण करना आवश्यक है। आप कोई भी रुद्राक्ष माला या एक कोई भी रुद्राक्ष धारण कर लीजिये।
पूजन से पहले अपने मस्तक पर त्रिपुण्ड बनाये यह शिव पूजन में आवश्यक है। अगर त्रिपुण्ड न बना सकते तो तिलक अवश्य लगाए।
यदि आप घर में रुद्राभिषेक करना चाहते है तो फिर आपको उत्तर दिशा में शिवलिंग की स्थापना करनी चाहिए और पूर्वाभिमुख होकर पूजा करनी चाहिए। जलधारी का मुख उत्तर की ओर रहे।
शिवलिंग के साथ ही गणेश जी, अन्य देवता एवं नवग्रह के पूजन के लिए भी पूर्व की दिशा में एक चौकी पर सभी को स्थान देना चाहिए।
रुद्राभिषेक के दिन सभी परिवारजन को स्नान ध्यान कर पूजा के लिए सही समय पर पहुंचना चाहिए।
घर को अशोक के पत्तों एवं फूलमालाओं से सुसज्जित करना चाहिए।
रुद्राभिषेक (Rudrabhishek Puja Vidhi) शुरू होने से पहले ही पूजन सामग्री एवं अन्य तरह की तैयारी कर लेनी चाहिए।
रुद्राभिषेक पूजन में बहुत से मंत्रो का उच्चारण होता है इसलिए इसके लिए अनुभवी पंडित द्वारा यह पूजा करवानी चाहिए।
रुद्राभिषेक पूजन विधि (Rudrabhishek Puja Vidhi)
आपको रुद्राभिषेक की पूजा (Rudrabhishek Puja Vidhi) किस तरह करनी है आइये जानते है –

सर्वप्रथम प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश जी का पूजन करें। गणेश जी की मूर्ति न हो तो आप पूजा की सुपारी को गणेश जी मान के उनका पूजन करे।भगवान गणेश को तिलक, चावल, फूल,माला , नैवेद्य, दूर्वा और दक्षिणा अर्पित करें।

इसके बाद अन्य आह्वान किये गए देवताओं और नवग्रह की पूजा करें।
अब भगवान शिव का पूजन प्रारम्भ कीजिये। उन्हें तिलक आदि लगाएं।
बिलपत्र पर चन्दन या अष्टगंध से ॐ बनाकर भगवान शिव को अर्पित करें।
भगवान के रुद्राभिषेक के लिए शुद्ध जल में गंगाजल, केसर, दूध, गन्ने का रस आदि मिला लें।
रुद्राभिषेक के दौरान आचार्य रुद्री का पाठ करते है।
अब आप श्रृंगी या लोटे के द्वारा धीरे धीरे शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।

जल चढाने के दौरान आप रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करें या फिर ॐ नमः शिवायः या का जाप करें।आप श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जप भी कर सकते है।
रुद्राभिषेक(Rudrabhishek Puja Vidhi) पूरा होने के बाद सभी एकत्रित भक्तजन भगवान शिव की आरती करे।
रुद्राभिषेक के जल को पुरे घर में छिड़कें।
भगवान शिव को शुद्धता से घर में बनाएं व्यंजनों का भोग लगाएं।
रुद्राभिषेक मंत्र का प्रभाव (Rudrabhishek Mantra Benefits)
रुद्राभिषेक मंत्रो (Rudrabhishek Mantra) के द्वारा सकारात्मक शक्ति का विकास होता है जिससे कुंडली में ग्रह दोषों की शांति ,वास्तु दोष भी समाप्त हो जाते है। यदि आपके परिवार में कोई बीमार व्यक्ति है, तो उसको बीमारी से छुटकारा भी इस रुद्राभिषेक मंत्र के द्वारा मिल सकता है।
रुद्रहृदयोपनिषद् में यह रूद्र मंत्र वर्णित है:
सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।
रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:।।
यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:।
ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।
अर्थात भगवान रूद्र ही जग सृष्टिकर्ता ब्रह्मा तथा जग पालन पोषण करता विष्णु हैं और सभी देवता रुद्र के ही अंश हैं। इस सम्पूर्ण चराचर जगत में सभी कुछ रुद्र से ही जन्मा हुआ है। इससे यह सिद्ध होता है कि रूद्र ही ब्रह्म हैं और वही स्वयंभू भी हैं।
वायुपुराण में भगवान रूद्र को महिमामंडित करते हुए यह वर्णन किया गया है:
यश्च सागरपर्यन्तां सशैलवनकाननाम्।
सर्वान्नात्मगुणोपेतां सुवृक्षजलशोभिताम्।।
दद्यात् कांचनसंयुक्तां भूमिं चौषधिसंयुताम्।
तस्मादप्यधिकं तस्य सकृद्रुद्रजपाद्भवेत्।।
यश्च रुद्रांजपेन्नित्यं ध्यायमानो महेश्वरम्।
स तेनैव च देहेन रुद्र: संजायते ध्रुवम्।।
अर्थात जो प्राणी सागर पर्यंत, वन, पर्वत, जल एवं वृक्षों से युक्त तथा श्रेष्ठ गुणों से युक्त ऐसी महान पृथ्वी का दान करता है, जो धन-धान्य तथा सुवर्ण और औषधियों से भी युक्त हो, उसके दान करने से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी कहीं अधिक पुण्य फल एक बार के रुद्री जप अर्थात रुद्राभिषेक से प्राप्त हो जाता है। इसलिए जो कोई भी भगवान शिव का ध्यान करके रुद्री पाठ करता है और रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान शिव को मनाता है, वह प्राणी उसी देह से भगवान रूद्र स्वरूप ही हो जाता है, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।
रुद्राभिषेक मंत्र (Rudrabhishek Mantra)
शिव रुद्राभिषेक में जापे गए मंत्रो का उपयोग शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी के मुख्य आठों अध्यायों में दिए गए मंत्रो से किया जाना चाहिए परन्तु यदि आप खुद ही सरल विधि से रुद्राभिषेक करना चाहते है तो निम्नलिखित रुद्राभिषेक मंत्र (Rudrabhishek Mantra) से आप भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते है।
ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥
ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय् ॥
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥
वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥
सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ॥
नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥
यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥
सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥
विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥
रुद्राष्टाध्यायी में कुल दस अध्याय हैं, जिनका पाठ रुद्राभिषेक के समय किया जाता है। इनमें भी आठ अध्याय मुख्य हैं, जिनके आधार पर ही इसको रुद्राष्टाध्ययी कहा गया है। आठवां अध्याय सबसे अधिक महत्वपूर्ण है जिसे ‘नमक चमक विधि’ के नाम से भी जाना जाता है। नमक चमक विधि का पाठ बहुत महत्वपूर्ण है और इसके पाठ से भगवान शिव आप से शीघ्र अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। रुद्राष्टाध्यायी यजुर्वेद का एक अंग माना गया है। रुद्राभिषेक करते समय समस्त दसों अध्यायों का पाठ करना चाहिए।
लघु रुद्राभिषेक मंत्र (Rudrabhishek Laghu Mantra)
रुद्रा: पञ्चविधाः प्रोक्ता देशिकैरुत्तरोतरं।
सांगस्तवाद्यो रूपकाख्य: सशीर्षो रूद्र उच्च्यते।।
एकादशगुणैस्तद्वद् रुद्रौ संज्ञो द्वितीयकः।
एकदशभिरेता भिस्तृतीयो लघु रुद्रक।।
रुद्राभिषेक मंत्र जाप करने की विधि (Rudrabhishek Mantra Vidhi)
रुद्राभिषेक मंत्र (Rudrabhishek Mantra) को कई प्रकार से जपा जा सकता है-
पंडितो द्वारा
आमतौर पर जब रुद्राभिषेक किया जाता है तो पंडितो की उपस्थिति में पंडित स्वयं इन मंत्रो का उच्चारण करवाते है जिससे पूजा में उपस्थित सभी लोग इसका उच्चारण करते है।
स्वयं पढ़कर
अगर आप स्वयं अपने घर में रुद्राभिषेक कर रहे है तो आप स्वयं पढ़ कर इसे याद कर ले या फिर कागज पर लिख के रुद्राभिषेक के समय इसे पढ़े।
सुनकर
अगर रुद्राभिषेक नहीं हो रहा और आप केवल मंत्र को सुनना चाहते है तो आप यूट्यूब से इसे सुन सकते है।
रुद्राभिषेक करने के लाभ (Rudrabhishek Benefits)
शिव रुद्राभिषेक करने से शिव भक्तो को अनेक सुखों की प्राप्ति होती है और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है इसलिए रुद्राभिषेक (Rudrabhishek Puja Vidhi) से प्राप्त होने वाले लाभ इस प्रकार हैं:
यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो आपको रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करते हुए रुद्राभिषेक कराना चाहिए।
यदि आपके घर में गृहकलेश चला आ रहा है और परिवार के लोगों में आपस में लड़ाई झगड़ा होता है, तो आपको रुद्राभिषेक कराना अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा।
यदि आप किसी असाध्य रोग से पीड़ित हैं, तो आपको कुशा के द्वारा रुद्राभिषेक मंत्र से महादेव की पूजा करनी चाहिए।
यदि आप स्थाई लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए आपको गन्ने के रस से शिवजी का रुद्राभिषेक करना चाहिए।
कुंडली में सूर्य की मजबूती के लिए अनार के रस से भी रुद्राभिषेक किया जाता है।
विवाह के इच्छुक व्यक्ति दूध या जल में केसर और हल्दी मिलाकर रुद्राभिषेक करे।
यदि आप मोक्ष प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, तो आपको किसी तीर्थ से जल लाकर पूरे मन से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए।
यदि संतान प्राप्ति के उद्देश्य से रुद्राभिषेक करना हो तो गौ दुग्ध से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
यदि आपको नौकरी ना मिल रही हो या नौकरी मिलने में समस्या आ रही हो अथवा शत्रु परेशान कर रहे हों तो आपको सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करना।
यदि वर्षा ना हो रही हो और फसल की हानि होने लगे, तो समाज के कल्याण के लिए अच्छी वर्षा के उद्देश्य से भगवान शिव का जल से अभिषेक करना चाहिए।
यदि आप सुन्दर, विद्वान् और संस्कारी संतान प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको रुद्राभिषेक मंत्र(Rudrabhishek Mantra) का नित्य जप अवश्य करना चाहिए।
यदि लम्बे समय से ज्वर की समस्या चल रही हो तो ज्वर की शांति के लिए गंगाजल से अभिषेक करें।
यदि आपको भवन या वाहन खरीदने की इच्छा है तो उसकी प्राप्ति के लिए आपको दही से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए।
धन की वृद्धि के लिए शहद एवं घी से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए इससे लक्ष्मी का वास होता है।
किसी भी बीमारी या कष्ट से मुक्ति हेतु जल में इत्र मिलाकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें। इत्र आप प्राकृतिक ले सकते है जिसमे अलकोहल न हो। काला भूत इत्र का प्रयोग शिव जी के लिए किया जाता है।
यदि आप दूध से रुद्राभिषेक करते हैं तो प्रमेह रोग की समस्या से मुक्ति मिलती है।
पुत्र की कामना करने वाले व्यक्ति को जल में शक्कर बुरा या खांड मिलाकर रुद्राभिषेक करना चाहिए।
तपेदिक रोग से पीड़ित व्यक्ति को शहद के द्वारा रुद्राभिषेक करना चाहिए।इसके अतिरिक्त यदि आप शहद से रुद्राभिषेक करते हैं, तो आपके जीवन के सभी पापों का भी शमन हो जाता है।
उत्तम स्वास्थ्य हर किसी की इच्छा होती है, इसलिए यदि आप आरोग्यता प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको गाय के दूध अथवा शुद्ध घी अथवा दोनों से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
यदि आप विद्वान बनना चाहते हैं और अपनी बुद्धि का विकास करना चाहते हैं तो आपको दूध में शक्कर बुरा मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।
यदि आपके व्यापार में लगातार नुकसान हो रहा है तो इससे बचने के लिए आपको रुद्राभिषेक मंत्र का जप करना चाहिए।
विद्यार्थियों को अपनी शिक्षा में आने वाली रुकावट को दूर करने के लिए भी रुद्राभिषेक मंत्र से शिव जी को प्रसन्न करना बेहतर परिणाम दिलाता है।
केवल इतना ही नहीं जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्याओं और कार्यों में रुकावटों को दूर करने के लिए आप रुद्राभिषेक मंत्र का नित्य जप करके भी महादेव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।
इस पोस्ट में आपने रुद्राभिषेक की पूजा विधि (Rudrabhishek Puja Vidhi को जाना ओर रुद्राभिषेक मंत्र को भी जाना। हम इस पोस्ट को अपडेट करते रहेंगे। आपको इस पोस्ट से सम्बंधित कोई समस्या आ रही है तो आप हमें कमेंट या सोशल मीडिया पर फॉलो कर वंहा से संपर्क कर सकते है।
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